पंजाब की जनता का काला क़ानून विरोधी संघर्ष जारी
बिगुल संवाददाता
पंजाब की अकाली-भाजपा सरकार के काले क़ानून ‘पंजाब (सार्वजनिक व निजी सम्पत्ति नुक़सान रोकथाम) क़ानून’ को रद्द करवाने के लिए पंजाब के विभिन्न जनसंगठनों ने ‘काला क़ानून विरोधी संयुक्त मोर्चा, पंजाब’ के बैनर तले संघर्ष को आगे बढ़ाते हुए 23 दिसम्बर 2015 को देश भगत यादगार हॉल, जलन्धर में पंजाब स्तरीय कन्वेंशन आयोजित की। जनसंगठनों के पंजाब भर से आये नेताओं, कार्यकर्ताओं व सदस्यों ने एक आवाज़ में जनसंघर्षों को कुचलने की पंजाब सरकार की फ़ासीवादी नीति के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलन्द की और संकल्प लिया कि हुक़्मरानों के इस जनविरोधी हमले के ख़िलाफ़ आन्दोलन खड़ा किया जायेगा। इस सम्मेलन में करीब साढ़े तीन हज़ार लोग शामिल हुए। इससे पहले संयुक्त मोर्चे के बैनर तले 10 दिसम्बर 2015 को अन्तर्राष्ट्रीय जनवादी अधिकार दिवस के अवसर पर सारे पंजाब में तहसील स्तरों पर राज्य सरकार के ख़िलाफ़ अर्थी फूँक प्रदर्शन किये गये। इन सभी अवसरों पर बिगुल मज़दूर दस्ता ने बढ़चढ़कर हिस्सेदारी की। आगामी 29 जनवरी को पंजाब के सभी ज़िला केन्द्रों पर ज़ोरदार प्रदर्शन होंगे।
ग़ौरतलब है कि पंजाब की अकाली-भाजपा सरकार ने जुलाई 2014 में उपरोक्त क़ानून पारित किया था जिसे पिछले दिनों राष्ट्रपति (यानी केन्द्र सरकार) से मंजूरी मिल गयी है। इस क़ानून के मुताबिक़ किसी भी प्रकार के आन्दोलन, धरना, प्रदर्शन, रैली, हड़ताल, जुलूस, आदि के दौरान अगर सार्वजनिक व निजी सम्पत्ति को किसी भी प्रकार का नुक़सान होता है (इसमें घाटा में शामिल किया गया है, यानी हड़ताल-टूल डाऊन आदि करने पर भी जेल जाना होगा) तो संघर्ष में किसी भी प्रकार से शामिल, मार्गदर्शन करने वालों, सलाह देने वालों, किसी भी प्रकार की मदद करने वालों आदि को दोषी माना जायेगा। हवलदार तुरन्त गिरफ़्तारी कर सकता है। इस क़ानून के तहत किया गया ‘अपराध’ ग़ैरजमानती है। नुक़सान भरपाई के लिए ज़मीन जब्त की जायेगी। जुर्माने अलग से लगेंगे। एक से पाँच वर्ष तक की क़ैद की सज़ा होगी। वीडियो को पक्के सबूत के तौर पर माना जायेगा। कहने की ज़रूरत नहीं कि इस क़ानून का इस्तेमाल हक़, सच, इंसाफ़ के लिए संघर्ष करने वालों के ख़िलाफ़ ही होगा। हुक़्मरानों की घोर जनविरोधी नीतियों के चलते जनता में बढ़ते आक्रोश के माहौल में पहले से मौजूद दमनकारी काले क़ानूनों और राजकीय ढाँचे से अब इनका काम नहीं चलने वाला। जनआवाज़ को दबाने के लिए जुल्मी हुक़्मरानों को दमनतन्त्र के दाँत तीखे करने की ज़रूरत पड़ रही है। इसी का नतीजा है पंजाब का यह नया काला क़ानून। लेकिन जनता हुक़्मरानों के काले क़ानूनों से डरकर चुप नहीं बैठती। पंजाब की जनता का संघर्ष इसका गवाह है।
मज़दूर बिगुल, जनवरी 2016
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Posted by ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਦੇ ਕਾਲ਼ੇ ਕਨੂੰਨਾਂ ਵਿਰੋਧੀ ਮੁਹਿੰਮ on Wednesday, December 23, 2015
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