कविता – ऑटो मज़दूर का गीत / राल्फ़ मार्लेट Poem – Song of the Auto Worker / Ralph Marlatt
क्या तुमने किया कभी उस लाइन पर काम
जिसमें झोंके जाते हैं हर रोज़ पाँच हज़ार शरीर?
तो फिर, मेरे भाई, तुमने कभी नहीं जाना
होता क्या है जहन्नुम;
चीख़ता है भोंपू और चालू हो जाती है लाइन
झुको, उठाओ, मारो हथौड़ा, कसो पेंच
और अब रुकना नहीं जब तक न आये दोपहर
या फिर, जब तक कि तुम गिर न पड़ो।






















