Tag Archives: कवितायें / गीत

कविता – राजे ने अपनी रखवाली की / सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’

राजे ने अपनी रखवाली की;
किला बनाकर रहा;
बड़ी-बड़ी फ़ौजें रखीं ।
चापलूस कितने सामन्त आए ।

कविता – सीखो दोस्तो सीखो! / बर्तोल्त ब्रेख्त (अनुवाद राजेंद्र मंडल)

सीखो दोस्तो सीखो, सीखो दोस्तो सीखो!
बुनियाद से, बुनियाद से, बुनियाद से!
बुनियाद से शुरु करो
तुमको अगुआ है बनना!

कविता – कुर्सीनामा / गोरख पाण्‍डेय

ख़ून के समन्दर पर सिक्के रखे हैं
सिक्कों पर रखी है कुर्सी
कुर्सी पर रखा हुआ
तानाशाह
एक बार फिर
क़त्ले-आम का आदेश देता है।

कविता – पूँजीवादी समाज के प्रति / मुक्तिबोध

तेरे हृास में भी रोग-कृमि हैं उग्र
तेरा नाश तुझ पर क्रुद्ध, तुझ पर व्यग्र।
मेरी ज्वाल, जन की ज्वाल होकर एक
अपनी उष्णता में धो चलें अविवेक
तू है मरण, तू है रिक्त, तू है व्यर्थ
तेरा ध्वंस केवल एक तेरा अर्थ।

नज्‍़म – कौन आज़ाद हुआ ? / अली सरदार जाफ़री

किसके माथे से गुलामी की सियाही छुटी ?
मेरे सीने मे दर्द है महकुमी का
मादरे हिंद के चेहरे पे उदासी है वही
कौन आज़ाद हुआ ?