देश के विकास में बारिश का योगदान!

अन्वेषक

बारिश का मौसम आ गया है। काम से फ़ुरसत पाकर छट्टी के दिन शहर के मध्यवर्ग के लोग-बाग बालकनी में बैठकर आराम से पकौडे़ खाते-खाते चाय पीते हुए बारिश का आनन्द ले रहे हैं। आसमान काले बादलों से घिरा हुआ है। पेड़ों पर साफ़-सुथरी हरियाली छा गयी है और पंछी चारों ओर चहचहा रहे हैं। बिजली की गर्जना सुनकर मन शान्त है। लगने लगता है यही तो है जीवन का सार। बारिश का मौसम आते ही ज़िन्दगी थोड़ी अच्छी लगने लगती है। भयंकर गर्मी से छुटकारा पाकर लोग थोड़ा सुकून महसूस करते है़। तभी तो बरसात के मौसम का साहित्यों से लेकर फिल्मों तक में इतना महिमामण्डन किया गया है। कालीदास से लेकर गली के कवियों तक ने प्राचीन और मध्यकाल से लेकर आधुनिक काल तक मेघा के इन्तज़ार में पन्ने के पन्ने भर दिये हैं। पुरानी फिल्मों से लेकर आज तक, उस समय ही थियेटर में सबसे ज़्यादा तालियाँ बजती हैं, जब बारिश में ही नायक-नायिका रोमांस करते हैं। पर बारिश सिर्फ़ इन्सानों के जीवन में बहार नहीं लाती, बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था में भी जान ला देती है और उसे आगे बढ़ाने में अपना योगदान देती है। आप सोच रहे होंगे भला बारिश से देश की अर्थव्यवस्था कैसे आगे बढ़ सकती है! हाँ भाई बिल्कुल बढ़ सकती है! आइये आपको थोड़ा विस्तार से समझाता हूँ।

बरसात के मौसम के साथ ही शुरूआत होती है सड़क में गढ्ढे बनने और उसके धँसने की। इसी मौसम में पुल गिरते हैं, पुरानी इमारतें गिरती हैं, पेड़-खम्भों से लेकर न जाने क्या-क्या गिर जाता है। आप सोच रहे होंगे बात तो ठीक है, पर इससे देश की अर्थव्यवस्था का आगे बढ़ने से क्या लेना-देना है! महोदय! देश की विकास को समझने में, यही तो आप चूक गये! अब देखिए, जब कोई सड़क टूटती है या उसमें गढ्ढे बन जाते हैं, तो इसके बाद क्या होता है? इसके बाद अगले साल सरकार सड़क की मरम्मत के लिए नया टेण्डर निकालती है। कोई बड़ी कम्पनी सबसे अधिक पैसा देकर टेण्डर ख़रीदती है। फिर कम्पनी ठेकेदार नियुक्त करती है। ठेकेदार मज़दूरों को काम पर रखता है। फिर दुबारा नयी सड़क बनकर तैयार होती है। इसके बाद मोदीजी या माननीय मुख्यमन्त्री सड़क का उद्घाटन करने आते हैं। यानी सड़क के टूटने के कारण ही कम्पनी को टेण्डर मिला, ठेकेदार को सड़क बनाने के लिए ठेका मिला, मुनाफ़ा मिला और इससे ही मज़दूरों को 2-3 महीने के लिए काम मिला और अपना शोषण करवाने का अधिकार प्राप्त हो पाया और अन्त में सरकार को भी जनता के हित में किये गये काम को दिखाने का मौक़ा मिला। ठेका देने-दिलाने की प्रक्रिया में भी बहुत-कुछ हुआ, जिस पर हम बात नहीं करेंगे, लेकिन उनसे भी देश का विकास ही होता है, यह तो सभी जानते हैं। बहरहाल, तब आप भी खुश हो जाते हैं कि चलो नयी सड़क बन गयी। अब आप ही बताइए अगर बारिश नहीं होती और बारिश से सड़क नहीं टूटती तो क्या इतने सारे लोगों का भला हो पाता? क्या आप नयी सड़क का आनन्द उठा पाते? क्या मोदी जी या योगी जी भगवा झण्डों के साथ हाथ हिलाते हुए कैमरों के सामने उसका उद्घाटन कर पाते?

सिर्फ़ इतना ही नहीं, बारिश के कारण देश में विकास के और भी काम होते हैं। अब मान लीजिए कि आप साइकिल या बाइक से बारिश के मौसम में कहीं जा रहे हैं, अचानक एक गढ्ढा आता है, जो बारिश के पानी से लबालब भरा है और वह आपको दिखाई नहीं देता। आप अपनी साइकिल या बाइक उसी गढ्ढे में घुसा देते हैं। ज़ाहिर सी बात है, आपको चोट आयेगी या आप दैहिक-दैविक ताप से मुक्ति पाकर परलोक प्रस्थान करेंगे। अगर आपको चोट आती है तो तब आप भागे-भागे अस्पताल जायेंगे या ले जाये जायेंगे। मैं मानकर चल रहा हूँ कि आप ऐसे समय में सरकारी अस्पतालों में जाकर धक्के खाना पसन्द नहीं करेंगे और किसी प्राईवेट अस्पताल की ओर रुख़ करेंगे, अगर आपकी उधार लेने लायक भी औक़ात हुई तो। वहाँ जाकर आप मरहम-पट्टी करायेंगे और डॉक्टर जो दवाइयाँ लिखकर देगा, वह भी ख़रीदेंगे। अब आप बाइक के साथ गिरे हैं, तो आपको बाइक भी तो ठीक करवानी होगी। इसके लिए आप सर्विस सेण्टर जायेंगे। वहाँ भी जाकर आप उन्हें बाइक ठीक करने के लिए पैसे देंगे। यानी आप सड़क के गढ्ढे में गिरकर, प्राईवेट अस्पताल को पैसा देकर, सर्विस सेण्टर को पैसा देकर देश के विकास में ही तो योगदान दे रहें हैं! इससे आप देश की अर्थव्यस्था को आगे बढ़ाने में ही मदद कर रहे हैं! मान लें अगर आप मर ही गये, तो इसे “राष्ट्र” के विकास में योगदान मानिये! एक तो जनसंख्या कम करने में आपका योगदान होगा, ऊपर से आपके क्रिया-करम की प्रक्रिया में भी बहुत-से भले मानुषों का भला हो जायेगा, जैसे मरघट्टे पर लकड़ी व क्रिया-करम का सामान बेचने वाले व्यापारी, मन्त्र पढ़ने वाले पण्डित, शव-वाहन सेवा का मालिक, आदि-आदि। जो भी हो, देश के विकास में आपका बारिश के मौसम में वैविध्यपूर्ण तरीके से योगदान हो सकता है। अब ज़रा सोचिये : आपके गढ्ढे में गिरने से ही तो अर्थव्यवस्था को फ़ायदा हुआ! यह सब बारिश के कारण ही तो सम्भव हो पा रहा है!

अगर बारिश नहीं होगी तो सरकार, कम्पनी, ठेकेदार, अस्पताल, सर्विस सेण्टर सबका नुक़सान होगा। इससे फिर हमारा 5 ट्रिलियन इकॉनोमी बनने का सपना, सपना ही रह जायेगा। इसमें भी कई से लोग बोलने आ जायेंगे कि सड़क, पुल वगैरह तो सब एक बार में ही अच्छे बनाने चाहिए ताकि वह सालों-साल चले। पर ऐसे लोग देश के विकास के बारे में नहीं सोचते! उन्हें देश की अर्थव्यवस्था से कोई लेना-देना नहीं है! अगर सरकार एक ही बार में अच्छी सड़क बनवा देगी, फिर मोदीजी और तमाम माननीय मुख्यमन्त्री लोग बार-बार उद्घाटन किसका करेंगे? जब वह वोट माँगने जायेंगे, तो लोग ही कहेंगे कि वो सड़क तो कई साल पहले की बनी है। कम्पनी हर साल उसी सड़क को बनाने का नया टेण्डर कैसे लेगी? ठेकेदार सीमेन्ट-रोड़ी कम लगाकर अपना कमीशन कैसे बढ़ायेगा? सबसे ज़रूरी बात कि आपके दिल को तसल्ली कैसे मिलेगी, कि आपके यहाँ नयी सड़क बनी है? यानी कोई सड़क सालों-साल सही-सलामत चल जायेगी, उसकी नियमित तौर पर मरम्मत वगैरह होगी, उसमें गढ्ढे नहीं होंगे तो हमारी देश की अर्थव्यस्था ठप्प नहीं पड़ जायेगी! अब आप बताइये कि बारिश का हमारी देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में योगदान है या नहीं? इसलिए आज से आप टूटी हुई सड़क को देखकर शिकायतें करना बन्द कर दीजिए और शान से इसके फ़ायदे के बारे में सबको बताइये और कभी मौक़ा मिले तो गढ्ढों से रूबरू होकर अपना एक्सीडेण्ट भी करवाइये ताकि देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में आप भी योगदान दे सकें। आख़िर बरिश का मौसम सिर्फ़ चाय-पकौड़े खाने के लिए थोड़े ही है, ये तो देश के विकास का मौसम है।

 

मज़दूर बिगुल, जुलाई 2025

 

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