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(मज़दूर बिगुल के मई-जून 2019 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ़ फ़ाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
समाज
मुज़फ़्फ़रपुर : एक और सामूहिक हत्याकाण्ड
अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय
मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल : पूँजीपतियों को रिझाने के लिए रहे-सहे श्रम क़ानूनों की धज्जियाँ उड़ाने की तैयारी / आनन्द सिंह
पूँजीपतियों के मुनाफ़े की दर में गिरावट रोकने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाती मोदी सरकार / पराग वर्मा
विशेष लेख / रिपोर्ट
चुनाव ख़त्म, मज़दूरों की छँटनी शुरू
पश्चिम बंगाल में भाजपा की सफलता और संसदीय वाम राजनीति के कुकर्म / अभिषेक
चुनाव में ईवीएम के इस्तेमाल को लेकर आपको क्यों चिन्तित होना चाहिए? / अभिजीत ए. एम. के विस्तृत लेख पर आधारित
समीक्षा-समाहार
पर्यावरण
मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल : पर्यावरण विनाशक नीतियों के निरंकुश विस्तार और उसके भयावह परिणामों के लिए तैयार रहें / पावेल पराशर
पूँजी के राक्षसी जबड़ों से धरती और पर्यावरण को बचाना होगा
बोलते आँकड़े, चीख़ती सच्चाइयाँ
ख़र्चीला और विलासी बुर्जुआ लोकतन्त्र : जनता की पीठ पर भारी-भरकम बोझ सा सवार / आनन्द सिंह
सरकारी रिपोर्ट से भी उजागर हुए लगातार ख़राब होते मज़दूरों के हालात / सुरेश चौहान
मज़दूरों के हालात
अम्बेडकरनगर के ईंट-भट्ठों में भयंकर शोषण-उत्पीड़न के शिकार मज़दूर / मित्रसेन
लेखमाला
गतिविधि रिपोर्ट
इंक़लाबी जोश-ओ-ख़रोश के साथ मज़दूरों ने दी शिकागो के शहीदों को श्रद्धांजलि
ईवीएम में घपले के ख़िलाफ़ भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी (RWPI) का निर्वाचन आयोग पर विरोध प्रदर्शन!
कला-साहित्य
कहानी – बेघर छोटू / प्रो. शाह आलम ख़ान
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन