ढण्डारी अपहरण, बलात्कार व क़त्ल काण्ड की पीड़िता शहनाज़ की पहली बरसी पर श्रद्धांजलि समागम
लुधियाना में ढण्डारी अपहरण, बलात्कार व क़त्ल काण्ड की पीड़िता शहनाज़ की पहली बरसी मनाने के लिए ढण्डारी बलात्कार व क़त्ल काण्ड विरोधी संघर्ष कमेटी के आह्वान पर ढण्डारी, लुधियाना में 20 दिसम्बर को श्रद्धांजलि समागम आयोजित किया गया। एकत्रित लोगों द्वारा शहनाज़ को इंसाफ़ दिलाने के लिए संघर्ष जारी रखने का ऐलान किया गया। संघर्ष कमेटी ने ऐलान किया कि राजनीतिक-पुलिस-प्रशासनिक सरपरस्ती प्राप्त गुण्डागर्दी को जड़ से मिटाने के लिए जनान्दोलन खड़ा करने की कोशिशें जारी रहेंगी। कारख़ाना मज़दूर यूनियन, पंजाब; टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन, पंजाब; पंजाब स्टूडेंटस यूनियन (ललकार); नौजवान भारत सभा व बिगुल मज़दूर दस्ता द्वारा पीड़ितों को इंसाफ़ दिलाने के लिए गठित की गयी ‘संघर्ष कमेटी’ के विभिन्न वक्ताओं ने कहा कि शहनाज़ दमन-उत्पीडऩ का शिकार सभी स्त्रियों और साधारण जनता के सामने संघर्ष का एक प्रतीक है। बलात्कार, अपहरण, छेड़छाड़ जैसे जुल्मों का शिकार अधिकतर स्त्रियाँ व उनके परिवार इन घटनाओं को सामाजिक बदनामी, मारपीट, जान गँवाने, न्याय की नाउम्मीदी आदि कारणों के चलते छिपा जाते हैं। लेकिन बहादुर शहनाज़ और उसके परिवार ने ऐसा नहीं किया। शहनाज़ ने लड़ाई लड़ी और वह लड़ते-लड़ते मौत को गले लगा गयी। वह जुल्म के सामने घुटने न टेकने की मिसाल क़ायम करके गयी है।
शहनाज़ को 4 दिसम्बर को एक गुण्डा गिरोह ने मिट्टी का तेल डालकर आग लगाकर जला दिया था। इससे पहले शहनाज़ को 25 अक्टूबर को अगवा करके दो दिन तक सामूहिक बलात्कार किया गया। राजनीतिक सरपरस्ती में पलने वाले इस गुण्डा गिरोह के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में पुलिस ने बेहद ढिलाई बरती, पीड़ितों की ढंग से सुनवाई नहीं की गयी, रिपोर्ट लिखने और मेडिकल करवाने में देरी की गयी। बलात्कार व अगवा करने के दोषी 18 दिन बाद जमानत करवाने में कामयाब हो गये। गुण्डा गिरोह ने शहनाज़ और उसके परिवार को केस वापिस लेने के लिए डराया, जान से मारने की धमकियाँ दीं। 4 दिसम्बर को दिन-दिहाड़े सात गुण्डों ने उसे मिट्टी का तेल डालकर जला दिया। 9 दिसम्बर को उसकी मौत हो गयी। गुण्डा गिरोह के इस अपराध व गुण्डा-सियासी-पुलिस-प्रशासनिक नापाक गठजोड़ के ख़िलाफ़ हज़ारों लोगों द्वारा ‘संघर्ष कमेटी’ के नेतृत्व में विशाल जुझारू संघर्ष लड़ा गया था। जनदबाव के चलते दोषियों को सज़ा की उम्मीद बँधी हुई है। क़त्ल काण्ड के सात दोषी जेल में बन्द हैं। अदालत में केस चल रहा है। पुलिस द्वारा एफ़आईआर दर्ज करने में की गयी गड़बड़ियों के चलते अगवा व बलात्कार का एक दोषी जमानत पर आज़ाद घूम रहा है। इसके ख़िलाफ़ हाईकोर्ट में अपील की गयी है और उसे भी जेल पहुँचाने की पुरज़ोर कोशिश की जा रही है।
श्रद्धांजलि समागम को ‘संघर्ष कमेटी’ की ओर से राजविन्दर, कुलविन्दर, बिन्नी और विश्वनाथ ने सम्बोधित किया। डेमोक्रेटिक लॉयर्स ऐसोसिएशन की ओर से एडवोकेट हरप्रीत जीरख और शहनाज़ के पिता मुहम्मद इलियास ने भी लोगों को सम्बोधित किया। क्रान्तिकारी सांस्कृतिक मंच ‘दस्तक’ ने गीत पेश किये। जनचेतना ने पुस्तक प्रदर्शनी भी लगायी।
मज़दूर बिगुल, जनवरी 2016
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Posted by ਜੂਝਦੇ ਜੁਝਾਰ ਲੋਕ on Sunday, December 20, 2015
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