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आर्काइव
नवम्बर 2009
आर्काइव
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एक युद्ध जनता के विरुद्ध : पूरे देश में सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) कानून लागू करने की तैयारी
गोरखपुर में मज़दूर आन्दोलन की शानदार जीत
बुर्जुआ जनवाद : संकीर्ण, पाखण्डपूर्ण, जाली और झूठा; अमीरों के लिए जनवाद और गरीबों के लिए झाँसा
फ़ासीवाद क्या है और इससे कैसे लड़ें? (पाँचवीं किश्त)
केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों का संयुक्त तमाशा
गुड़गाँव में हज़ारों-हज़ार मज़दूर सड़कों पर उतरे – यह सतह के नीचे धधकते ज्वालामुखी का संकेत भर है
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अक्टूबर 2009
आर्काइव
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सबसे बड़ा आतंकवाद है राजकीय आतंकवाद और वही है हर किस्म के आतंकवाद का मूल कारण
हिटलर को हराकर दुनिया को फासीवाद के राक्षस से मजदूरों के राज ने ही बचाया था
बीसवीं सदी की दूसरी महानतम क्रान्ति मेहनतकश जनता के लिए प्रेरणा का अक्षयस्रोत बनी रहेगी!
अदम्य बोल्शेविक – नताशा एक संक्षिप्त जीवनी ( दसवीं किश्त)
दिल्ली मेट्रो फीडर के चालकों-परिचालकों की सफल हड़ताल
गोरखपुर में मजदूरों की एकजुटता के आगे झुके मिल मालिक
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सितम्बर 2009
आर्काइव
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ग़रीबों पर मन्दी का कहर अभी जारी रहेगा
फ़ासीवाद क्या है और इससे कैसे लड़ें? (चौथी किश्त)
फ़र्ज़ी मुठभेड़ों, पुलिस हिरासत में प्रतिदिन 4 बेकसूर मारे जाते हैं
पंजाब में भी जनता बदहाल, नेता मालामाल
जजों की सम्पत्ति सार्वजनिक करने या न करने के बारे में
मज़दूर वर्ग का नारा होना चाहिए – “मज़दूरी की व्यवस्था का नाश हो!”
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अगस्त 2009
आर्काइव
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बेहिसाब महँगाई से ग़रीबों की भारी आबादी के लिए जीने का संकट
गोरखपुर में मज़दूरों की बढती एकजुटता और संघर्ष से मालिक घबराये
नारकीय हालात में रहते और काम करते हैं दिल्ली मेट्रो के निर्माण कार्यों में लगे हज़ारों मज़दूर
”अतुलनीय भारत” – जहाँ हर चौथा आदमी भूखा है!
छँटनी के ख़िलाफ कोरिया के मजदूरों का बहादुराना संघर्ष
फ़ासीवाद क्या है और इससे कैसे लड़ें? (तीसरी किश्त)
अदम्य बोल्शेविक – नताशा एक संक्षिप्त जीवनी (आठवीं किश्त)
अमानवीय शोषण-उत्पीड़न के शिकार तमिलनाडु के भट्ठा मज़दूर
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जुलाई 2009
आर्काइव
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ग़रीबों को राहत योजनाओं के हवाई गुब्बारे थमाकर पूँजीपतियों की लूट के मुकम्मल इन्तजाम!!
फ़ासीवाद क्या है और इससे कैसे लड़ें? (दूसरी किश्त)
दिल्ली मेट्रो की दुर्घटना में मज़दूरों की मौत का जिम्मेदार कौन?
गोरखपुर में तीन कारखानों के मजदूरों के एकजुट संघर्ष की शानदार जीत
कॉमरेड हरभजन सिंह सोही को क्रान्तिकारी श्रद्धांजलि
हड़तालों के विषय में – लेनिन
अदम्य बोल्शेविक – नताशा एक संक्षिप्त जीवनी (सातवीं किश्त)
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जून 2009
आर्काइव
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यूपीए सरकार का नया एजेण्डा : अब बेरोकटोक लागू होंगी पूँजीवादी विकास की नीतियाँ
पूँजीवादी लोकतंत्र में ”बहुमत” की असलियत : महज़ 12 प्रतिशत लोगों के प्रतिनिधि हैं देश के नये सांसद
स्विस बैंकों में जमा 72 लाख करोड़ की काली कमाई पूँजीवादी लूट के सागर में तैरते हिमखण्ड का ऊपरी सिरा भर है
नेपाली क्रान्ति किस ओर? नयी परिस्थितियाँ और पुराने सवाल
फ़ासीवाद क्या है और इससे कैसे लड़ें
चीन के नये पूँजीवादी शासकों के ख़िलाफ 4 जून, 1989 को त्येनआनमेन पर हुए जनविद्रोह के बर्बर दमन की 20वीं बरसी पर
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मई 2009
आर्काइव
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मई दिवस अनुष्ठान नहीं, संकल्पों को फौलादी बनाने का दिन है!
मई 1886 का वह रक्तरंजित दिन जब मज़दूरों के बहते ख़ून से जन्मा लाल झण्डा
नताशा – एक महिला बोल्शेविक संगठनकर्ता (पाँचवीं किश्त)
चेन्नई के सफाई कामगारों की हालत देशभर के सफाईकर्मियों का आईना है
प्रवासी मज़दूर : चिकित्सा सेवाओं के शरणार्थी — बुनियादी चिकित्सा सुविधाओं से भी वंचित रहते हैं प्रवासी मज़दूर
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अप्रैल 2009
आर्काइव
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न कोई नारा, न कोई मुद्दा – चुनाव नहीं ये लुटेरों के गिरोहों के बीच की जंग है
मन्दी के विरोध में दुनियाभर में फैलता जनआक्रोश
झुग्गीवालों की कहानी पर कोठीवाले मस्त! या इलाही ये माजरा क्या है?
आर्थिक संकट का सारा बोझ मज़दूरों पर
ग़रीब किसानों और मज़दूरों के ‘राहुल बाबा’
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मार्च 2009
आर्काइव
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आधी आबादी को शामिल किये बिना मानव मुक्ति की लड़ाई सफल नहीं हो सकती!!
अदम्य बोल्शेविक – नताशा – एक संक्षिप्त जीवनी (तीसरी क़िश्त)
आर्थिक संकट पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की लाइलाज बीमारी है
राष्ट्रीय राजधानी में ग़रीबों के गुमशुदा बच्चों और पुलिस-प्रशासन के ग़रीब-विरोधी रवैये पर बिगुल मज़दूर दस्ता और नौजवान भारत सभा की रिपोर्ट
कैसी तरक्की, किसकी तरक्की? हमारे बच्चों को भरपेट खाना तक नसीब नहीं
मज़दूरों पर मन्दी की मार: छँटनी, बेरोज़गारी का तेज़ होता सिलसिला
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फरवरी 2009
आर्काइव
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जंगल की आग की तरह फैलती विश्वव्यापी आर्थिक मन्दी करोड़ों मेहनतकशों के रोज़गार निगल चुकी है
विश्वव्यापी मन्दी पूँजीवाद की लाइलाज बीमारी का एक लक्षण है!
नेपाली क्रान्ति: नये दौर की समस्याएँ और चुनौतियाँ, सम्भावनाएँ और दिशाएँ
अदम्य बोल्शेविक – नताशा – एक संक्षिप्त जीवनी (दूसरी क़िश्त)
सफ़ाई कर्मचारियों की सेहत और सुरक्षा का ध्यान कौन रखेगा, जज महोदय?
चीन के नकली कम्युनिस्टों को सता रहा है “दुश्मनों” यानी मेहनतकशों का डर
गाज़ा में इज़रायल की हार
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चुनाव सिर्फ यह है कि ठगों-लुटेरों-अपराधियों का कौनसा गिरोह हमारे ऊपर हुकूमत करेगा
एक नये क्रान्तिकारी मजदूर अख़बार की जरूरत
पेरू : जुल्म के अंधेरे में चमकता लाल निशान
श्रमिक क्रान्ति निश्चय की साम्राज्यवाद-पूँजीवाद का नाश करेगी / भगतसिंह
मजदूरों के लिए आजादी और खुशहाली का रास्ता क्या है – लेनिन
मैक्सिम गोर्की : मेहनतकश जनता का सच्चा लेखक
बोल मजूरे हल्ला बोल / कान्तिमोहन
नई पेंशन योजना : मजदूरों को ठगने-लूटने की एक और साजिश
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