Category Archives: आर्काइव
मज़दूर बिगुल – जनवरी 2023
चुनावी शिकस्त देकर फ़ासीवाद को हराने के मुंगेरी लालों के हसीन सपनों पर एक बार फिर पड़ा पानी!
मज़दूर बिगुल – दिसम्बर 2022
मज़दूर बिगुल – नवम्बर 2022 (विशेष अंक)
सही सर्वहारा नज़रिया क्या हो?
मज़दूर बिगुल – अक्टूबर 2022
- सिर्फ़ एक धर्म विशेष क्यों, हर धर्म के धार्मिक कट्टरपन्थी अतिवादी संगठनों पर रोक क्यों नहीं? आतंकवाद बहाना है, जनता ही निशाना है!
- कविता कृष्णन : भाकपा (माले) लिबरेशन जैसी पतिततम संशोधनवादी पार्टी में परवरिश और कम्युनिज़्म-विरोधी अमेरिकी साम्राज्यवादी दुष्प्रचार की बौद्धिक ख़ुराक से तैयार हुई सर्वहारा वर्ग की नयी ग़द्दार
- तेलंगाना में निज़ाम की सत्ता के पतन की 75वीं बरसी पर जश्न मनाने की होड़ में भाजपा और टीआरएस ने की इतिहास के साथ बदसलूकी
- इटली में धुर-दक्षिणपन्थी ज्यॉर्ज्या मेलोनी के आम चुनाव में जीत के मायने
- शुचिता और संस्कारों के भाजपाई ठेकेदार हमेशा ख़ुद अमानवीय-अनैतिक धन्धों और घृणित अपराधों में लिप्त क्यों पाये जाते हैं?
- गहरी निराशा, पराजयबोध और विकल्पहीनता से गुज़रते मज़दूर की कहानी :
फ़िल्म ‘मट्टो की साइकिल’ - क्रान्तिकारी मज़दूर शिक्षण माला-5 : माल, उपयोग-मूल्य, विनिमय-मूल्य और मूल्य
- शेखर जोशी की याद में
- गुड़गाँव के एक मज़दूर के साथ साक्षात्कार
- गुड़गाँव के कापसहेड़ा से मज़दूरों की रिपोर्ट
- काम के अधिकार के लिए और भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ मनरेगा यूनियन का प्रदर्शन
मज़दूर बिगुल – सितम्बर 2022
- बेरोज़गारी की विकराल स्थिति
- बिलकिस बानो बलात्कार और हत्या मामले के 11 अपराधियों की रिहाई
- राजस्थान में स्कूली छात्र इन्द्र मेघवाल की हत्या बढ़ती जातीय नफ़रत का नतीजा है
- बिहार में सियासी उलटफेर कोई आश्चर्य की बात नहीं
- योगी के रामराज्य में इलाज बिना मरते मेहनतकश
- ‘फ़्रण्ट लाइन वर्करों’ के नाम पर प्रधानमंत्री मोदी की नयी जुमलेबाज़ी!
- मोदी के जुमलों की बारिश के बीच कैथल के मनरेगा मज़दूरों के हालात पर एक नज़र
- आज़ादी के अमृत महोत्सव में सड़कों पर तिरंगा बेचती ग़रीब जनता
- सामाजिक अधिशेष के उत्पादन की शुरुआत और सामाजिक श्रम-विभाजन तथा वर्गों का उद्भव
- बीते साल क़र्ज़ों की माफ़ी के साथ पूँजीपति हुए मालामाल!
- बेरोज़गारी और आर्थिक संकट के दौर में बढ़ती आत्महत्याएँ
- सिडकुल, हरिद्वार में मज़दूरों की हड्डियाँ कैसे निचोड़ी जाती हैं : एक फ़ैक्टरी से रिपोर्ट
- जानलेवा शोषण के ख़िलाफ़ लड़ते बंगलादेश के चाय बाग़ान मज़दूर
- उत्तर-पश्चिम दिल्ली के छोटे कारख़ानों में बेहद बुरी स्थितियों में खटती स्त्री मज़दूर
- ताइवान को लेकर अमेरिका व चीन के बीच तेज़ होती अन्तर-साम्राज्यवादी होड़
- मज़दूरों और मेहनतकशों की मुक्ति को समर्पित महान क्रान्तिकारी और चिन्तक थे हमारे भगतसिंह
मज़दूर बिगुल – अगस्त 2022
- जनता के जनवादी व नागरिक अधिकारों की हिफ़ाज़त के लिए सड़कों पर उतरकर संघर्ष करना मज़दूर वर्ग के लिए अस्तित्व का प्रश्न है
- द्रौपदी मुर्मू बनीं देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति; क्या इससे आम मेहनतकश आदिवासियों की जीवन स्थिति में कोई बदलाव आयेगा?
- आज़ादी का (अ)मृत महोत्सव : अडानियों-अम्बानियों की बढ़ती सम्पत्ति, आम जनता की बेहाल स्थिति
- केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की बेटी द्वारा अवैध रूप से शराबख़ाना चलाने का मामला
- “राष्ट्रवाद” की ठेकेदार बनी भाजपा और आरएसएस के आतंकवादियों से सम्बन्धों की पड़ताल!
- तिरंगे झण्डे पर राजनीति करने वाले संघ-भाजपा के तिरंगा प्रेम का सच!
- ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ : एक जनविद्रोह जो भारतीय पूँजीपति वर्ग के वर्चस्व से निकलकर क्रान्तिकारी दिशा में जा सकता था
- “सादगीपसन्द” और “परोपकारी” पूँजीपतियों की असलियत
- आटा-चावल, दाल-तेल-सब्ज़ियों की क़ीमतों में लगातार बढ़ोत्तरी
- रसोई गैस के बढ़ते दाम : आम जनता बेहाल-परेशान!
- कुछ बुनियादी अवधारणाएँ जिन्हें समझना ज़रूरी है – 2
- पार्टी का राजनीतिक प्रचार और जनसमुदाय
- हरियाणा सरकार की चिराग योजना : प्राइवेट शिक्षा माफ़ियाओं को एक और तोहफ़ा
- एक बार फिर विकल्पहीनता की स्थिति से गुज़रती श्रीलंका की जनता
- दिल्ली की आँगनवाड़ी महिला मज़दूरों के जारी ऐतिहासिक और जुझारू संघर्ष की रिपोर्ट
मज़दूर बिगुल – जुलाई 2022
मज़दूर बिगुल – जून 2022
- बढ़ती महँगाई का असली कारण; गहराते पूँजीवादी आर्थिक संकट के दौर में समूचे पूँजीपति वर्ग द्वारा आपदा को अवसर में बदलकर जारी लूट और मुनाफ़ाख़ोरी
- दिल्ली में बुलडोज़र राज
- ज्ञानव्यापी विवाद और फ़ासिस्टों की चालें
- फासीवाद की बुनियादी समझ बनायें और आगे बढ़कर अपनी ज़िम्मेदारी निभायें
- मज़दूरी के बारे में (क्रान्तिकारी मज़दूर शिक्षण माला – 1)
- श्रीलंका का संकट : नवउदारवादी नीतियों की ख़ूनी जकड़ का विनाशकारी परिणाम
- देश में भयंकर गर्मी और पानी तथा बिजली के संकट का मुख्य कारण है; पूँजीवाद के हाथों हो रही पर्यावरण की तबाही
- नहीं, सर्वोच्च न्यायालय के महामहिमो! वेश्यावृत्ति कोई “पेशा” या “चयन की आज़ादी” नहीं है! ‘देह व्यापार’ स्त्रियों-बच्चों के विरुद्ध शोषण, हिंसा, असहायता और विकल्पहीनता में लिथड़ा पूँजीवादी मवाद है!
- बढ़ती महँगाई और मज़दूरों के हालात
- मुण्डका (दिल्ली) की फैक्ट्री में लगी आग: कौन है इन 31 मौतों का ज़िम्मेदार?
- उत्तर प्रदेश में निर्माण मज़दूरों की स्थिति है भयावह, संघर्ष का रास्ता चुनना ही होगा
- दो कविताएँ
- ‘किसान मज़दूर एकता’ केे खोखले नारे की असलियत
- वज़ीरपुर औद्योगिक क्षेत्र में काम के बुरे हालात