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(बिगुल के अगस्त 2000 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
प्रधानमंत्री से बातचीत के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की तीन दिन की देशव्यापी हड़ताल का फैसला रद्द, घुटनाटेकू ट्रेड यूनियन नेतृत्व एक बार फिर नंगा हुआ
अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय
पूँजीवादी सत्ताधारियों की खुली लूट जारी है, जनता के हिस्से में शोषण और बर्बादी है / मुकुल श्रीवास्तव
राजस्थान की खनिज-सम्पदा के दोहन के लिए गुपचुप सर्वेक्षण में लगी हैं आठ बहुराष्ट्रीय कम्पनियां / लक्ष्मी नारायण मिश्र
रेलवे स्टेशनों के रखरखाव की जिम्मेदारी अब ठेके पर
बहस
भारत में क्रान्तिकारी आन्दोलन की समस्याएं : एक बहस (छठी किश्त) – कम्युनिस्ट क्रान्तिकारियों की एकता के लिए विचारधारात्मक संघर्ष ज़रूरी / सुखविंदर
समाज
सरैया चीनी मिल मज़दूरों की स्वतंत्रता दिवस पर आत्मदाह की कोशिश
बुर्जुआ जनवाद – दमन तंत्र, पुलिस, न्यायपालिका
पूँजीवादी न्यायपालिका का “पवित्र कार्य” सत्ताधारियों के हितों की सेवा
लेखमाला
चीन की नवजनवादी क्रान्ति के अर्द्धशतीवर्ष के अवसर पर – जनमुक्ति की अमर गाथा : चीनी क्रान्ति की सचित्र कथा (भाग छ:)
कारखाना इलाक़ों से
फतहपुर तालरतोय और उसके मछुआरों की तबाही की कहानी (पहली किश्त) / बिगुल सर्वेक्षण टीम
ए.एस.पी. गजरौला के मज़दूर आन्दोलन की राह पर
मंडी गोविन्दगढ़ की मिलों में 6 महीनों के दौरान 26 मज़दूरों की मौत / सुखदेव
गतिविधि रिपोर्ट
क्रान्तिकारी लोक स्वराज्य अभियान / आज़ादी मुनाफाखोर लुटेरों के लिए, जनतंत्र चोरों-मुफ्तखोरों के लिए
कला-साहित्य
उर्दू के तरक्क़ी पसन्द शायर अली सरदार जाफ़री का विगत 1 अगस्त, 2000 को निधन हो गया। यहां हम उनकी दो प्रसिद्ध नज़्में दे रहे हैं। पहली नज़्म मज़दूरों के बच्चों की जिन्दगी के बारे में है और दूसरी 15 अगस्त, 1947 को मिली आज़ादी की असलियत को उजागर करती है। सरदार जाफ़री को बिगुल परिवार की तरफ से क्रान्तिकारी अभिवादन! आखिरी सलाम!!
नज़्म – निवाला / अली सरदार जाफ़री
नज़्म – कौन आज़ाद हुआ ? / अली सरदार जाफ़री
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन