एक मज़दूर की मौत!
एक मज़दूर, गुड़गाँव
मैं मानेसर के सेक्टर-5 स्थित ‘ओरियण्ट क्राफ़्ट’ की फैक्टरी में पीस रेट पर सिलाई का काम करता हूँ। वैसे तो गुड़गाँव और उसके आसपास ओरियण्ट क्राफ़्ट की अलग-अलग 50 फैक्टरियाँ है जो कापसहेड़ा, सुखराली, हीरो होण्डा सेक्टर 37-34 व मानेसर में स्थित हैं।
इस फैक्टरी में आज से तीन महीने पहले वाशिंग डिपार्टमेंट में काम करने वाले एक मज़दूर की मौत हो गयी जो कि बिहार का रहने वाला था। काम की परिस्थितियाँ ही उस जगह की कुछ ऐसी हैं कि वहाँ काम करने वाला हर मज़दूर तिल-तिल कर मौत के मुँह में जा रहा है। ये चार मंज़िला इमारत है जिसमें करीब 800 मज़दूर काम करते हैं। सबसे नीचे बेसमेंट में धुलाई डिपार्टमेंट है जिसमें केमिकल व भाप की वजह से हर वक्त एक अजीब सी गन्ध आती रहती है। मैं तो एक बार सैकेण्ड फ्लोर से बेसमेंट गया तो पाँच मिनट में मेरी साँस फूलने लगी। और मैं जल्दी से बाहर को भागा। उस मज़दूर की मौत का कारण भी यही घुटन भरी परिस्थितियाँ थी। बस उसकी मौत फैक्टरी में न होकर उसके कमरे पर हुई। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में साफ आया कि फेफड़ों में सूजन व गर्दा की वजह से वह मरा। उसकी मौत की ख़बर उसके घरवालों को दी गयी और उसके घर वाले दौड़े-दौड़े बिहार से गुड़गाँव आये। उसकी माँ ने मौत के मुआवजे़ के लिए बहुत दौड़ लगायी मगर कम्पनी मैनजमेंट को ज़रा भी तरस नहीं आया। उसकी माँ ने कम्पनी मैनेजेण्ट से अपील की और पुलिस से गुहार लगायी। कम्पनी में पुलिस आयी भी मगर कोई कुछ भी नहीं बोला और कोई सुराग भी हाथ नहीं लगा। क्योंकि उसकी मौत के अगले दिन ही उसकी हाज़िरी के सात दिन की उपस्थिति ग़ायब कर दी गयी। और बहुत ही सख़्ती के साथ मैनेजर ने अपने आफिस में लाइन मास्टरों, सुपरवाइज़रों, ठेकेदारों से लेकर सिक्योरिटी अफसरों तक को यह हिदायत दे दी कि अगर उसकी मौत के बारे में किसी ने उसके पक्ष एक बात भी कही तो उसके लिए इस कम्पनी से बुरा कोई नहीं होगा। और इस तरह ऊपर से लेकर नीचे एक-एक हेल्पर व सभी कर्मचारियों तक मैनेजर की यह चेतावनी पहुँच गयी। और पूरी कम्पनी से कोई कुछ नहीं बोला। उसकी माँ सात दिन तक गेट के बाहर आती रही, लगातार रोती रही। मगर हम मज़दूरों में कोई यूनियन न होने की वजह से हम सब मजबूर थे। और आज मैं भी यह सोच रहा हूँ कि मेरे साथ भी अगर कोई हादसा होगा तो मेरे घरवालों के साथ भी यही हाल होगा।
मज़दूर बिगुल, अक्टूबर 2013