Table of Contents
(बिगुल के जून-जुलाई 1999 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
नकली वामपंथियों की चुनावी राजनीति बनाम सर्वहारा क्रान्ति की राजनीति
विशेष सम्पादकीय
युद्धोन्मादी अंधराष्ट्रवाद का विरोध करो
अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय
भूमण्डलीकरण के दौर में लुटेरी, राक्षसी बहुराष्ट्रीय कम्पनियां / नमिता श्रीवास्तव
आन्दोलन : समीक्षा-समाहार
आनन्द निशिकावा कारखाने का मज़दूर आन्दोलन – कुछ जरूरी नतीजे कुछ कीमती सबक
बहस
आप लोग कमज़ोर, छिछले कैरियरवादी बुद्धिजीवी हैं और ‘बिगुल’ हिरावलपन्थी अख़बार है! / पी.पी.आर्य
1999 के भारत के ‘क्रीडो’ मतावलम्बी / सम्पादक, बिगुल
इतिहास
मई दिवस का इतिहास (दूसरी व अन्तिम किश्त) / अलेक्जैण्डर ट्रैक्टेनबर्ग
कारखाना इलाकों से
विमान सेवाओं के लिए बुनियादी काम करने वाले एयरपोर्ट मज़दूर बुनियादी जरूरतों से भी वंचित हैं
कला-साहित्य
कविता : अंधेरे के सभी लोगों के लिए सूर्य के फल हों / पाब्लो नेरूदा
आपस की बात
आक्रमण का निशाना ए.आई.आई.ई.ए की जगह सरकार को बनाए / जयप्रकाश
हमें रस्मी नहीं वास्तविक विरोध करना होगा / सम्पादक, बिगुल
बीमा क्षेत्र को तबाही से कैसे बचायें / एक बीमाकर्मी, हल्द्वानी
बेरोजगारी नहीं दूर करना चाहती है-व्यवस्था / रंजीत सिंह
मज़दूरी के लिए संघर्ष हो / वेदपाल सिंह
जनता को बरगलाते हैं / रामपाल सिंह
‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्यता लें!
वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये
पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये
आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये
आर्थिक सहयोग भी करें!
बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन