Category Archives: आर्काइव
मज़दूर बिगुल – फ़रवरी 2021
- मज़दूर-विरोधी चार लेबर कोड लागू करने की हड़बड़ी में मोदी सरकार
- केन्द्रीय बजट : पूँजीपरस्त नीतियों पर जनपक्षधरता का मुलम्मा चढ़ाने का प्रयास
- सरकारी उपक्रमों को कौड़ियों के मोल पूँजीपतियों को बेचने की अन्धाधुन्ध मुहिम
- क्या सारे किसानों के हित और माँगें एक हैं?
- कोविड 19 वैक्सीन : एक पड़ताल
- नेपाल में राजनीतिक-संवैधानिक संकट; संशोधनवाद का भद्दा बुर्जुआ रूप खुलकर सबके सामने है!
- महामारी और संकट के बीच पूँजीपतियों के मुनाफ़े में हो गयी 13 लाख करोड़ की बढ़ोत्तरी!
- भण्डारा में 10 नवजात शिशुओं की मौत की ज़िम्मेदार पूँजीवादी व्यवस्था है
- गूगल के कर्मचारियों ने बनायी अपनी यूनियन
- क्या हिरासत में होने वाली यातनाओं को रोकने के लिए सीसीटीवी कैमरे पर्याप्त हैं ?
- पूँजीवादी व्यवस्था लील रही मज़दूरों की ज़िन्दगियाँ
- चिंगारी से भड़केंगी ज्वालाएँ (लेनिन के रोचक संस्मरण)
- नाज़ी जर्मनी के चार चित्र (बेर्टोल्ट ब्रेष्ट का नाटक)
मज़दूर बिगुल – जनवरी 2021
- मज़दूर वर्ग को दोहरी आपदा देकर गया वर्ष 2020
- मौजूदा किसान आन्दोलन और लाभकारी मूल्य का सवाल
- कोरोना वैक्सीन के नाम पर जारी है बेशर्म राजनीति
- लॉकडाउन और सरकारी उपेक्षा का शिकार स्कीम वर्कर्स भी बनीं
- डॉक्टरों-नर्सों पर फूल बरसाने की सरकारी नौटंकी, मगर अपना हक़ माँगने पर सुनवाई तक नहीं
- मोदी सरकार की अय्याशी और भ्रष्टाचार का नया कीर्तिमान : सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट
- विस्ट्रॉन आईफ़ोन प्लाण्ट हिंसा : अमानवीय हालात के ख़िलाफ़ मज़दूरों का विद्रोह!
- होण्डा मानेसर प्लाण्ट में परमानेंट मज़दूरों की वी.आर.एस. के नाम पर छँटनी का नोटिस जारी!
- भूख और कुपोषण के साये में जीता हिन्दुस्तान
- उत्तर प्रदेश में रोडवेज़ कर्मचारी भी अब निजीकरण के ख़िलाफ़ आन्दोलन की राह पर
- प्रथम स्त्री शिक्षिका सावित्रीबाई फुले के जन्मदिवस पर जातितोड़क भोजों का आयोजन
- कॉमरेड : एक कहानी / मक्सिम गोर्की
- किसान आन्दोलन के सन्दर्भ में मेरे गाँव के कुछ अनुभव
- बोलते आँकड़े चीख़ती सच्चाइयाँ
मज़दूर बिगुल – दिसम्बर 2020
- एक दिन की हड़ताल जैसे अनुष्ठानों से फ़ासिस्टों का कुछ नहीं बिगड़ेगा
- “लव जिहाद” का झूठ संघ परिवार के दुष्प्रचार का हथियार है!
- भारत में कोरोना की दूसरी लहर और मोदी सरकार की शगूफ़ेबाज़ी
- लाखों दिहाड़ी व कैज़ुअल मज़दूरों के लिए अब भी हैं लॉकडाउन जैसे ही हालात
- कोरोना काल में आसमान छूती महँगाई और ग़रीबों-मज़दूरों के जीवन की दशा
- महामारी के दौर में भी चन्द अरबपतियों की दौलत में भारी उछाल! या इलाही ये माज़रा क्या है?
- लगातार चौड़ी होती असमानता की खाई
- मोदी की स्वच्छता अभियान की लफ़्फ़ाज़ी और स्कूलों में शौचालय बनाने का घोटाला
- कोरोना काल में मनरेगा के बजट में वृद्धि के सरकारी ढोल की पोल
- नोएडा के शोषण-उत्पीड़न झेलते दसियों लाख मज़दूर, पर एकजुट संघर्ष और आन्दोलन का अभाव
- भारत के नव-नरोदवादी “कम्युनिस्टों” और क़ौमवादी “मार्क्सवादियों” को फ़्रेडरिक एंगेल्स आज क्या बता सकते हैं?
- विकृत विकास का क़हर : फेफड़ों में घुलता ज़हर
मज़दूर बिगुल – नवम्बर 2020
मज़दूर बिगुल – अप्रैल-सितम्बर 2020
- आरएसएस और भाजपा के निर्माणाधीन “हिन्दू राष्ट्र” में मज़दूरों की क्या जगह है?
- कोरोना महामारी और लॉकडाउन: ज़िम्मेदार कौन है? क़ीमत कौन चुका रहा है?
- कोरोना काल में केजरीवाल की व्यापारियों, मालिकों की सेवा और मज़दूरों को सहायता की नौटंकी!
- कोरोना महामारी ने खोली पूँजीवादी चिकित्सा-व्यवस्था की पोल
- कोरोना के बहाने मज़दूर-अधिकारों पर मोदी सरकार की डकैती
- अभूतपूर्व बेरोज़गारी : झूठे मुद्दों की भूलभुलैया से निकलो, रोज़गार के लिए सड़कों पर उतरो!
- ‘नयी शिक्षा नीति 2020’ : लफ़्फ़ाज़ियों की आड़ में शिक्षा को आम जन से दूर करने की परियोजना
- हरियाणा में शिक्षा व्यवस्था और स्थायी रोज़गार सरकारी हमले की चपेट में!
- बहाली के मुद्दे पर हरियाणा के 1983 पीटीआई शिक्षक संघर्ष की राह पर
- उच्चतम अन्यायालय के आदेश से 48,000 परिवारों को बेघर करने की बर्बर मुहिम शुरू
- महामारी के दौर में भी जारी हैं दलितों पर हमले और अपमान
- पूँजीपतियों के टुकड़खोर मीडिया के मुक़ाबले जनता का वैकल्पिक मीडिया खड़ा करना होगा
- ज़हरखुरानी गिरोह का प्रचार
- एक महान क्रान्तिकारी की आख़िरी लड़ाई और उसकी याद के आईने में हमारा समय