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(मज़दूर बिगुल के फ़रवरी 2021 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ़ फ़ाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-ख़बरों आदि को यूनिकोड फ़ॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
करोड़ों मज़दूरों-कर्मचारियों पर क़हर बरपा करने वाले चार लेबर कोड लागू करने की हड़बड़ी में मोदी सरकार
बजट 2021-2022
केन्द्रीय बजट 2021-22; आँकड़ों में हेरफेर करके पूँजीपरस्त नीतियों पर जनपक्षधरता का मुलम्मा चढ़ाने का हास्यास्पद प्रयास / आनन्द
जनता के पैसे से खड़े सरकारी उपक्रमों को कौड़ियों के मोल पूँजीपतियों को बेचने की अन्धाधुन्ध मुहिम / पराग वर्मा
किसान-प्रश्न
क्या सारे किसानों के हित और माँगें एक हैं? धनी फ़ार्मरों व कुलकों से अलग सीमान्त, छोटे और निम्न-मँझोले किसानों की क्या माँगें हैं? / अभिनव
किसान आन्दोलन में भागीदारी को लेकर ग्राम पंचायतों और जातीय पंचायतों का ग़ैर-जनवादी रवैया
स्वास्थ्य
कोविड 19 वैक्सीन : एक पड़ताल / डॉक्टर्स फ़ॉर सोसाइटी
अन्तर्राष्ट्रीय कम्युनिस्ट आन्दोलन
नेपाल में राजनीतिक-संवैधानिक संकट; संशोधनवाद का भद्दा बुर्जुआ रूप खुलकर सबके सामने है! / आनन्द
समसामयिक
महामारी और संकट के बीच करोड़ों लोगों की रोज़ी-रोटी छिनी मगर पूँजीपतियों के मुनाफ़े में हो गयी 13 लाख करोड़ की बढ़ोत्तरी! / अनुपम
भण्डारा में 10 नवजात शिशुओं की मौत की ज़िम्मेदार पूँजीवादी व्यवस्था है / अविनाश
गूगल के कर्मचारियों ने बनायी अपनी यूनियन; क्या इस पहल का विस्तार दूसरी दैत्याकार टेक्नोलॉजी कम्पनियों में भी होगा? / अखिल
क्या हिरासत में होने वाली यातनाओं को रोकने के लिए सीसीटीवी कैमरे पर्याप्त हैं? / वृषाली
पूँजीवादी व्यवस्था लील रही मज़दूरों की ज़िन्दगियाँ / रूपा
गतिविधि रिपोर्ट
‘वादा ना तोड़ो अभियान’ के तहत पटना में हुआ ‘रोज़गार अधिकार महाजुटान’
संस्मरण
चिंगारी से भड़केंगी ज्वालाएँ (लेनिन के रोचक संस्मरण) / ज़ोया वोस्क्रेसेंस्काया
कला-साहित्य
नाज़ी जर्मनी के चार चित्र (नाटक) / बेर्टोल्ट ब्रेष्ट
दो कविताएँ / जैकी
आपस की बात
आपदा कैसी भी हो, उसकी मार सबसे ज़्यादा मज़दूर वर्ग पर ही पड़ती है / अनुपम वर्मा