अनुज लुगुन
नमस्कार साथी ! मैं नियमित रूप से ‘मज़दूर बिगुल’ पढ़ता हूँ। यह पत्रिका हर अंक में वर्तमान समाज और सत्ता के वास्तविक चरित्र को प्रतिबद्धता के साथ प्रस्तुत करती है। आज जब मुख्यधारा की मीडिया पर धनपशुओं का कब्ज़ा हो ऐसे समय में आम जनता की आवाज का कुचला जाना आम बात है। ‘बिगुल’ ऐसे जनविरोधी तंत्र के प्रतिपक्ष में खड़े होकर जनहित की लड़ाई में शामिल है , यह हमारे लिए उम्मीद की बात है।
बिगुल के साथियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ।
मज़दूर बिगुल, जून 2016
‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्यता लें!
वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये
पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये
आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये
आर्थिक सहयोग भी करें!
बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन