कारख़ाना मज़दूर यूनियन ने लुधियाना में लगाया मेडिकल कैम्प
बिगुल संवाददाता
कारख़ाना मज़दूर यूनियन की तरफ़ से बीते 26 अगस्त को लुधियाना की एक मज़दूर बस्ती राजीव गाँधी कालोनी में मेडिकल कैम्प लगाया गया। दिन भर चले कैम्प में 750 से अधिक मरीज़ आये। यह मेडिकल कैम्प पूरी तरह से मुफ़्त था, लेकिन जैसा कि यूनियन ने कैम्प के पहले बाँटे गये पर्चे में और कैम्प के दौरान भी बताया गया, इस मेडिकल कैम्प का मक़सद परोपकार नहीं था बल्कि लोगों में स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता पैदा करना और साथ ही यह बताना था कि एकसमान और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ देश के हर नागरिक का अधिकार है और यह अधिकार हासिल करने के लिए एकजुट होकर संघर्ष करना होगा।
कैम्प में आये डॉक्टरों ने बताया कि इलाज के लिए आने वाले ज़्यादातर मज़दूर और उनके परिवारों के लोग कुपोषण का शिकार हैं। ख़ासकर औरतें और बच्चे भयंकर रूप में कुपोषित हैं। चमड़ी रोगों की भरमार है। डॉक्टरों ने कहा कि पौष्टिक ख़ुराक, बेहतर रिहायशी और काम की स्थितियाँ इनकी बीमारियों का असली इलाज है। उन्होंने बताया कि अमीर वर्गों और इन ग़रीब लोगों की बीमारियाँ बिल्कुल ही अलग-अलग हैं। अमीरों की ज़्यादातर बीमारियाँ मेहनत-मशक्कत न करने और अधिक खाने के कारण होती हैं जबकि ये ग़रीब लोग हद से अधिक मेहनत करने, आराम की कमी, पौष्टिक भोजन की कमी, गन्दगी आदि के कारण बीमार हैं।
राजीव गाँधी कालोनी में रिहायशी हालात हद से अधिक बदतर हैं। इस कालोनी के सभी निवासी ग़रीब मज़दूर हैं जिनमें से ज़्यादातर लुधियाना के कारख़ानों में बेहद कम मज़दूरी पर 12-14 घण्टे काम करते हैं। बहुत से निवासी ऐसे भी हैं जो रेहड़ी आदि लगाने का काम करते हैं। ऊबड़-खाबड़ कच्ची गलियाँ, सीवेज निकासी कोई नहीं, गन्दे शौचालय, चारों तरफ़ कूड़े के ढेर, गन्दगी-बदबू-मच्छर- मक्खियों का साम्राज्य, पानी की बेहद कम सप्लाई, पीने के लिए दूषित पानी-यह हालत है इस बस्ती के। ऐसे में लोगों का स्वास्थ्य कैसा होगा इसका अन्दाज़ा लगाना कठिन नहीं है। ऊपर से स्वास्थ्य के प्रति अज्ञानता, सरकारी अस्पतालों की बदतर हालत, निजी कम्पनियों और डॉक्टरों द्वारा मरीजों की लूट और उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ ने स्थिति और भी बिगाड़ दी है। सरकार व प्रशासन का मज़दूरों के हालात सुधारने की ओर कोई ध्यान नहीं है। इसलिए कारख़ाना मज़दूर यूनियन की तरफ़ से साफ़-सफाई, सीवेज, पानी, गलियों को पक्का करने आदि मुद्दों पर कालोनी निवासियों की लामबन्दी की जा रही है। म्युनिसिपल निगम दफ़्तर पर दो बार रोष प्रदर्शन किया गया जिसके बाद कुछ कदम उठाये गये जो बेहद नाकाफ़ी हैं। बड़े स्तर पर लोगों की लामबन्दी की कोशिश जारी है।
मेडिकल कैम्प के लिए सारा खर्च लोगों से घर-घर जाकर जुटाया गया। इस दौरान बाँटे गये पर्चे में बताया गया कि किस तरह पूँजीवादी व्यवस्था में लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। पिछले दो दशकों के दौरान लागू नयी आर्थिक नीतियों ने रही-सही सरकारी सुविधाओं को भी बाज़ार के हवाले कर दिया है। देश के ग़रीब मेहनतकश स्वास्थ्य सुविधा के अधिकार से वंचित हो चुके हैं। हर नागरिक को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना सरकार की ज़िम्मेदारी है लेकिन वह इससे हाथ खींच चुकी है। ऐसे में लोगों में जागरूकता, एकता और संघर्ष के जरिए ही वास्तव में स्वास्थ्य अधिकार हासिल किये जा सकते हैं।
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“…केवल चिकित्सा सेवाओं में सुधार करने से स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता, बल्कि इसके लिए जरूरी है स्वच्छता, आवास, पोषण और काम करने की स्थितियों में भी सुधार करना।…कुपोषित, फटेहाल और निर्मम शोषण की चक्की तले पिस रहे लोगों को बेहतर स्वास्थ्य और ज्ञान देना नामुमकिन है।”
– चीले के पूर्व राष्ट्रपति साल्वादोर अलेन्दे, जो अमेरिका द्वारा प्रायोजित तख्तापलट में मारे गये थे।
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मज़दूर बिगुल, अक्टूबर 2012
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