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(मज़दूर बिगुल के सितम्बर-नवम्बर 2018 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय
मोदी राज में बैंकिंग व वित्तीय सेक्टर के घपले-घोटाले और गहराता आर्थिक संकट / मुकेश असीम
ग़रीबों से जानलेवा वसूली और अमीरों को क़र्ज़ माफ़ी का तोहफ़ा / अखिल कुमार
फासीवाद / साम्प्रदायिकता
सनातन संस्था की असली जन्म कुंडली : बम धमाकों से महाराष्ट्र को कौन दहलाना चाहता था? / नितेश
संघर्षरत जनता
भगतसिंह के जन्मदिवस के दिन लखनऊ में शिक्षा-रोज़गार अधिकार अभियान ने दी पहली दस्तक
विरासत
टेक्स्टाइल उद्योग में हड़ताल और बोल्शेविकों का काम
पर्यावरण / विज्ञान
गतिविधि रिपोर्ट
ऑटोमोबाइल इण्डस्ट्री कॉण्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन का प्रथम सम्मेलन सफलतापूर्वक सम्पन्न
कला-साहित्य
कविता – 7 नवम्बर : जीतों के दिन की शान में गीत / पाब्लो नेरूदा
उद्धरण
धार्मिक बँटवारे की साज़िशों को नाकाम करो! पूँजीवादी लूट के ख़िलाफ़ एकता क़ायम करो!
आपस की बात
मेहनतकशों को आपस में कौन लड़ा रहा है, इसे समझो! / सत्यवीर सिंह
“स्वच्छ भारत अभियान” की कहानी झाड़ू की जुबानी / राघवेन्द्र तिवारी, मुम्बई
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन