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बिगुल के अक्टूबर 1996 अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
उत्त्रप्रदेश विधान सभा चुनाव 96 : अवसरवादी गठबन्धन और जाति, धर्म एवं गुण्डागर्दी का खुला खेल
अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय
निजीकरण के साथ ही मज़दूरों की पगार और सुविधाएं घटती गई हैं : खुद सरकारी रिपोर्टों ने मनमोहन-चिदम्बरम के दावों की पोल खोली
मज़दूर आंदोलन की समस्याएं
स्कूटर्स इंडिया के मज़दूरों के आन्दोलन की आंशिक जीत : आगे के लिए कुछ जरूरी सबक, सोचने के लिए कुछ जरूरी सवालात / ओ.पी. सिन्हा
स्त्री मज़दूर
रूस और पूर्वी यूरोप के मुक्त बाजार का “स्वर्ग” : वहां सब कुछ महंगा है, पर काफी सस्ता है औरत का श्रम और शरीर / कात्यायनी
लेखमाला
कम्युनिस्ट पार्टी का संगठन और उसका ढांचा (दूसरी किश्त) / व्ला.इ. लेनिन
औद्योगिक दुर्घटनाएं
भिलाई स्टील प्लाण्ट में चार मज़दूरों की मौत : मजदूर की जिन्दगी इतनी सस्ती क्यों?
धनबाद में धरती के नीचे धधक रही आग से लाखों लोगों का जीवन खतरे में
कला-साहित्य
कहानी – पारमा के बच्चे / मक्सिम गोर्की
गीत – पहिले-पहिले जब ओट मांगे अइलें / गाेरख पाण्डे
कविता – सीखो दोस्तो सीखो / बर्तोल्त ब्रेख्त
आपस की बात
हम ऐसे गुलाम हैं जो गुलामों पर डण्डे बरसाते हैं / उ.प्र. पुलिस का एक सिपाही
बिगुल को ऐसी फफूंदों से बचायें / गीत चतुर्वेदी, मुंबई
व्यवस्था बदलने में अपनी भूमिका तय करें / चंदन सिंह किरौला, ऊधमसिंहनगर
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन