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आर्काइव
जनवरी 2017
आर्काइव
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हिन्दुत्ववादी फासिस्टों और रंग-बिरंगे लुटेरे चुनावी मदारियों के बीच जनता के पास चुनने के लिए क्या है?
क्या आपको अपने मोबाइल फ़ोन में से किसी बच्चे की आहों की आवाज़ आ रही है
नकली देशभक्ति का शोर और सेना के जवानों की उठती आवाज़ें
“अच्छे दिन” के कानफाड़ू शोर के बीच 2% बढ़ गयी किसानों और मज़दूरों की आत्महत्या दर!
नोटबन्दी को लेकर सारे सरकारी दावे झूठे: जनता की मेहनत की कमाई पर डाका
मध्य प्रदेश – नवजात बच्चों का नर्क
नये साल के ठीक पहले झारखण्ड की कोयला खदान में दर्दनाक हादसा
मोदी मण्डली के जन-कल्याण के हवाई दावे बनाम दौलत के असमान बँटवारे में तेज़ वृद्धि
हिन्दुत्ववादी कट्टरपंथियों और पुलिस को जनवादी जनसंगठनों की एकता ने दिया मुँहतोड़ जवाब
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दिसम्बर 2016
आर्काइव
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मेहनतकश जन-जीवन पर पूँजी के चतुर्दिक हमलों के बीच गुज़रा एक और साल
फासीवाद की बुनियादी समझ बनायें और आगे बढ़कर अपनी ज़िम्मेदारी निभायें
शासक वर्गों द्वारा मेहनतकशों की जातिगत गोलबन्दी का विरोध करो! अपने असली दुश्मन को पहचानो!
अक्टूबर क्रान्ति की विरासत और इक्कीसवीं सदी की नयी समाजवादी क्रान्तियों की चुनौतियाँ
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ‘समान काम के लिए समान वेतन’ का फ़ैसला लेकिन देश की बहुसंख्यक मज़दूर आबादी को इससे हासिल होगा क्या?
नोटबन्दी – जनता की गाढ़ी कमाई से सरमायेदारों की तिजोरियाँ भरने का बन्दोबस्त
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की जीत का मतलब क्या है?
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अक्टूबर-नवम्बर 2016
आर्काइव
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अक्टूबर क्रान्ति की स्मृतियों से संकल्प लो – नयी सदी की नयी समाजवादी क्रान्तियों की तैयारी करो
विकास के शोर के बीच भूख से दम तोड़ता मेहनतकश
समाज सेवा के नाम पर बच्चियों की तस्करी – आर.एस.एस. का साम्प्रदायिक, स्त्री विरोधी चरित्र हुआ और नंगा
ग़रीबों के मुँह का ग्रास छीनकर बढ़ती जीडीपी और मालिकों के मुनाफ़े!
बड़े नोटों पर पाबन्दी – अमीरों के जुर्मों की सज़ा ग़रीबों को
अक्टूबर क्रान्ति के शताब्दी वर्ष की शुरुआत के अवसर पर ‘लेनिन कथा’ से कुछ अंश
फ़ासिस्ट ट्रम्प की जीत ने उतारा साम्राज्यवाद के चौधरी के मुँह से उदारवादी मुखौटा
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अगस्त-सितम्बर 2016
आर्काइव
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पूँजीवादी मुनाफे का चक्का जाम करने के लिए मज़दूरों को अपनी एकता को मज़बूत कर लम्बी लड़ाई लड़नी होगी!
जनता की बदहाली के दम पर दिनों-दिन बढ़ रही है भारत के धन्नासेठों की आमदनी
पूँजीवाद और स्वास्थ्य सेवाओं की बीमारी
कारखाना (संशोधन) विधेयक 2016 : मोदी सरकार ने भोंका मज़दूरों की पीठ में छुरा !
दाल की बढ़ती कीमतों की हक़ीक़त
मार्क्स की ‘पूँजी’ को जानिये : चित्रांकनों के साथ (छठी किस्त)
सिर पर छत की ख़ातिर नैतिकता की नीलामी के लिए मजबूर लोग
होंडा मज़दूरों का संघर्ष जारी है!
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जुलाई 2016
आर्काइव
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लुभावने जुमलों से कुछ न मिलेगा, हक़ पाने हैं तो लड़ना होगा!
मार्क्स की ‘पूँजी’ को जानिये : चित्रांकनों के साथ (पाँचवी किस्त)
मौत की खदानों में मुनाफे का खेल
भाजपा और आरएसएस के दलित प्रेम और स्त्री सम्मान का सच
फासीवादी नारों की हक़ीक़त – हिटलर से मोदी तक
लाखों खाली पड़े घर और करोड़ों बेघर लोग – पूँजीवादी विकास की क्रूर सच्चाई
गुड़गाँव में मज़दूरों के एक रिहायशी लॉज की चिट्ठी, मज़दूर बिगुल के नाम!
बरगदवां, गोरखपुर में मज़दूर नयी चेतना और जुझारूपन के साथ एक बार फिर संघर्ष की राह पर
दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के ठेका मज़दूरों के लम्बे संघर्ष की एक बड़ी जीत!
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जून 2016
आर्काइव
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नाकाम मोदी सरकार और संघ परिवार पूरी बेशर्मी से नफ़रत की खेती में जुट चुके हैं!
उद्योग सुस्त, रोज़गार सृजन पस्त, महँगाई बढ़ी, आमदनी घटी – ”अच्छे दिनों” की बुरी हक़ीक़त!
किसानों-खेत मज़दूरों की बढ़ती आत्महत्याएँ और कर्ज़ की समस्या : जिम्मेदार कौन है? रास्ता क्या है?
बुरे दिनों की एक और आहट – बजरंग दल के शस्त्र प्रशिक्षण शिविर
चॉकलेट उद्योग का ग़ुलाम बचपन
मार्क्स की ‘पूँजी’ को जानिये : चित्रांकनों के साथ (चौथी किस्त)
आर्थिक संकट की चपेट में विकसित मुल्कों के मेहनतकश लोग
गहराते आर्थिक संकट के बीच बढ़ रहा वैश्विक व्यापार युद्ध का ख़तरा
टेक्सटाइल-होज़री मज़दूरों की हड़तालों ने अड़ियल मालिकों को झुकने के लिए मजबूर किया
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मई 2016
आर्काइव
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देश को ख़ूनी दलदल या गुलामों के कैदख़ाने में तब्दील होने से बचाना है तो एकजुट होकर उठ खड़े हो!
जीएसटी और अन्य टैक्स नीतियों का मेहनतकशों की ज़िन्दगी पर असर
मई दिवस पर देशभर में उठी आवाज – मई दिवस का नारा है! सारा संसार हमारा है!
आर.एस.एस. और बी.एम.एस. के मई दिवस विरोध के असली कारण
‘आधार’ – जनता के दमन का औज़ार
मोदी सरकार के ख़िलाफ़ बेंगलुरु की स्त्री गारमेंट मज़दूरों ने संभाली कमान
पनामा पेपर्स मामला : पूँजीवादी पतन का एक प्रतिनिधि उदाहरण
कश्मीर : आओ देखो गलियों में बहता लहू
मार्क्स की ‘पूँजी’ को जानिये : चित्रांकनों के साथ (तीसरी किस्त)
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मार्च-अप्रैल 2016
आर्काइव
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देशद्रोही वे हैं जो इस देश के लुटेरों के साथ सौदे करते हैं और इसकी सन्तानों को लूटते हैं, उन्हें आपस में लड़ाते हैं, दबाते और कुचलते हैं!!
झूठी देशभक्ति और राष्ट्रवाद की चाशनी में डूबा संघी आतंक और फ़ासीवाद!
महाराष्ट्र में 2 करोड़ लोग कुपोषण के शिकार
सरकारों की बेरुखी का शिकार – ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना
मार्क्स की ‘पूँजी’ को जानिये : चित्रांकनों के साथ (दूसरी किस्त)
आरक्षण आन्दोलन, रोज़गार की लड़ाई और वर्ग चेतना का सवाल
ख़ुद की ज़िन्दगी दाँव पर लगा महानगर की चमक-दमक को बरकरार रखते बंगलूरू के पोराकर्मिका (सफ़ाईकर्मी)
मज़दूरों के महान नेता लेनिन के धर्म के बारे में दो उद्धरण
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फरवरी 2016
आर्काइव
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”देशभक्ति” के गुबार में आम मेहनतकश जनता की ज़िन्दगी के ज़रूरी मुद्दों को ढँक देने की कोशिश
रोहित वेमुला की सांस्थानिक हत्या से उपजे कुछ अहम सवाल जिनका जवाब जाति-उन्मूलन के लिए ज़रूरी है!
साथी नवकरण की याद में
रोबर्ट ओवन : महान काल्पनिक समाजवादी
सेठों ने डकारे बैंकों के 1.14 लाख करोड़ रुपये
पूँजीवादी खेती, अकाल और किसानों की आत्महत्याएँ
‘दिल्ली मास्टर प्लान 2021’ की भेंट चढ़ी ग़रीबों-मेहनतकशों की एक और बस्ती – शकूर बस्ती
होंडा मोटर्स, राजस्थान के मज़दूरों के आन्दोलन का बर्बर दमन, पर संघर्ष जारी है!
दवा उद्योग का आदमख़ोर गोरखधन्धा
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जनवरी 2016
आर्काइव
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नये साल में मज़दूर वर्ग को फासीवाद की काली घटाओं को चीरकर आगे बढ़ने का संकल्प लेना ही होगा
मार्क्स की ‘पूँजी’ को जानिये : चित्रांकनों के साथ – पहली किस्त
जलवायु संकट पर आयोजित पेरिस सम्मेलन : फिर खोखली बातें और दावे
समाजवादी चीन और पूँजीवादी चीन की दो फैक्टरियों के बीच फर्क
फ़ासीवादी वहशीपन की दिल दहलाने वाली दास्तान
मुनाफ़े के गोरखधन्धे में बलि चढ़ता विज्ञान और छटपटाता इन्सान
अर्थव्यवस्था का संकट और मज़दूर वर्ग
राम मन्दिर के बहाने साम्प्रदायिक तनाव पैदा करने की साज़िशें फिर तेज़
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