कविता : अनिल सदा / अमिताभ बच्चन
उनका नाम उन करोड़ों प्रवासी मज़दूरों की तरह
इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जायेगा
जो कब पैदा लेते हैं
कब कहाँ शहीद हो जाते हैं
इसका पता हम सुशिक्षित ज़मीन मालिकों को
जो किसान के रूप में धरती से विदा होना नहीं चाहते
और प्रवासी मज़दूरों की तबाही में
अपनी कोई भूमिका नहीं देखते
पता ही नहीं चलता