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आर्काइव
जुलाई 2015
आर्काइव
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चीन के प्रदूषणकारी कारख़ानों के खि़लाफ़ हज़ारों लोग सड़कों पर
अख़बार और मज़दूर
यूनानी जनता में पूँजीवाद के विकल्प की आकांक्षा और सिरिज़ा की शर्मनाक ग़द्दारी
मालवणी शराब काण्ड ने दिखाया पुलिस-प्रशासन-राजनेताओं का विद्रूप चेहरा
कौशल विकास: मज़दूरों के लिए नया झुनझुना और पूँजीपतियों के लिए रसमलाई
“अच्छे दिनों” की असलियत पहचानने में क्या अब भी कोई कसर बाक़ी है?
झुग्गियों में रहने वालों की ज़िन्दगी का कड़वा सच: विश्व स्तरीय शहर बनाने के लिए मेहनतकशों के घरों की आहुति!
खट्टर सरकार द्वारा नर्सिंग छात्राओं पर बर्बर पुलिसिया दमन!
समाजवादी रूस और चीन ने नशाख़ोरी का उन्मूलन कैसे किया
लाइलाज मर्ज़ से पीड़ित पूँजीवाद को अज़ीम प्रेमजी की ख़ैरात की घुट्टी
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जून 2015
आर्काइव
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“सामाजिक न्याय” के अलमबरदारों का अवसरवादी गँठजोड़ फ़ासीवादी राजनीति का कोई विकल्प नहीं दे सकता
मुम्बई में 100 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन?
अमीरज़ादों के लिए स्मार्ट सिटी, मेहनतकशों के लिए गन्दी बस्तियाँ
सलवा जुडूम का नया संस्करण
सावधान, सरकार आपके हर फ़ोन, मैसेज, ईमेल, नेट ब्राउिज़ंग की जासूसी कर रही है!
चिकित्सा में खुली मुनाफ़ाख़ोरी को बढ़ावा, जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़
इण्डोनेशिया में 10 लाख कम्युनिस्टों के क़त्लेआम के पचास वर्ष
दूसरे विश्वयुद्ध के समय हुए सोवियत-जर्मन समझौते के बारे में झूठा प्रोपेगैण्डा
हथियारों और युद्ध सामग्री के उद्योग पर टिकी अमेरिकी अर्थव्यवस्था
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मई 2015
आर्काइव
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श्रम सुधारों के नाम पर मोदी सरकार का मज़दूरों पर हमला तेज़
मोदी सरकार का भूमि अधिग्रहण अध्यादेश और मुआवज़े का अर्थशास्त्र
भूकम्प से मची तबाही से पूँजीवाद पल्ला नहीं झाड़ सकता
मोदी सरकार के “ऑपरेशन मैत्री” की असलियत और नेपाल त्रासदी में पूँजीवादी मीडिया की घृणित भूमिका
मोगा ऑर्बिट बस काण्ड: राजनीतिक सरपरस्ती तले पल-बढ़ रही गुण्डागर्दी का नतीजा
अखिलेश यादव के फ़र्ज़ी समाजवाद में मज़दूरों की बुरी हालत
माछिल फ़र्ज़ी मुठभेड़़ – भारतीय शासक वर्ग का चेहरा फिर बेनकाब हुआ!
हाशिमपुरा से तेलंगाना और चित्तूर तक भारतीय पूँजीवादी जनवाद के ख़ूनी जबड़ों की दास्तान
अमेरिका के फ़ास्ट फ़ूड कामगारों का संघर्ष
माकपा की 21वीं कांग्रेस : संशोधनवाद के मलकुण्ड में और भी गहराई से उतरकर मज़दूर वर्ग से ग़द्दारी की बेशर्म क़वायद
जनता के एक सच्चे लेखक एदुआर्दो गालिआनो की स्मृति में
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अप्रैल 2015
आर्काइव
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मज़दूर वर्ग का नया शत्रु और पूँजीवाद का नया दलाल – अरविन्द केजरीवाल
हम हार नहीं मानेंगे! हम लड़ना नहीं छोड़ेंगे!
केजरीवाल सरकार को वादों की याद दिलाने दिल्ली सचिवालय पहुँचे ठेका मज़दूरों पर पुलिस का बुरी तरह लाठीचार्ज
मोदी सरकार का भूमि अधिग्रहण अध्यादेश – किसानों के जनवादी अधिकारों पर तीखा हमला
ई.एस.आई. ख़त्म करने की मोदी सरकार की मज़दूर-विरोधी साज़िशें
वियतनाम में मज़दूरों की जुझारू एकजुटता ने ज़ुल्मी हुक़्मरानों को झुकाया
‘वज़ीरपुर मज़दूर’ अख़बारः लफ्फ़ाज़ी का नया नमूना
इस्लामिक राजतंत्र और अमेरिकी साम्राज्यवाद के गँठजोड़ ने रचा एक और देश में मौत का तांडव
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मार्च 2015
आर्काइव
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केन्द्रीय बजट 2015-2016: जनता की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़कर थैलीशाहों की थैलियाँ भरने का पूरा इंतज़ाम
समाजवादी चीन ने स्त्रियों की गुलामी की बेड़ियों को कैसे तोड़ा
दूसरा उत्तराखंड बनने की राह पर हैं हिमाचल प्रदेश
पूँजी के और उजरती श्रम के हित हमेशा एक दूसरे के बिल्कुल विरोधी होते हैं
हरियाणा के मनरेगा मज़दूरों का संघर्ष जारी!
मुख्यमंत्री केजरीवाल से मिलने गये मेट्रो मज़दूरों पर बरसी पुलिस की लाठी
भारत में जन्म लेने वाले अधिकतर बच्चे और उन्हें जन्म देने वाली गर्भवती माँएँ कुपोषित
हर पाँच में चार लोग अपराध साबित हुए बिना ही भारतीय जेलों के नर्क के क़ैदी हैं
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फरवरी 2015
आर्काइव
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दिल्ली में ‘आम आदमी पार्टी’ की अभूतपूर्व विजय और मज़दूर आन्दोलन के लिए कुछ सबक
देश की 50 फ़ीसदी युवा आबादी के सामने क्या है राजनीतिक-आर्थिक विकल्प?
पंजाब में चुनावी पार्टियों की नशा-विरोधी मुहिम का ढोंग
उत्तर-पूर्व की उत्पीड़ित राष्ट्रीयताएँ और दिल्ली की केन्द्रीय सत्ता
केजरीवाल की राजनीति और भविष्य की सम्भावनाओं पर कुछ बातें
अमेरिका व भारत की “मित्रता” के असल मायने
सेज़ के बहाने देश की सम्पदा को दोनो हाथों से लूटकर अपनी तिज़ोरी भर रहे हैं मालिक!
कोल इण्डिया लिमिटेड में विनिवेश
कॉरपोरेट जगत की तिजोरियाँ भरने के लिए जनहित योजनाओं की बलि चढ़ाने की शुरुआत
साम्प्रदायिक फासीवाद के विरोध में कई राज्यों में जुझारू जनएकजुटता अभियान
कुछ सीधी-सादी समाजवादी सच्चाइयाँ
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जनवरी 2015
आर्काइव
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पूँजीवादी नंगी लूट के विरोध को बाँटने-तोड़ने के लिए साम्प्रदायिक खेल शुरू!
प्रवासी स्त्री मज़दूर: घरों की चारदीवारी में क़ैद आधुनिक ग़ुलाम
मुनाफ़े की व्यवस्था में बेअसर हो रही जीवनरक्षक दवाएँ
इस बार अरविन्द केजरीवाल और ‘आम आदमी पार्टी’ वाले ठेका मज़दूरों का मुद्दा क्यों नहीं उठा रहे हैं?
कोयला ख़ान मज़दूरों के साथ केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों की घृणित ग़द्दारी
स्तालिन कालीन सोवियत संघ के इतिहास के कुछ तथ्य और नये खुलासों पर एक नज़र
पुलिसकर्मियों में व्याप्त घनघोर स्त्री-विरोधी विचार
अमेरिकी सत्ताधारियों के पापों का बोझ ढोते सैनिक
ढण्डारी बलात्कार व क़त्ल काण्ड – गुण्डा-पुलिस-राजनीतिक गठजोड़ के खि़लाफ़ विशाल लामबन्दी, जुझारू संघर्ष
औद्योगिक कचरे से दोआबा क्षेत्र का भूजल और नदियाँ हुईं ज़हरीली
क्यों असफ़ल हुआ अस्ति मज़दूरों का साहसिक संघर्ष?
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दिसम्बर 2014
आर्काइव
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साम्राज्यवादी संकट के समय में सरमायेदारी के सरदारों की साज़िशें और सौदेबाज़ियाँ और मज़दूर वर्ग के लिए सबक
मोदी सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों को औने-पौने दामों में निजी पूँजीपतियों को बेचने के लिए कमर कसी
निवेश के नाम पर चीन के प्रदूषणकारी उद्योगों को भारत में लगाने की तैयारी
फ़ॉक्सकॉन के मज़दूरों का नारकीय जीवन
मोदी सरकार के अगले साढ़े-चार वर्षों के बारे में वैज्ञानिक तथ्य-विश्लेषण आधारित कुछ भविष्यवाणियाँ!
जनता को तोपें और बमवर्षक नहीं बल्कि रोटी, रोज़गार, सेहत व शिक्षा जैसी बुनियादी ज़रूरतें चाहिए
पाखण्ड का नया नमूना रामपाल: आखि़र क्यों पैदा होते हैं ऐसे ढोंगी बाबा?
1984 के ख़ूनी वर्ष के 30 साल – अब भी जारी हैं योजनाबद्ध साम्प्रदायिक दंगे और औद्योगिक हत्याएँ
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नवम्बर 2014
आर्काइव
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मेहनतकश साथियो! धार्मिक जुनून की धूल उड़ाकर हक़ों पर डाका मत डालने दो!
भारत को ‘मैन्युफ़ैक्चरिंग हब’ बनाने के मोदी के सपने के मायने
लुधियाना के टेक्सटाइल मजदूरों के संघर्ष की शानदार जीत
काले धन की कालिमा और सफ़ेद धन की सफ़ेदी एक छलावा है
दिल्ली के चुनाव में वोटों की फसल की कटाई से पहले दंगों की बुवाई
3 तेल कम्पनियों को “नुक़सान” पूर्ति के लिए 11 हज़ार करोड़ की सरकारी मदद
इबोला – महामारी या महाक़त्ल?
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अक्टूबर 2014
आर्काइव
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दोनों हाथ मज़दूर को लूटो, बोलो ‘श्रमेव जयते’!
अमीर और ग़रीब के बीच बढ़ती खाई से दुनिया भर के हुक़्मरान फ़िक्रमन्द – आखि़र ये माजरा क्या है?
मक्सिम गोर्की की कहानी – करोड़पति कैसे होते हैं
मोदी सरकार का नया तोहफ़ा: जीवनरक्षक दवाओं के दामों में भारी वृद्धि
निठारी काण्ड का फैसला: पूँजीवादी व्यवस्था में ग़रीबों-मेहनतकशों को इंसाफ़ मिल ही नहीं सकता
नरेन्द्र मोदी का “स्वच्छ भारत अभियान” : जनता को मूर्ख बनाने की नयी नौटंकी
कश्मीर में बाढ़ और भारत में अंधराष्ट्रवाद की आँधी
हर देश में अमानवीय शोषण-उत्पीड़न और अपमान के शिकार हैं प्रवासी मज़दूर
छात्र-युवा आन्दोलन में नया उभार और भविष्य के संकेत
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