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(मज़दूर बिगुल के अक्टूबर-नवम्बर 2015 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय
फासीवाद
सनातन संस्था – फासीवादी सरकार की शह में फलता-फूलता आतंकवाद / नारायण खराडे
संघर्षरत जनता
मानेसर की ब्रिजस्टोन कम्पनी के मज़दूरों का संघर्ष ज़िन्दाबाद !
समाज
बाबाओं का मायाजाल और ज़िन्दगी बदलने की लड़ाई के ज़रूरी सवाल / अरविन्द
स्त्रियों के उत्पीड़न और बलात्कार की बढ़ती घटनाओं के पीछे कारण क्या? / बण्टी, कलायत, हरियाणा
बुर्जुआ जनवाद – दमन तंत्र, पुलिस, न्यायपालिका
मारुति के ठेका मजदूरों द्वारा वेतन बढ़ोत्तरी की माँग पर प्रबन्धन से मिली लाठियाँ! / अनन्त
बुर्जुआ जनवाद – चुनावी नौटंकी
केजरीवाल सरकार का “आम आदमी” चेहरा एक बार फिर बेनकाब – विधायकों का वेतन 4 गुना तक बढ़ाया! / अमित
साम्राज्यवाद / युद्ध / अन्धराष्ट्रवाद
अन्तर-साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा का अखाड़ा बना सीरिया / मानव
स्वास्थ्य
ये मौतें बीमारी की वजह से हैं या कारण कुछ और है? / नवमीत
कारखाना इलाक़ों से
चाय बागानों के मज़दूर भयानक ज़िन्दगी जीने पर मजबूर / लखविन्दर
गतिविधि रिपोर्ट
महान अक्टू्बर क्रान्ति की जयन्ती पर बिगुल मज़दूर दस्ता द्वारा वज़ीरपुर और गुड़गाँव में कार्यक्रम
शहीद भगतसिंह के 108वें जन्मदिवस पर पूँजीवाद और साम्प्रदायिक फासीवाद से लड़ने का संकल्प
हरियाणा में बिजली के बढ़े हुए दामों के विरोध में प्रदर्शन!
कला-साहित्य
एक गोभक्त से भेंट / हरिशंकर परसाई
जन सरोकारों के कवि वीरेन डंगवाल की स्मृति में उनकी कविता – हमारा समाज
आपस की बात
मज़दूर अख़बार की क्रान्तिकारी भूमिका / अवनीश कुमार, बाराबंकी
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन