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आर्काइव
मई 2016
आर्काइव
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देश को ख़ूनी दलदल या गुलामों के कैदख़ाने में तब्दील होने से बचाना है तो एकजुट होकर उठ खड़े हो!
जीएसटी और अन्य टैक्स नीतियों का मेहनतकशों की ज़िन्दगी पर असर
मई दिवस पर देशभर में उठी आवाज – मई दिवस का नारा है! सारा संसार हमारा है!
आर.एस.एस. और बी.एम.एस. के मई दिवस विरोध के असली कारण
‘आधार’ – जनता के दमन का औज़ार
मोदी सरकार के ख़िलाफ़ बेंगलुरु की स्त्री गारमेंट मज़दूरों ने संभाली कमान
पनामा पेपर्स मामला : पूँजीवादी पतन का एक प्रतिनिधि उदाहरण
कश्मीर : आओ देखो गलियों में बहता लहू
मार्क्स की ‘पूँजी’ को जानिये : चित्रांकनों के साथ (तीसरी किस्त)
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मार्च-अप्रैल 2016
आर्काइव
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देशद्रोही वे हैं जो इस देश के लुटेरों के साथ सौदे करते हैं और इसकी सन्तानों को लूटते हैं, उन्हें आपस में लड़ाते हैं, दबाते और कुचलते हैं!!
झूठी देशभक्ति और राष्ट्रवाद की चाशनी में डूबा संघी आतंक और फ़ासीवाद!
महाराष्ट्र में 2 करोड़ लोग कुपोषण के शिकार
सरकारों की बेरुखी का शिकार – ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना
मार्क्स की ‘पूँजी’ को जानिये : चित्रांकनों के साथ (दूसरी किस्त)
आरक्षण आन्दोलन, रोज़गार की लड़ाई और वर्ग चेतना का सवाल
ख़ुद की ज़िन्दगी दाँव पर लगा महानगर की चमक-दमक को बरकरार रखते बंगलूरू के पोराकर्मिका (सफ़ाईकर्मी)
मज़दूरों के महान नेता लेनिन के धर्म के बारे में दो उद्धरण
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फरवरी 2016
आर्काइव
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”देशभक्ति” के गुबार में आम मेहनतकश जनता की ज़िन्दगी के ज़रूरी मुद्दों को ढँक देने की कोशिश
रोहित वेमुला की सांस्थानिक हत्या से उपजे कुछ अहम सवाल जिनका जवाब जाति-उन्मूलन के लिए ज़रूरी है!
साथी नवकरण की याद में
रोबर्ट ओवन : महान काल्पनिक समाजवादी
सेठों ने डकारे बैंकों के 1.14 लाख करोड़ रुपये
पूँजीवादी खेती, अकाल और किसानों की आत्महत्याएँ
‘दिल्ली मास्टर प्लान 2021’ की भेंट चढ़ी ग़रीबों-मेहनतकशों की एक और बस्ती – शकूर बस्ती
होंडा मोटर्स, राजस्थान के मज़दूरों के आन्दोलन का बर्बर दमन, पर संघर्ष जारी है!
दवा उद्योग का आदमख़ोर गोरखधन्धा
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जनवरी 2016
आर्काइव
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नये साल में मज़दूर वर्ग को फासीवाद की काली घटाओं को चीरकर आगे बढ़ने का संकल्प लेना ही होगा
मार्क्स की ‘पूँजी’ को जानिये : चित्रांकनों के साथ – पहली किस्त
जलवायु संकट पर आयोजित पेरिस सम्मेलन : फिर खोखली बातें और दावे
समाजवादी चीन और पूँजीवादी चीन की दो फैक्टरियों के बीच फर्क
फ़ासीवादी वहशीपन की दिल दहलाने वाली दास्तान
मुनाफ़े के गोरखधन्धे में बलि चढ़ता विज्ञान और छटपटाता इन्सान
अर्थव्यवस्था का संकट और मज़दूर वर्ग
राम मन्दिर के बहाने साम्प्रदायिक तनाव पैदा करने की साज़िशें फिर तेज़
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दिसम्बर 2015
आर्काइव
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देशी-विदेशी लुटेरों की ताबेदारी में मजदूर-हितों पर सबसे बड़े हमले की तैयारी
चीन में आर्थिक संकट और मज़दूर वर्ग
चीन के बाद अब भारत के मज़दूरों के लहू को निचोड़ने की तैयारी में फ़ॉक्सकॉन
पंजाब सरकार द्वारा ”इंस्पेक्टर राज” के ख़ात्मे का ऐलान — पूँजीपतियों के हित में मज़दूरों-मेहनतकशों के हकों पर डाका
अपनी हरकतों के चौतरफा विरोध से बौखलाये संघी फासीवादी गिरोह की झूठ पर टिकी मुहिम
उड़न छापाखाना – रूस की मज़दूर क्रान्ति के दौरान गुप्त अख़बार की छपाई की रोमांचक और दिलचस्प दास्तान
दमनकारी पंजाब सरकार ने जनता पर थोपा काला कानून
‘जो जलता नहीं, वह धुएँ में अपने आपको नष्ट कर देता है’
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अक्टूबर-नवम्बर 2015
आर्काइव
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बिहार में मोदी और संघ परिवार की नीतियों की करारी हार – यह निश्चिन्त होने का नहीं बल्कि फासीवाद के विरुद्ध लड़ाई को और व्यापक व धारदार बनाने का समय है
‘डिजिटल इण्डिया’ स्कीम : सोच को नियंत्रित करने और रिलायंस का मुनाफ़ा बढ़ाने की एक नयी साज़िश
सनातन संस्था – फासीवादी सरकार की शह में फलता-फूलता आतंकवाद
हिन्दुत्ववादी फासिस्टों द्वारा दंगा कराने के हथकण्डों का भण्डाफोड़
महिन्द्रा एंड महिन्द्रा के मालिकाने वाली दक्षिण कोरिया की सांगयोंग कार कम्पनी के मज़दूरों का जुझारू संघर्ष
बाबाओं का मायाजाल और ज़िन्दगी बदलने की लड़ाई के ज़रूरी सवाल
युद्ध की विभीषिका और शरणार्थियों का भीषण संकट
ये मौतें बीमारी की वजह से हैं या कारण कुछ और है?
एक गोभक्त से भेंट / हरिशंकर परसाई
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अगस्त-सितम्बर 2015
आर्काइव
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अच्छे दिनों का भ्रम छोड़ो, एकजुट हो, सामने खड़ी चुनौतियों का मुकाबला करने की तैयारी करो!
धागों में उलझी ज़िन्दगियाँ – उद्योग नगर, गुड़गाँव में कपड़ा उद्योग के मज़दूरों के बीच हादसों और असन्तोष की दास्तान
डिलीवरी मज़दूरों के निर्मम शोषण पर टिका है ई-कॉमर्स का कारोबार
स्वदेशी का राग जपने वाले पाखण्डी राष्ट्रवादियों का असली चेहरा
सँभलो, है लगने वाला ताला ज़बान पर!
आखि़र आपके गुप्तांगों की तस्वीर और डीएनए मैपिंग क्यों चाहती है सरकार?
समाजवादी सोवियत संघ ने वेश्यावृत्ति का ख़ात्मा कैसे किया
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जुलाई 2015
आर्काइव
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चीन के प्रदूषणकारी कारख़ानों के खि़लाफ़ हज़ारों लोग सड़कों पर
अख़बार और मज़दूर
यूनानी जनता में पूँजीवाद के विकल्प की आकांक्षा और सिरिज़ा की शर्मनाक ग़द्दारी
मालवणी शराब काण्ड ने दिखाया पुलिस-प्रशासन-राजनेताओं का विद्रूप चेहरा
कौशल विकास: मज़दूरों के लिए नया झुनझुना और पूँजीपतियों के लिए रसमलाई
“अच्छे दिनों” की असलियत पहचानने में क्या अब भी कोई कसर बाक़ी है?
झुग्गियों में रहने वालों की ज़िन्दगी का कड़वा सच: विश्व स्तरीय शहर बनाने के लिए मेहनतकशों के घरों की आहुति!
खट्टर सरकार द्वारा नर्सिंग छात्राओं पर बर्बर पुलिसिया दमन!
समाजवादी रूस और चीन ने नशाख़ोरी का उन्मूलन कैसे किया
लाइलाज मर्ज़ से पीड़ित पूँजीवाद को अज़ीम प्रेमजी की ख़ैरात की घुट्टी
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जून 2015
आर्काइव
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“सामाजिक न्याय” के अलमबरदारों का अवसरवादी गँठजोड़ फ़ासीवादी राजनीति का कोई विकल्प नहीं दे सकता
मुम्बई में 100 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन?
अमीरज़ादों के लिए स्मार्ट सिटी, मेहनतकशों के लिए गन्दी बस्तियाँ
सलवा जुडूम का नया संस्करण
सावधान, सरकार आपके हर फ़ोन, मैसेज, ईमेल, नेट ब्राउिज़ंग की जासूसी कर रही है!
चिकित्सा में खुली मुनाफ़ाख़ोरी को बढ़ावा, जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़
इण्डोनेशिया में 10 लाख कम्युनिस्टों के क़त्लेआम के पचास वर्ष
दूसरे विश्वयुद्ध के समय हुए सोवियत-जर्मन समझौते के बारे में झूठा प्रोपेगैण्डा
हथियारों और युद्ध सामग्री के उद्योग पर टिकी अमेरिकी अर्थव्यवस्था
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मई 2015
आर्काइव
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श्रम सुधारों के नाम पर मोदी सरकार का मज़दूरों पर हमला तेज़
मोदी सरकार का भूमि अधिग्रहण अध्यादेश और मुआवज़े का अर्थशास्त्र
भूकम्प से मची तबाही से पूँजीवाद पल्ला नहीं झाड़ सकता
मोदी सरकार के “ऑपरेशन मैत्री” की असलियत और नेपाल त्रासदी में पूँजीवादी मीडिया की घृणित भूमिका
मोगा ऑर्बिट बस काण्ड: राजनीतिक सरपरस्ती तले पल-बढ़ रही गुण्डागर्दी का नतीजा
अखिलेश यादव के फ़र्ज़ी समाजवाद में मज़दूरों की बुरी हालत
माछिल फ़र्ज़ी मुठभेड़़ – भारतीय शासक वर्ग का चेहरा फिर बेनकाब हुआ!
हाशिमपुरा से तेलंगाना और चित्तूर तक भारतीय पूँजीवादी जनवाद के ख़ूनी जबड़ों की दास्तान
अमेरिका के फ़ास्ट फ़ूड कामगारों का संघर्ष
माकपा की 21वीं कांग्रेस : संशोधनवाद के मलकुण्ड में और भी गहराई से उतरकर मज़दूर वर्ग से ग़द्दारी की बेशर्म क़वायद
जनता के एक सच्चे लेखक एदुआर्दो गालिआनो की स्मृति में
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