मनरेगा मज़दूरों ने कैथल के ढाण्ड ब्लॉक में प्रदर्शन कर मज़दूर दिवस के शहीदों को किया याद
मई दिवस का संकल्प – लड़कर लेंगे सारे हक़
बिगुल संवाददाता
1 मई, अन्तर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस के अवसर पर हरियाणा के कैथल ज़िले में ढाण्ड ब्लॉक में मनरेगा मज़दूरों ने अपने हक़-अधिकारों के लिए प्रदर्शन किया। यूनियन द्वारा बीडीपीओ को मनरेगा मज़दूरों की माँग का ज्ञापन सौंपा गया।
क्रान्तिकारी मनरेगा मज़दूर यूनियन के साथी अजय आशु ने बताया कि 1 मई मेहनतकश वर्ग का संकल्प दिवस है। आज के दिन ही शिकागो के हमारे शहीद मजदूरों ने ‘8 घण्टे काम, 8 घण्टे आराम और 8 घण्टे मनोरंजन’ की माँग का नारा बुलन्द किया था। आज मई दिवस के शहीदों को याद करने का मकसद है मज़दूरों-मेहनतकश लोगों के हक़-अधिकारों की लड़ाई को नये सिरे से संगठित करना। जिन मज़दूरों ने सुई से लेकर जहाज तक का निर्माण किया है; फैक्ट्री, कारख़ाने, रेलवे, बसें, अनाज तक सारी चीज़ें पैदा की हैं, आज वही लोग इन चीज़ों से वंचित हैं। इसलिए मई दिवस के शहीदों को याद करने का मकसद है आज नये सिरे से मज़दूरों के हक़-अधिकारों की लड़ाई तेज की जाये।
फरल गाँव की मेट सोनिया व विकास ने बताया कि हम मनरेगा मज़दूर मई दिवस के अवसर अपने उन मज़दूर नेताओं को याद कर रहे है जिन्होंने मज़दूरों के हक़-अधिकारों की लड़ाई लड़ी थी। लेकिन आज पूँजीपतियों की सरकार मज़दूरों के सारे हक़-अधिकार छीनने पर आमादा है। मनरेगा मज़दूरों के हालात पर ही बात की जाये तो आज कैथल जिले में मनरेगा के काम के हालात बेहद बदतर है। वैसे तो सरकार मनरेगा में 100 दिन के काम की गारण्टी देती है लेकिन वह अपनी ज़ुबान पर कहीं भी खरी नहीं उतरती। आँकड़ों के हिसाब से पूरे देशभर में और कलायत में भी मनरेगा में काम की औसत लगभग 25-30 दिन सालाना भी बड़ी मुश्किल से पड़ती है। हम सभी जानते है कि गाँवों में भी कमरतोड़ महँगाई के कारण मज़दूरों को परिवार चलाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में हर रोज़ अपना हाड़-माँस गलाकर पेट भरने वाले मज़दूरों को गाँव में भी किसी न किसी काम-धन्धे की ज़रूरत तो है ही। ऐसे में उनका सहारा केवल मनरेगा ही हो सकता है। लेकिन मनरेगा में पहले से ही बजट में कमी के साथ-साथ अफसरों पर भी धाँधली करने के आरोप लगते रहते हैं। ऐसे में सरकार को क़ायदे से मनरेगा के बजट, कार्यदिवस व दिहाड़ी में बढ़ोत्तरी करनी चाहिए। साथ ही आज मनरेगा कार्यालय में कर्मचारियों की कमी और सरकारों की मज़दूर – विरोधी नीतियों के कारण मनरेगा बजट का सदुपयोग नहीं हो पा रहा है। बार-बार काम की डिमाण्ड देने के बावज़ूद भी मज़दूरों को काम नहीं मिल पा रहा है। इसके खिलाफ़ हम सभी मज़दूरों को एकजुट होकर आवाज़ उठानी होगी।
मई दिवस के अवसर पर यूनियन ने सभी मज़दूर साथियों से अपील की कि क्रान्तिकारी मनरेगा मज़दूर यूनियन के सदस्य बनें। मज़दूरों के हक- अधिकारों की लड़ाई तभी आगे बढ़ सकती है जब उनके पास अपनी एक ईमानदार यूनियन होगी, क्योंकि यूनियन ही वह संगठन हो सकता है जिसके बैनर तले सभी मज़दूर एकजुट होकर अपने संघर्ष को आगे बढ़ा सकते हैं।
मज़दूर बिगुल, मई 2025