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(मज़दूर बिगुल के जनवरी-फरवरी 2014 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
गहराता आर्थिक संकट, फासीवादी समाधान की ओर बढ़ती पूँजीवादी राजनीति और विकल्प का सवाल
अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय
स्पेन में गहराता आर्थिक संकट आम लोगों को आत्महत्या की ओर धकेल रहा है / गुरप्रीत
फासीवाद
चाय बेचने की दुहाई देकर देश बेचने के मंसूबे / कविता कृष्णपल्लवी
संघर्षरत जनता
ठेका प्रथा उन्मूलन के वायदे से मुकरी केजरीवाल सरकार!
आन्दोलन : समीक्षा-समाहार
मारुति सुजुकी मज़दूरों की “जनजागरण पदयात्रा” जन्तर-मन्तर पर रस्मी कार्यक्रम के साथ समाप्त हुई / अजय
महान शिक्षकों की कलम से
मज़दूरों का राजनीतिक अख़बार एक क्रान्तिकारी पार्टी खड़ी करने के लिए ज़रूरी है /लेनिन
समाज
लगातार बढ़ता जा रहा है स्त्रियों और बच्चों की तस्करी का घिनौना कारोबार / लखविन्दर
बुर्जुआ जनवाद – चुनावी नौटंकी
जनतंत्र नहीं धनतंत्र है यह / अजय
साम्राज्यवाद / युद्ध / अन्धराष्ट्रवाद
अमेरिकाः दुनिया का सबसे रुग्ण और अपराधग्रस्त समाज / कविता
स्वास्थ्य
अमीरों के लिए अंगों के स्पेयर पार्ट की दुकानें नहीं हैं ग़रीब! / डॉ. अमृत
लेखमाला
कैसा है यह लोकतन्त्र और यह संविधान किनकी सेवा करता है? (समापन किस्त) – उपसंहार / आनन्द सिंह
बोलते आँकड़े, चीख़ती सच्चाइयाँ
मोदी के विकास के “गुजरात मॉडल” की असलियत / लीना मेहंदोले
महान जननायक
आज़ादी, बराबरी और इंसाफ के लिए लड़ने वाली मरीना को इंक़लाबी सलाम! / संजय
कारखाना इलाक़ों से
मैट्रिक्स क्लोथिंग, गुड़गाँव में मजदूरों के हालात! / आनन्द, गुड़गांव
गतिविधि
पाँचवी अरविन्द स्मृति संगोष्ठी – विषयः समाजवादी संक्रमण की समस्याएँ
कला-साहित्य
कविता – जब फ़ासिस्ट मज़बूत हो रहे थे / बेर्टोल्ट ब्रेष्ट
मज़दूरों की कलम से
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन