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आर्काइव
मार्च 2011
आर्काइव
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पूँजीपतियों और खाते-पीते मध्यवर्ग को ख़ुश करने वाला एक और ग़रीब-विरोधी बजट
माँगपत्रक शिक्षणमाला-5 कार्यस्थल पर सुरक्षा और दुर्घटना की स्थिति में उचित मुआवज़ा हर मज़दूर का बुनियादी हक़ है!
बादाम उद्योग में मशीनीकरण: मज़दूरों ने क्या पाया और क्या खोया
कैसा है यह लोकतन्त्र और यह संविधान किनकी सेवा करता है? (आठवीं किस्त)
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फरवरी 2011
आर्काइव
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मज़दूरों और नौजवानों के विद्रोह से तानाशाह सत्ताएँ ध्वस्त
माँगपत्रक शिक्षणमाला – 4 काम की बेहतर और सुरक्षित स्थितियों की माँग इन्सानों जैसे जीवन की माँग है!
कैसा है यह लोकतन्त्र और यह संविधान किनकी सेवा करता है? (सातवीं किस्त)
विनायक सेन का मुक़दमा और जनवादी अधिकारों की लड़ाई : कुछ सवाल
फ़ैक्ट्री-मज़दूरों की एकता, वर्ग-चेतना और संघर्ष का विकास
पूँजीवादी गणतन्त्र के जश्न में खो गयीं मुनाफ़े की हवस में मारे गये मज़दूरों की चीख़ें
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जनवरी 2011
आर्काइव
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21वीं सदी के पहले दशक का समापन : मजदूर वर्ग के लिए आशाओं के उद्गम और चुनौतियों के स्रोत
आपने ठीक फ़रमाया मुख्यमन्त्री महोदय, बाल मजदूरी को आप नहीं रोक सकते!
माइक्रो फ़ाइनेंस : महाजनी का पूँजीवादी अवतार
पूँजी के इशारों पर नाचती पूँजीवादी न्याय व्यवस्था : विनायक सेन को आजीवन क़ैद
राजधानी की चमकती इमारतों के निर्माण में : ठेका मजदूरों का नंगा शोषण
कैसा है यह लोकतन्त्र और यह संविधान किनकी सेवा करता है? (छठी किस्त)
माँगपत्रक शिक्षणमाला – 3 ठेका प्रथा के ख़ात्मे की माँग पूँजीवाद की एक आम प्रवृत्ति पर चोट करती है
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दिसम्बर 2010
आर्काइव
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नेता, अफसर, जज, मीडियाकर्मी – लूटपाट, कमीशनख़ोरी में कोई पीछे नहीं
कश्मीर समस्या का चरित्र, इतिहास और समाधान
लूटो-भकोसो और झूठन आम जनता के ”हित” में दान कर दो
अयोध्या फ़ैसला : मज़दूर वर्ग का नज़रिया (दूसरी व अन्तिम किस्त)
यू.आई.डी. : जनहित नहीं, शासक वर्ग के डर का नतीजा
लक्ष्मीनगर हादसा : पूँजीवादी मशीनरी की बलि चढ़े ग़रीब मज़दूर
संघर्ष की नयी राहें तलाशते बरगदवाँ के मज़दूर
उँगलियाँ कटाकर मालिक की तिजोरी भर रहे हैं आई.ई.डी. के मज़दूर
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नवम्बर 2010
आर्काइव
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हम अब और तमाशबीन नहीं बने रह सकते! एक ही रास्ता-मज़दूर इंक़लाब! मज़दूर सत्ता!
माँगपत्रक शिक्षणमाला – 1 काम के दिन की उचित लम्बाई और उसके लिए उचित मज़दूरी मज़दूर वर्ग की न्यायसंगत और प्रमुख माँग है!
बादाम उद्योग मशीनीकरण की राह पर
यह व्यवस्था अनाज सड़ा सकती है लेकिन भुख से मरते लोगों तक नहीं पहुँचा सकती है!
काम के उचित दिन की उचित मज़दूरी
इराकी जनता को तबाह करने के बाद अब इराक से वापसी का अमेरिकी ड्रामा
अयोध्या फैसला : मज़दूर वर्ग का नज़रिया (पहली किश्त)
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जून 2010
आर्काइव
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भोपाल हत्याकाण्ड : कटघरे में है पूरी पूँजीवादी व्यवस्था
कैसा है यह लोकतन्त्र और यह संविधान किनकी सेवा करता है? (चौथी किस्त)
यूनानी मजदूरों और नौजवानों के जुझारू आन्दोलन के सामने विश्व पूँजीवाद के मुखिया मजबूर
कॉमरेड के ”कतिपय बुध्दिजीवी या संगठन” और कॉमरेड का कतिपय ”मार्क्सवाद”
छत्तीसगढ़ की औद्योगिक नीति 2009-2014 : पूँजीवादी लूट व शोषण और मेहनतकश ग़रीबों के विस्थापन के लिए रास्ता साफ करने का फरमान
चीन में मजदूर संघर्षों का नया उभार
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मई 2010
आर्काइव
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मई दिवस का सन्देश – स्मृति से प्रेरणा लो! संकल्प को फौलाद बनाओ! संघर्ष को सही दिशा दो!
कैसा है यह लोकतन्त्र और यह संविधान किनकी सेवा करता है? (तीसरी किस्त)
मन्दी की मार झेलते मध्य और पूर्वी यूरोप के मजदूर
मजदूर वर्ग के महान शिक्षक और क्रान्तिकारी नेता कार्ल मार्क्स
शिकागो के शहीद मजदूर नेताओं की अमर कहानी
अन्तरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर पूँजी की सत्ता के ख़िलाफ लड़ने का संकल्प लिया मजदूरों ने
लुधियाना के मजदूर आन्दोलन में माकपा-सीटू के मजदूर विरोधी कारनामे
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मार्च-अप्रैल 2010
आर्काइव
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बजट 2010-11 : इजारेदार पूँजी के संकट और मुनाफे का बोझ आम गरीब मेहनतकश जनता के सिर पर
कैसा है यह लोकतन्त्र और यह संविधान किनकी सेवा करता है? (दूसरी किस्त)
भूख से दम तोड़ते सपने और गोदामों में सड़ता अनाज
अतीत की कड़वी यादें, भविष्य के सुनहरे सपने और भय व उम्मीद की वो रात-मक्सिम गोर्की के उपन्यास ‘माँ’ का अंश
मार्क्सवाद और सुधारवाद
मुनाफ़ाखोर व्यापारी की प्रार्थना
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बिगुल – जनवरी-फरवरी 2010
आर्काइव
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बादाम मजदूर यूनियन के नेतृत्व में दिल्ली के बादाम मजदूरों की 16 दिन लम्बी हड़ताल
कैसा है यह लोकतन्त्र और यह संविधान किनकी सेवा करता है? (पहली किस्त)
एकीकृत ने.क.पा. (माओवादी) के संशोधनवादी विपथगमन के ख़तरे और नेपाली क्रान्ति का भविष्य
ज्योति बसु और संसदीय वामपन्थी राजनीति की आधी सदी
प्रधानमन्त्री महोदय! आँकड़ों की बाज़ीगरी से ग़रीबी नहीं घटती!
इक्कीसवीं शताब्दी की पहली दशाब्दी के समापन के अवसर पर
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दिसम्बर 2009
आर्काइव
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यह महँगाई ग़रीबों के जीने के अधिकार पर हमला है!
फ़ासीवाद क्या है और इससे कैसे लड़ें? (समापन किश्त)
लुधियाना की सड़कों पर हज़ारों मज़दूरों के गुस्से का लावा फूटा
कम्युनिस्ट जीवनशैली के बारे में माओ त्से-तुङ के कुछ उद्धरण
जोसेफ स्तालिन : क्रान्ति और प्रतिक्रान्ति के बीच की विभाजक रेखा
क्रान्तिकारी चीन ने प्रदूषण की समस्या का मुक़ाबला कैसे किया
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एक नये क्रान्तिकारी मजदूर अख़बार की जरूरत
पेरू : जुल्म के अंधेरे में चमकता लाल निशान
श्रमिक क्रान्ति निश्चय की साम्राज्यवाद-पूँजीवाद का नाश करेगी / भगतसिंह
मजदूरों के लिए आजादी और खुशहाली का रास्ता क्या है – लेनिन
मैक्सिम गोर्की : मेहनतकश जनता का सच्चा लेखक
बोल मजूरे हल्ला बोल / कान्तिमोहन
नई पेंशन योजना : मजदूरों को ठगने-लूटने की एक और साजिश
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