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(मज़दूर बिगुल के नवम्बर 2014 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
मेहनतकश साथियो! धार्मिक जुनून की धूल उड़ाकर हक़ों पर डाका मत डालने दो!
अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय
भारत को ‘मैन्युफ़ैक्चरिंग हब’ बनाने के मोदी के सपने के मायने / आनन्द सिंह
काले धन की कालिमा और सफ़ेद धन की सफ़ेदी एक छलावा है / अखिल कुमार
3 तेल कम्पनियों को “नुक़सान” पूर्ति के लिए 11 हज़ार करोड़ की सरकारी मदद / रौशन
फासीवाद
दिल्ली के चुनाव में वोटों की फसल की कटाई से पहले दंगों की बुवाई
जॉयनवादी इज़रायली हत्यारों के संग मोदी सरकार की गलबहियाँ / आनन्द सिंह
संघर्षरत जनता
लुधियाना के टेक्सटाइल मजदूरों के संघर्ष की शानदार जीत
मज़दूर आंदोलन की समस्याएं
लाज एक्सपोर्ट के मज़दूर और किराये के नेता!
समाज
बुर्जुआ जनवाद – चुनावी नौटंकी
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों का रियलिटी शो / नारायण
विधानसभा चुनाव के बाद हरियाणा में भी “अच्छे दिनों” की शुरुआत
स्वास्थ्य
इबोला – महामारी या महाक़त्ल? / डॉ. अमृत
स्त्री मज़दूर
आधी आबादी की भागीदारी के बिना मज़दूर वर्ग की मुक्ति असम्भव है / श्वेता
घरेलू कामगार स्त्रियाँ: हक से वंचित एक बड़ी आबादी / शाकम्भरी
कारखाना इलाक़ों से
हीरो मोटोकार्प में भर्ती प्रक्रिया की एक तस्वीर!
वजीरपुर स्टील उद्योगः मौत और मायूसी के कारखाने / अमित
गतिविधि रिपोर्ट
कला-साहित्य
बेर्टोल्ट ब्रेष्ट की कविता – लेनिन जिन्दाबाद
ऑटो मज़दूर का गीत / राल्फ़ मार्लेट
कविता – देखो देखो! / भारत, दिल्ली
उद्धरण
धार्मिक बँटवारे की साज़िशों को नाकाम करो! पूँजीवादी लूट के ख़िलाफ़ एकता क़ायम करो!
मज़दूरों की कलम से
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लफ़ाज़ी और मज़दूर आबादी! / राहुल, करावलनगर मज़दूर यूनियन
मुनाफ़े की व्यवस्था में हम मज़दूरों का कोई भविष्य नहीं / अनूप तिवारी, सादतपुर, दिल्ली
हालात बदलने के लिए एक होना होगा / मो. हाशिम, खजूरी खास, दिल्ली
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन