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(मज़दूर बिगुल के जून 2012 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
संकट के दलदल में धँस रही भारतीय अर्थव्यवस्था
अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय
पेट्रोल मूल्य वृद्धि लोगों की जेब पर सरकारी डाकेज़नी / अजय स्वामी
आन्दोलन : समीक्षा-समाहार
महान शिक्षकों की कलम से
क्रान्तिकारी बुद्धिजीवियों से मज़दूर का वार्तालाप / लेनिन
स्त्री मज़दूर
पेशागत बीमारियों और इलाज में उपेक्षा की दोहरी मार झेलती हैं स्त्री मज़दूर / कविता
लेखमाला
माँगपत्रक शिक्षणमाला – 11 स्वतन्त्र दिहाड़ी मज़दूरों से जुड़ी विशेष माँगें
पेरिस कम्यून : पहले मज़दूर राज की सचित्र कथा (चौथी किश्त)
कारखाना इलाक़ों से
मौत के मुहाने पर : अलंग के जहाज़ तोड़ने वाले मज़दूर / लखविन्दर
करावलनगर की वॉकर फ़ैक्ट्रियों में मज़दूरों के हालात / नवीन
हज़ारों कारख़ाने, लाखों मज़दूर, मगर शोषण जारी बदस्तूर / सावित्री देवी, बादली, दिल्ली
पूर्व श्रम मन्त्री की फ़ैक्ट्री में श्रम क़ानून ठेंगे पर! / आनन्द, बादली, दिल्ली
मज़दूर बस्तियों से
हमारी बस्तियाँ इंसानों के रहने लायक नहीं / दिव्या, राजीव गाँधी कालोनी, लुधियाना
कला-साहित्य
कविता – कचोटती स्वतन्त्रता / नाज़िम हिकमत
ग़रीबों में सन्तोष का नुस्ख़ा / लू शुन
मज़दूरों की कलम से
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन