Category Archives: क्रान्तिकारी मज़दूर शिक्षण माला

क्रान्तिकारी मज़दूर शिक्षण माला-5 : माल, उपयोग-मूल्य, विनिमय-मूल्य और मूल्य

मनुष्य के श्रम से पैदा होने वाली वस्तुओं की एक विशिष्टता होती है, उनका उपयोगी होना। वे किसी न किसी मानवीय आवश्यकता की पूर्ति करती हैं। अगर ऐसा न हो तो कोई उन्हें नहीं बनायेगा। उनके उपयोगी होने के इस गुण को हम उपयोग-मूल्य कहते हैं। उपयोग-मूल्य के रूप में वस्तुओं का उत्पादन प्राचीनकाल से ही चला आ रहा है, तब से जब मनुष्य ने पहली बार अपनी आवश्यकता के लिए प्रकृति को बदलकर वस्तुओं को बनाना या पैदा करना शुरू किया था, यानी उत्पादन शुरू किया था। किसी चीज़ का उपयोग-मूल्य कोई पहले से दिया गया प्राकृतिक गुण नहीं होता है, बल्कि यह एक ऐतिहासिक और सामाजिक गुण होता है।

क्रान्तिकारी मज़दूर शिक्षण माला-4 : सामाजिक अधिशेष के उत्पादन की शुरुआत और सामाजिक श्रम-विभाजन तथा वर्गों का उद्भव

पूँजीवादी समाज में पूँजीपति वर्ग के मुनाफ़े के स्रोत और मज़दूर वर्ग के शोषण को समझने के लिए हमें कुछ अन्य बातों को समझना होगा, मसलन, सामाजिक अधिशेष, सामाजिक श्रम विभाजन और वर्गों का उद्भव। इन बातों को समझने के साथ हमारे लिए मज़दूर वर्ग के शोषण और पूँजीपति वर्ग के मुनाफ़े के स्रोत को समझना आसान हो जायेगा। इसलिए हम इन मूलभूत अवधारणाओं से शरुआत करेंगे।
आदिम काल में जब मनुष्य क़बीलों में रहता था, तो उसकी उत्पादक शक्तियों के विकास का स्तर बेहद निम्न था।

क्रान्तिकारी मज़दूर शिक्षण माला-3 : कुछ बुनियादी अवधारणाएँ जिन्हें समझना ज़रूरी है – 2

पिछली बार हमने कुछ बेहद बुनियादी अवधारणाओं को समझने के साथ शुरुआत की थी, मसलन, उत्पादक शक्तियाँ, उत्पादन सम्बन्ध, मूलाधार या आर्थिक आधार, अधिरचना, इत्यादि। साथ ही, हमने यह भी समझा था कि आर्थिक आधार में निहित बुनियादी अन्तरविरोध क्या है, अधिरचना में निहित बुनियादी अन्तरविरोध क्या है और साथ ही आर्थिक आधार और अधिरचना के बीच का अन्तरविरोध किस प्रकार समूचे मानव समाज की गति को व्याख्यायित करता है।

क्रान्तिकारी मज़दूर शिक्षण माला-2 : कुछ बुनियादी बातें जिन्हें समझना ज़रूरी है – 1

किसी भी समाज की बुनियाद में मनुष्य के जीवन का भौतिक उत्पादन और पुनरुत्पादन होता है। यदि मनुष्य जीवित होगा तो ही वह राजनीति, विचारधारा, शिक्षा, कला, साहित्य, संस्कृति, वैज्ञानिक प्रयोग, खेल-कूद और मनोरंजन जैसी गतिविधियों में संलग्न हो सकता है। मनुष्य अपने जीवन के भौतिक उत्पादन और पुनरुत्पादन के प्रकृति के साथ एक निश्चित सम्बन्ध बनाता है और उसका रूपान्तरण कर उसके संसाधनों को अपनी आवश्यकताओं के अनुसार ढालता है। इस गतिविधि को ही हम उत्पादन कहते हैं। मनुष्य के भौतिक जीवन के पुनरुत्पादन के लिए उपयोगी वस्तुओं व सेवाओं का उत्पादन करने के लिए मनुष्य प्रकृति को रूपान्तरित करता है। यह मनुष्य का उत्पादन के लिए, यानी अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप, प्रकृति के रूपान्तरण का संघर्ष है।

क्रान्तिकारी मज़दूर शिक्षण माला-1 : मज़दूरी के बारे में

हम मज़दूर जानते हैं कि मज़दूरी की औसत दर में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। लेकिन ये उतार-चढ़ाव एक निश्चित सीमा के भीतर होते हैं। इस लेख में हम समझेंगे कि पूँजीवादी व्यवस्था के भीतर मज़दूरी में आने वाले उतारों-चढ़ावों के मूलभूत कारण क्या होते हैं और उसकी अन्तिम सीमाएँ कैसे निर्धारित होती है। लेकिन शुरुआत हम कुछ बुनियादी बातों से करेंगे।