ग़रीबों पर मन्दी का कहर अभी जारी रहेगा
पूँजीवाद के तमाम हकीम-वैद्यों के हर तरह के टोनों-टोटकों के बावजूद पूँजीवाद का संकट दूर होता नज़र नहीं आ रहा है। तमाम पूँजीवादी आर्थिक संस्थाओं के आकलन बताते हैं कि अभी अगले दो-तीन वर्ष के भीतर मन्दी दूर होने के आसार नहीं हैं। और अगर उसके बाद धीरे-धीरे मन्दी का असर दूर हो भी गया तो वह उछाल अस्थायी ही होगी। भूलना नहीं चाहिए कि यह मन्दी पहले से चली आ रही दीर्घकालिक मन्दी के भीतर की मन्दी है और पूँजीवादी अर्थव्यवस्था इससे उबरेगी तो कुछ ही वर्षों में इससे भी भीषण मन्दी में फँस जायेगी। इस बूढ़ी, जर्जर, आदमखोर व्यवस्था को क़ब्र में धकेलकर ही इसकी अन्तहीन तकलीफ़ों का अन्त किया जा सकता है – और इन्सानियत को भी इसके पंजों से मुक्त किया सकता है।