मारुति के मज़दूरों के समर्थन में विभिन्न जनसंगठनों का दिल्ली में प्रदर्शन
कारख़ानों को हिटलरी जेलखानों में बदलकर औद्योगिक शान्ति की गारण्टी नहीं की जा सकती है
बिगुल संवाददाता
मारुति सुज़ुकी, मानेसर के सैकड़ों मजदूरों को मैनेजमेण्ट द्वारा मनमाने ढंग से बर्खास्त किये जाने और मज़दूरों के लगातार जारी उत्पीड़न के विरुद्ध विभिन्न जन संगठनों, यूनियनों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं ने 21 अगस्त को नयी दिल्ली में विरोध प्रदर्शन किया और केन्द्रीय श्रम मन्त्री को ज्ञापन देकर मज़दूरों की बर्खास्तगी पर रोक लगाने की माँग की। इसी दिन एक महीने की तालाबन्दी के बाद कम्पनी मैनेजमेण्ट ने कारख़ाना दुबारा शुरू करने की घोषणा की थी। सुबह से हो रही बारिश के बावजूद जन्तर-मन्तर पर हुए प्रदर्शन में दिल्ली, गाज़ियाबाद, नोएडा और गुड़गाँव से बड़ी संख्या में आये मज़दूरों तथा कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
प्रदर्शन में वक्ताओं ने मारुति सुज़ुकी मैनेजमेण्ट के इस तानाशाही फैसले की कठोर शब्दों में भर्त्सना करते हुए कहा कि बिना किसी जाँच के सैकड़ों मज़दूरों और उनके परिवारों को सड़क पर धकेलने की कार्रवाई को हरियाणा और केन्द्र की सरकारों के समर्थन ने उनका मज़दूर-विरोधी चेहरा उजागर कर दिया है। वक्ताओं ने कारख़ाने के भीतर और बाहर रैपिड ऐक्शन फोर्स के 600-700 जवानों की तैनाती और कम्पनी की ओर से हथियारबन्द गार्डों की भरती की निन्दा करते हुए कहा कि कारख़ानों को हिटलरी जेलखानों में बदलकर शान्ति की गारण्टी नहीं की जा सकती है। मारुति सुज़ुकी की घटना के लिए ज़िम्मेदार वास्तविक कारणों पर पर्दा डालकर दमन और उत्पीड़न के दम पर औद्योगिक शान्ति क़ायम करने के प्रयास और भी व्यापक अशान्ति को जन्म देंगे। सभा में मारुति सुज़ुकी के मज़दूरों के साथ पूरी एकजुटता व्यक्त करते हुए पूरे राजधानी क्षेत्र के मज़दूरों व कर्मचारियों से उनके समर्थन में आगे आने का आह्वान किया गया।
सभा के बाद केन्द्रीय श्रम मन्त्री को दिये गये ज्ञापन में सैकड़ों मज़दूरों की बर्ख़ास्तगी को रद्द करने, 18 जुलाई की घटना की उच्च स्तरीय निष्पक्ष जाँच कराने, जाँच की रिपोर्ट आने तक किसी भी मज़दूर को काम से न निकालने, मज़दूरों की धरपकड़ को रोकने तथा गिरफ्तार मजदूरों को रिहा करने, हिंसा भड़काने और गुण्डे बुलाने के लिए ज़िम्मेदार अफसरों के ख़िलाफ मुक़दमा दायर करने और कारख़ाने के सैन्यीकरण की योजना रद्द करने की माँग की गयी है। इसके साथ ही मारुति सुज़ुकी सहित गुड़गाँव-मानेसर क्षेत्र के तमाम कारख़नों में श्रम क़ानूनों के गम्भीर उल्लंघन की जाँच के लिए विशेष जाँच समिति गठित करने की माँग की गयी है जिसमें मज़दूर संगठनों के प्रतिनिधियों, श्रम मामलों के विशेषज्ञों और जनवादी अधिकारकर्मियों को भी शामिल किया जाये।
विरोध प्रदर्शन में बिगुल मज़दूर दस्ता, दिल्ली मेट्रो कामगार यूनियन, करावलनगर मजदूर यूनियन, स्त्री मज़दूर संगठन, नौजवान भारत सभा, दिशा छात्र संगठन, जागरूक नागरिक मंच, मारुति सुज़ुकी के मज़दूरों के समर्थन में नागरिक मोर्चा तथा अन्य संगठनों के कार्यकर्ताओं के साथ ही अनेक सामाजिक कार्यकर्ता तथा बुद्धिजीवी शामिल हुए।
मज़दूर बिगुल, अगस्त-सितम्बर 2012
‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्यता लें!
वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये
पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये
आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये
आर्थिक सहयोग भी करें!
बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन