Category Archives: आर्काइव

जून 2016

  • नाकाम मोदी सरकार और संघ परिवार पूरी बेशर्मी से नफ़रत की खेती में जुट चुके हैं!
  • उद्योग सुस्त, रोज़गार सृजन पस्त, महँगाई बढ़ी, आमदनी घटी – ”अच्छे दिनों” की बुरी हक़ीक़त!
  • किसानों-खेत मज़दूरों की बढ़ती आत्महत्याएँ और कर्ज़ की समस्या : जिम्‍मेदार कौन है? रास्‍ता क्‍या है?
  • बुरे दिनों की एक और आहट – बजरंग दल के शस्त्र प्रशिक्षण शिविर
  • चॉकलेट उद्योग का ग़ुलाम बचपन
  • मार्क्स की ‘पूँजी’ को जानिये : चित्रांकनों के साथ (चौथी किस्त)
  • आर्थिक संकट की चपेट में विकसित मुल्कों के मेहनतकश लोग
  • गहराते आर्थिक संकट के बीच बढ़ रहा वैश्विक व्यापार युद्ध का ख़तरा
  • टेक्सटाइल-होज़री मज़दूरों की हड़तालों ने अड़ियल मालिकों को झुकने के लिए मजबूर किया
  • मार्च-अप्रैल 2016

  • देशद्रोही वे हैं जो इस देश के लुटेरों के साथ सौदे करते हैं और इसकी सन्तानों को लूटते हैं, उन्हें आपस में लड़ाते हैं, दबाते और कुचलते हैं!!
  • झूठी देशभक्ति और राष्ट्रवाद की चाशनी में डूबा संघी आतंक और फ़ासीवाद!
  • महाराष्ट्र में 2 करोड़ लोग कुपोषण के शिकार
  • सरकारों की बेरुखी का शिकार – ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना
  • मार्क्स की ‘पूँजी’ को जानिये : चित्रांकनों के साथ (दूसरी किस्त)
  • आरक्षण आन्दोलन, रोज़गार की लड़ाई और वर्ग चेतना का सवाल
  • ख़ुद की ज़िन्दगी दाँव पर लगा महानगर की चमक-दमक को बरकरार रखते बंगलूरू के पोराकर्मिका (सफ़ाईकर्मी)
  • मज़दूरों के महान नेता लेनिन के धर्म के बारे में दो उद्धरण
  • दिसम्‍बर 2015

  • देशी-विदेशी लुटेरों की ताबेदारी में मजदूर-हितों पर सबसे बड़े हमले की तैयारी
  • चीन में आर्थिक संकट और मज़दूर वर्ग
  • चीन के बाद अब भारत के मज़दूरों के लहू को निचोड़ने की तैयारी में फ़ॉक्सकॉन
  • पंजाब सरकार द्वारा ”इंस्पेक्टर राज” के ख़ात्मे का ऐलान — पूँजीपतियों के हित में मज़दूरों-मेहनतकशों के हकों पर डाका
  • अपनी हरकतों के चौतरफा विरोध से बौखलाये संघी फासीवादी गिरोह की झूठ पर टिकी मुहिम
  • उड़न छापाखाना – रूस की मज़दूर क्रान्ति के दौरान गुप्त अख़बार की छपाई की रोमांचक और दिलचस्प दास्तान
  • दमनकारी पंजाब सरकार ने जनता पर थोपा काला कानून
  • ‘जो जलता नहीं, वह धुएँ में अपने आपको नष्ट कर देता है’
  • अक्‍टूबर-नवम्‍बर 2015

  • बिहार में मोदी और संघ परिवार की नीतियों की करारी हार – यह निश्चिन्‍त होने का नहीं बल्कि फासीवाद के विरुद्ध लड़ाई को और व्‍यापक व धारदार बनाने का समय है
  • ‘डिजिटल इण्डिया’ स्कीम : सोच को नियंत्रित करने और रिलायंस का मुनाफ़ा बढ़ाने की एक नयी साज़िश
  • सनातन संस्था – फासीवादी सरकार की शह में फलता-फूलता आतंकवाद
  • हिन्दुत्ववादी फासिस्टों द्वारा दंगा कराने के हथकण्डों का भण्डाफोड़
  • महिन्द्रा एंड महिन्द्रा के मालिकाने वाली दक्षिण कोरिया की सांगयोंग कार कम्पनी के मज़दूरों का जुझारू संघर्ष
  • बाबाओं का मायाजाल और ज़िन्दगी बदलने की लड़ाई के ज़रूरी सवाल
  • युद्ध की वि‍भीषिका और शरणार्थियों का भीषण संकट
  • ये मौतें बीमारी की वजह से हैं या कारण कुछ और है?
  • एक गोभक्त से भेंट / हरिशंकर परसाई
  • जुलाई 2015

  • चीन के प्रदूषणकारी कारख़ानों के खि़लाफ़ हज़ारों लोग सड़कों पर
  • अख़बार और मज़दूर
  • यूनानी जनता में पूँजीवाद के विकल्प की आकांक्षा और सिरिज़ा की शर्मनाक ग़द्दारी
  • मालवणी शराब काण्ड ने दिखाया पुलिस-प्रशासन-राजनेताओं का विद्रूप चेहरा
  • कौशल विकास: मज़दूरों के लिए नया झुनझुना और पूँजीपतियों के लिए रसमलाई
  • “अच्छे दिनों” की असलियत पहचानने में क्या अब भी कोई कसर बाक़ी है?
  • झुग्गियों में रहने वालों की ज़िन्दगी का कड़वा सच: विश्व स्तरीय शहर बनाने के लिए मेहनतकशों के घरों की आहुति!
  • खट्टर सरकार द्वारा नर्सिंग छात्राओं पर बर्बर पुलिसिया दमन!
  • समाजवादी रूस और चीन ने नशाख़ोरी का उन्मूलन कैसे किया
  • लाइलाज मर्ज़ से पीड़ित पूँजीवाद को अज़ीम प्रेमजी की ख़ैरात की घुट्टी
  • जून 2015

  • “सामाजिक न्याय” के अलमबरदारों का अवसरवादी गँठजोड़ फ़ासीवादी राजनीति का कोई विकल्प नहीं दे सकता
  • मुम्बई में 100 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन?
  • अमीरज़ादों के लिए स्मार्ट सिटी, मेहनतकशों के लिए गन्दी बस्तियाँ
  • सलवा जुडूम का नया संस्करण
  • सावधान, सरकार आपके हर फ़ोन, मैसेज, ईमेल, नेट ब्राउिज़ंग की जासूसी कर रही है!
  • चिकित्सा में खुली मुनाफ़ाख़ोरी को बढ़ावा, जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़
  • इण्डोनेशिया में 10 लाख कम्युनिस्टों के क़त्लेआम के पचास वर्ष
  • दूसरे विश्वयुद्ध के समय हुए सोवियत-जर्मन समझौते के बारे में झूठा प्रोपेगैण्डा
  • हथियारों और युद्ध सामग्री के उद्योग पर टिकी अमेरिकी अर्थव्यवस्था