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(मज़दूर बिगुल के अक्टूबर-दिसम्बर 2017 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय
वर्तमान आर्थिक संकट और मार्क्स की ‘पूँजी’ / मुकेश असीम
श्रम कानून
फासीवाद / साम्प्रदायिकता
गौरक्षा का गोरखधन्धा – फ़ासीवाद का असली चेहरा / वारुणी पूर्वा
अक्टूबर क्रान्ति विशेष
अक्टूबर क्रान्ति के नये संस्करणों की रचना के लिए – सजेंगे फिर नये लश्कर! मचेगा रण महाभीषण!
‘‘अब हम समाजवादी व्यवस्था का निर्माण शुरू करेंगे!’’ / जॉन रीड
”यह सबकुछ जनता की सम्पत्ति है!” / अल्बर्ट रीस विलियम्स
हथौड़े की मार / राहुल सांकृत्यायन (‘सोवियत भूमि’ पुस्तक का अंश)
“मैं आश्चर्य से भर जाता हूँ” / रवीन्द्रनाथ टैगोर
उन्मुक्त स्त्री / रामवृक्ष बेनीपुरी
संघर्षरत जनता
हरियाणा के चौशाला गाँव में अवैध खुर्दें (अवैध शराबी ठेका) बन्द करने के लिए प्रदर्शन
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के हॉस्टल मेस कर्मचारियों का संघर्ष ज़िन्दाबाद!
मज़दूर आंदोलन की समस्याएं
वाम गठबंधन की भारी जीत के बाद : नेपाल किस ओर? / आलोक रंजन
समाज
70 साल की आज़ादी का हासिल : भूख और कुपोषण के क्षेत्र में महाशक्ति / मुकेश असीम
झारखण्ड में भूख से बच्ची की मौत – पूँजीवादी ढाँचे द्वारा की गयी एक और निर्मम हत्या / पराग वर्मा
स्त्री विरोधी अपराधों पर चुप्पी तोड़ो! अपराधियों के पैदा होने की ज़मीन की शिनाख्त करो!
चुप रहना छोड़ दो! जाति की बेड़ियों को तोड़ दो!
महान जननायक
काकोरी के शहीदों को याद करो! लोगों को धर्म के नाम पर बाँटने की साज़िशों को नाकाम करो!!
आपस की बात
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मज़दूरों के महान नेता लेनिन