गीत – मज़दूर एकता / कान्ति मोहन
मज़दूर एकता के बल पर हर ताक़त से टकरायेंगे
हर आँधी से हर बिजली से, हर आफ़त से टकरायेंगे!
जितना ही दमन किया तुमने उतना ही शेर हुए हैं हम,
ज़ालिम पंजे से लड़-लड़कर कुछ और दिलेर हुए हैं हम,
चाहे काले क़ानूनों का अम्बार लगाये जाओ तुम
कब जुल्मो-सितम की ताक़त से घबराकर ज़ेर हुए हैं हम,
तुम जितना हमें दबाओगे हम उतना बढ़ते जायेंगे