Category Archives: आर्काइव

मज़दूर बिगुल – नवम्बर 2019

  • देशी-विदेशी बड़ी पूँजी का बेरोकटोक राज! इसी संघी एजेण्डा को पूरा करने में जुटी मोदी सरकार!!
  • अयोध्‍या फ़ैसला : क़ानून नहीं, आस्‍था के नाम पर बहुसंख्‍यकवाद की जीत
  • दिल्ली में केजरीवाल सरकार द्वारा न्यूनतम मज़दूरी में काग़ज़ी बढ़ोत्तरी
  • बेरोज़गारी की भयावह स्थिति : पहली बार देश में कुल रोज़गार में भारी कमी!
  • शिक्षा के अधिकार के लिए देशभर में छात्र सड़कों पर!
  • बेरोज़गार छात्रों-युवाओं से हज़ारों करोड़ की कमाई कर रही बेशर्म सरकारें
  • इलाहाबाद में एक और प्रतियोगी छात्रा की आत्महत्या!
  • हरियाणा में क्लर्क भर्ती ने खोली राज्य में बेरोज़गारी की पोल!
  • पंजाब के संगरूर में दलित खेत मज़दूर की बर्बर हत्या! / अखिल भारतीय जाति-विरोधी मंच
  • हरियाणा विधानसभा चुनाव का परिणाम और प्रदेश की जनता के सामने उपस्थित नयी चुनौतियाँ / भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी (RWPI), हरियाणा इकाई
  • महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे और भविष्य की चुनौतियाँ / भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी (RWPI), महाराष्ट्र इकाई
  • पूँजीवादी युद्ध और युद्धोन्माद के विरुद्ध बोल्शेविकों की नीति और सरकारी दमन (ज़ार की दूमा में बोल्शेविकों का काम-10) / ए. बादायेव
  • बढ़ता हुआ प्रदूषण और घुटती हुई आबादी / डॉ. नवमीत
  • सरकार का समर्थक / सिगफ़्रीड लेंज़
  • होण्डा से 3,000 ठेका मज़दूरों को निकालने के विरोध में संघर्ष तेज़ / रवि
  • शिरोकी टेक्निको प्राइवेट लिमि‍टेड के निकाले गये ठेका मज़दूरों का संघर्ष जारी
  • इस मज़दूर की मौत का ज़िम्मेदार कौन है?
  • जेएनयू में सफ़ाई मज़दूरों की हड़ताल : एक रिपोर्ट
  • महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय रोहतक के सुरक्षा कर्मियों की एक दिन की हड़ताल
  • मज़दूर बिगुल – अक्टूबर 2019

  • मेहनतकश साथियो, सरकार और संघ परिवार के झूठों और झूठे मुद्दों से सावधान रहो!
  • प्रधानमंत्री अमेरिका जाकर घोषणा कर रहे हैं कि ‘भारत में सब चंगा सी!’
    पर आम मेहनतकश जनता पर मन्दी की मार तेज़ होती जा रही है / पराग वर्मा
  • अभिजीत बनर्जी को नोबल पुरस्कार और ग़रीबी दूर करने की पूँजीवादी चिन्ताओं की हक़ीक़त / सत्यम
  • विकराल बेरोज़गारी : ज़ि‍म्मेदार कौन? बढ़ती आबादी या पूँजीवादी व्यवस्था? / अमित
  • मोदी सरकार द्वारा श्रम क़ानूनों में किये गये मज़दूर-विरोधी बदलावों के मायने/ वृषाली
  • मन्दी के बीच मज़दूरों के जीवन के हालात और संशोधनवादी ट्रेड यूनियनों की दलाली
  • मज़दूरों पर बढ़ते हमलों के इस समय में करोड़ों की सदस्यता वाली केन्द्रीय ट्रेड यूनियनें कहाँ हैं? / पराग
  • कश्मीरी क़ौमी संघर्ष समर्थन कमेटी, पंजाब के आह्वान पर पंजाब में हज़ारों लोग कश्मीरी जनता के हक़ में सड़कों पर उतरे / लखविन्दर
  • बेटी बचाओ, भाजपाइयों से!भाजपा नेताओं के कुकर्मों की शिकार हुई एक और बेटी / रूपा
  • क्या आप अवसाद ग्रस्त हैं? दरअसल आप पूँजीवाद के शिकार हैं! / अनीता
  • क्या आतंकवाद वाक़ई देश और दुनिया की सबसे बड़ी समस्या है?/ अनुपम
  • पूँजीवादी युद्ध और युद्धोन्माद के विरुद्ध बोल्शेविकों की नीति और सरकारी दमन (ज़ार की दूमा में बोल्शेविकों का काम-8) / ए. बादायेव
  • तानाशाह : तीन कविताएँ – कविता कृष्णपल्लवी
  • ‘अन्‍वेषण’ : कला के असली सजर्कों तक कला को ले जाने की अनूठी पहल
  • गाँव की ग़रीब आबादी के बीच मनरेगा मज़दूर यूनियन की ज़रूरत और’क्रान्तिकारी मनरेगा मज़दूर यूनियन’ के अनुभव / प्रवीण कुमार
  • गुड़गॉंव ऑटोमोबाइल पट्टी में जगह-जगह मज़दूरों का संघर्ष जारी है! / शाम मूर्ति
  • मज़दूर बिगुल – अगस्‍त 2019

  • झूठी बातों से सच को हमेशा दबाया नहीं जा सकता! आतंक का राज क़ायम करके लोगों को उठ खड़े होने से रोका नहीं जा सकता
  • कश्मीर के मुद्दे पर सोचने के लिए कुछ बेहद ज़रूरी सवाल – क्‍या किसी क़ौम को ग़ुलाम बनाने की हिमायत करके हम आज़ाद रह सकते हैं?
  • एनएमसी विधेयक : मेडिकल शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर फ़ासीवाद की मार
  • ‘यूएपीए’ संशोधन बिल : काले कारनामों को अंजाम देने के लिए लाया गया काला क़ानून
  • अर्थव्यवस्था का संकट गम्भीरतम रूप में – पूँजीपतियों का मुनाफ़ा बचाने के लिए संकट का सारा बोझ मेहनतकशों की टूटी कमर पर
  • पूँजीवादी संकट गम्भीर होने के साथ ही दुनिया-भर में दक्षिणपंथ का उभार तेज़
  • वेतन संहिता अधिनियम 2019 – मज़दूर अधिकारों पर बड़ा आघात
  • कर्नाटक के गारमेण्ट मज़दूरों का उग्र आन्दोलन और लम्बे संघर्ष की तैयार होती ज़मीन
  • ऑटोमोबाइल सेक्टर में भीषण मन्दी से लाखों लोगों का रोज़गार छिन सकता है
  • मज़दूर आन्दोलन में मज़दूर अख़बार की भूमिका की एक शानदार मिसाल (ज़ार की दूमा में बोल्शेविकों का काम-7)
  • भीषण बेरोज़गारी और तबाही झेलती दिल्ली की मज़दूर आबादी
  • मज़दूर बिगुल – मई-जून 2019

  • मोदी सरकार की वापसी : मेहनतकश जनता पर नये कहर की शुरुआत
  • मुज़फ़्फ़रपुर : एक और सामूहिक हत्याकाण्ड
  • मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल : पूँजीपतियों को रिझाने के लिए रहे-सहे श्रम क़ानूनों की धज्जियाँ उड़ाने की तैयारी
  • पूँजीपतियों के मुनाफ़े की दर में गिरावट रोकने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाती मोदी सरकार
  • चुनाव ख़त्म, मज़दूरों की छँटनी शुरू
  • पश्चिम बंगाल में भाजपा की सफलता और संसदीय वाम राजनीति के कुकर्म
  • चुनाव में ईवीएम के इस्तेमाल को लेकर आपको क्यों चिन्तित होना चाहिए?
  • भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी को मिले समर्थन के लिए अभिवादन
  • मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल : पर्यावरण विनाशक नीतियों के निरंकुश विस्तार और उसके भयावह परिणामों के लिए तैयार रहें
  • पूँजी के राक्षसी जबड़ों से धरती और पर्यावरण को बचाना होगा
  • ख़र्चीला और विलासी बुर्जुआ लोकतन्त्र : जनता की पीठ पर भारी-भरकम बोझ सा सवार
  • सरकारी रिपोर्ट से भी उजागर हुए लगातार ख़राब होते मज़दूरों के हालात
  • अम्बेडकरनगर के ईंट-भट्ठों में भयंकर शोषण-उत्पीड़न के शिकार मज़दूर
  • पुतीलोव कारख़ाने के मज़दूरों पर गोलीबारी और उसके विरुद्ध संघर्ष (ज़ार की दूमा में बोल्शेविकों का काम-6)
  • इंक़लाबी जोश-ओ-ख़रोश के साथ मज़दूरों ने दी शिकागो के शहीदों को श्रद्धांजलि
  • ईवीएम में घपले के ख़िलाफ़ भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी (RWPI) का निर्वाचन आयोग पर विरोध प्रदर्शन!
  • कहानी – बेघर छोटू
  • मज़दूर बिगुल – मार्च 2019

  • मज़दूरों-मेहन‍तकशों ने बनायी अपनी क्रान्तिकारी पार्टी! लोकसभा चुनावों में सात सीटों पर चुनाव लड़ेंगे ‘भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी (RWPI)’ के मज़दूरपक्षीय उम्‍मीदवार!
  • राजधानी दिल्ली में 3 मार्च को बसनेगा अभियान का दूसरा पड़ाव – ‘रोज़गार अधिकार रैली’ में कई राज्यों से हज़ारों की जुटान
  • आनन्द तेलतुम्बड़े पर फ़र्ज़ी आरोप, तेज़ी से सिकुड़ते बुर्जुआ जनवाद की एक और बानगी
  • इंग्लैण्ड में प्रवासी मज़दूरों के बुरे हालात – बेरोज़गारी, शोषण-उत्पीड़न से बचने के लिए परदेस जाने वाले मेहनतकश वहाँ भी पूँजी के ज़ालिम पंजों के शिकार
  • जनता के पास नौकरी नहीं और सरकार बहादुर के पास नौकरियों के आँकड़े नहीं!
  • नक़ली दवाओं का जानलेवा धन्धा
  • कविताएं – लड़ाई का कारोबार / बेर्टोल्ट ब्रेष्ट Poems – The business of war / Bertolt Brecht
  • कहानी – ला सियोतात का सिपाही / बर्टोल्ट ब्रेष्ट Story – The Soldier of La Ciotat / Bertolt Brecht
    (अर्द्ध)कुम्भ : भ्रष्टाचार की गटरगंगा और हिन्दुत्ववादी फ़ासीवाद के संगम में डुबकी मारकर जनता के सभी बुनियादी मुद्दों का तर्पण करने की कोशिश
  • मज़दूर बिगुल – फरवरी 2019

  • देशभक्ति के नाम पर युद्धपिपासु अन्‍धराष्‍ट्रवाद किसके हित में है? अन्धराष्ट्रवाद और नफ़रत की आँधी में बुनियादी  सवालों  को  खोने  नहीं  देना  है!
  • बेरोज़गारी की विकराल स्थिति और सरकारी जुमलेबाज़ियाँ व झूठ
  • मोदी सरकार का अन्तिम बजट – जुमलों की भरमार में मेहनतकशों के साथ ठगी का दस्तावेज़
  • सरकारी स्कूलों को सोचे-समझे तरीक़े से ख़त्म करने की साजि़श
  • कम्पनी की लापरवाही से मज़दूर की मौत, सीटू नेताओं ने यहाँ भी की दलाली
  • फ़ासिस्ट झूठ-उत्पादन कारख़ाना और संघी साइबर गुण्डों के गाली-गलौज के बारे में कुछ बातें
  • बाल कुपोषण के भयावह आँकड़े व सरकारों की अपराधी उदासीनता
  • ज़हर का शिकार बनती स्त्री मज़दूरों के सवाल पर संघर्ष (ज़ार की दूमा में बोल्शेविकों का काम-4)
  • मज़दूर बिगुल – जनवरी 2019

  • केवल सत्‍ता से ही नहीं, पूरे समाज से फ़ासीवादी दानव को खदेड़ने का संकल्‍प लो!
  • संकट में धँसती पूँजीवादी व्यवस्था! संकट का सारा बोझ आम मेहनतकश जनता पर ही पड़ने वाला है!!
  • मेघालय खदान हादसा : क़ातिल सुरंगों में दिखता पूँजीवादी व्यवस्था का अँधेरा
  • कार्यस्थल पर मज़दूरों की मौतें : औद्योगिक दुर्घटनाएँ या मुनाफ़ाकेन्द्रित व्यवस्था के हाथों क्रूर हत्याएँ
  • सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़ों को दिये गये 10 प्रतिशत आरक्षण के मायने
  • विज्ञान कांग्रेस में संघी विज्ञान के नमूने
  • नीमराणा में डाइकिन के मज़दूरों पर बर्बर लाठीचार्ज!
  • देश-भर में 8-9 जनवरी को हुई आम हड़ताल से मज़दूरों ने क्या पाया? इस हड़ताल से क्या सबक़ निकलता है?
  • उद्योगपतियों को खरबों की सौगात देने वाली झाारखण्ड सरकार को ग़रीब कुपोषित बच्चों को पौष्टिक भोजन देना ”महँगा” लग रहा है!
  • क्रान्तिकारी मार्क्सवाद से भयाक्रान्त चीन के नकली कम्युनिस्ट शासक
  • कपड़ा मज़दूरों की हड़ताल से काँप उठा बांग्लादेश का पूँजीपति वर्ग
  • मज़दूर बिगुल – दिसम्‍बर 2018

  • पाँच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा की शिकस्त : यह निश्चिंत होने का समय नहीं है बल्कि फासीवाद के विरुद्ध लड़ाई को और व्यापक और धारदार बनाने का समय है!
  • रिज़र्व बैंक और सरकार का टकराव और अर्थव्यवस्था की बिगड़ती हालत
  • मौजूदा किसान आन्दोलन और इनकी माँगें, क्या इनसे ”किसानी के संकट” और गाँव के ग़रीबों की समस्याओं का हल सम्भव है?
  • फ़्रांस की सड़कों पर फूटा पूँजीवाद के ख़िलाफ़ जनता का गुस्सा
  • बुलन्दशहर की हिंसा : किसकी साज़िश?
  • प्रधानमन्त्री आवास योजना की हक़ीक़त – दिल्ली के शाहबाद डेरी में 300 झुग्गियों को किया गया ज़मींदोज़!
  • दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के ठेका कर्मचारियों की हड़ताल : एक रिपोर्ट
  • हरियाणा रोडवेज़ की 18 दिन चली हड़ताल की समाप्ति पर कुछ विचार बिन्दु
  • गाँव के ग़रीबों का हित किसके साथ है?
  • अमीरों के पैदा किये प्रदूषण से मरती ग़रीब अाबादी
  • मज़दूर बिगुल – सितम्‍बर-नवम्‍बर 2018

  • साढ़े चार साल के मोदी राज की कमाई!-ध्वस्त अर्थव्यवस्था, घपले-घोटाले, बेरोज़गारी- महँगाई!
  • ग़रीबों से जानलेवा वसूली और अमीरों को क़र्ज़ माफ़ी का तोहफ़ा
  • महिला एवं बाल विकास विभाग में चल रहे भ्रष्टाचार का आँगनवाड़ी महिलाकर्मियों ने दिल्ली में किया पर्दाफ़ाश!
  • गुजरात से उत्तर भारतीय प्रवासी मज़दूरों का पलायन : मज़दूर वर्ग पर बरपा ‘गुजरात मॉडल’ का कहर
  • जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट – अगर समय रहते पूँजीवाद को ख़त्म न किया गया तो वह मनुष्यता को ख़त्म कर देगा
  • “स्वच्छ भारत अभियान” की कहानी झाड़ू की जुबानी
  • सनातन संस्था की असली जन्म कुंडली : बम धमाकों से महाराष्ट्र को कौन दहलाना चाहता था?
  • मोदी राज में बैंकिंग व वित्तीय सेक्टर के घपले-घोटाले और गहराता आर्थिक संकट
  • धार्मिक बँटवारे की साज़िशों को नाकाम करो! पूँजीवादी लूट के ख़िलाफ़ एकता क़ायम करो!
  • टेक्स्टाइल उद्योग में हड़ताल और बोल्शेविकों का काम
  • मज़दूर बिगुल – अगस्‍त 2018

  • आम लोगों के जीवनस्तर में वृद्धि के हर पैमाने पर देश पिछड़ा – ‘अच्छे दिन’ सिर्फ़ लुटेरे पूँजीपतियों के आये हैं
  • प्रधान चौकीदार की देखरेख में रिलायंस ने की हज़ारों करोड़ की गैस चोरी और अब कर रही है सीनाज़ोरी
  • साल-दर-साल बाढ़ की तबाही : महज़ प्राकृतिक आपदा नहीं मुनाफ़ाखोर पूँजीवादी व्यवस्था का कहर!
  • असम के 40 लाख से अधिक लोगों से भारतीय नागरिकता छिनी
  • मज़दूरों के क्रान्तिकारी अख़बार के बारे में लेनिन के विचार
  • भुखमरी का शिकार देश : ये मौतें व्यवस्था के हाथों हुई हत्याएँ हैं!
  • बेरोज़गारी की भयावह होती स्थिति
  • अर्जेण्टीना में गम्भीर आर्थिक संकट – वर्ग संघर्ष तेज़ हुआ
  • दिल्ली में न्यूनतम मज़दूरी पर हाई कोर्ट का फ़ैसला पूँजीवादी व्यवस्था की कलई खोल देता है