दुश्मन द्वारा हमला किया जाना बुरी बात नहीं बल्कि अच्छी बात है
माओ त्से-तुङ
क्या वजह है कि जापान-विरोधी सैनिक और राजनीतिक कालेज देशभर में मशहूर हो गया है और विदेशों में भी इसने कुछ प्रतिष्ठा अर्जित की है? क्योंकि जापान-विरोधी सभी संस्थानों में यह सबसे क्रांतिकारी, सबसे प्रगतिशील और राष्ट्रीय मुक्ति तथा सामाजिक स्वतंत्रता के लिए सबसे अच्छा योद्धा है। मेरे खयाल से, यही वह वजह है कि येनान आने पाले लोग इसे देखने के लिए इतने उत्सुक रहते हैं।
यह कालेज क्रांतिकारी और प्रगतिशील है क्योंकि यहां के स्टाफ़ के लोग व अध्यापक और यहां के पाठ्यक्रम, दोनों ही क्रांतिकारी और प्रगतिशील हैं। इस क्रांतिकारी और प्रगतिशील चरित्र के बिना यह देश और विदेश की क्रांतिकारी जनता की सराहना नहीं पा सकता था।
कुछ लोग कालेज पर हमला करते हैं। वे देश के आत्मसमर्पणवादी और कट्टर कम्युनिस्ट-विरोधी लोग हैं। इससे यही पता चलता है कि कालेज बहुत क्रांतिकारी और प्रगतिशील है, वरना वे इस पर हमला नहीं करते। आत्मसमर्पणवादियों और कट्टर कम्युनिस्ट-विरोधियों के जोरदार हमले इसके क्रांतिकारी और प्रगतिशील चरित्र का प्रमाण हैं और इनसे कालेज की शान बढ़ती है। यह केवल इस कारण से एक शानदार सैनिक संस्थान नहीं है कि बहुसंख्यक जनता इसका समर्थन और सराहना करती है, बल्कि इसलिए भी है क्योंकि आत्मसमर्पणवादी और कट्टर कम्युनिस्ट-विरोधी पूरा जोर लगाकर इस पर हमला करते हैं और इसे बदनाम करते हैं।
मैं मानता हूं कि अगर किसी व्यक्ति, राजनीतिक दल, सेना या स्कूल पर दुश्मन हमला नहीं करता तो हमारे लिए यह बुरी बात है क्योंकि इसका निश्चित रूप से यह मतलब होता कि हम दुश्मन के स्तर तक नीचे सरक आये हैं। दुश्मन द्वारा हमला किया जाना अच्छा है क्योंकि यह साबित करता है कि हमने दुश्मन और अपने बीच एक स्पष्ट विभाजक-रेखा खींच दी है। अगर दुश्मन हम पर उन्मत्त होकर हमला करता है और हमें किसी भी गुण से रहित एकदम काले रूप में चित्रित करता है तो यह और भी अच्छा है। यह दिखाता है कि हमने न केवल दुश्मन और अपने बीच एक स्पष्ट विभाजक-रेखा खींच दी है बल्कि अपने काम में काफ़ी कुछ हासिल भी कर लिया है।
पिछले तीन वर्ष में जापान-विरोधी सैनिक और राजनीतिक कालेज ने दसियों हजार संभावनाशील, प्रगतिशील और क्रांतिकारी युवा छात्रों को प्रशिक्षित करके देश को, राष्ट्र को और समाज को भारी योगदान किया है। निश्चित तौर पर यह देश, राष्ट्र और समाज को और भी योगदान करता रहेगा क्योंकि यह बड़ी संख्या में ऐसे युवा छात्रों को प्रशिक्षित करता रहेगा। कालेज की बात करते हुए लोग अक्सर इसकी तुलना उत्तरी अभियान से पहले की वांपोआ सैनिक अकादमी से करते हैं। दरअसल, दोनों संस्थानों में कई समानताएं और अंतर हैं। समानता यह है कि दोनों में ही अध्यापकों और छात्रों में कम्युनिस्ट मौजूद थे। अंतर यह है कि जहां वांपोआ सैनिक अकादमी के मुख्य नेता और बहुसंख्यक छात्र क्वोमिंताङ के सदस्य थे, वहीं जापान-विरोधी सैनिक और राजनीतिक कालेज का पूरा नेतृत्व कम्युनिस्ट पार्टी के हाथों में है और छात्रों की भारी बहुसंख्या या तो कम्युनिस्ट है या कम्युनिस्टों की ओर रुझान रखती है। इस वजह से, आज का जापान-विरोधी सैनिक और राजनीतिक कालेज अतीत की वांपोआ सैनिक अकादमी से अवश्य ही अधिक क्रांतिकारी और प्रगतिशील है और यह निश्चित रूप से राष्ट्रीय मुक्ति और सामाजिक स्वतंत्रता में अधिक बड़ा योगदान करेगा।
कालेज की शैक्षिक नीति एक दृढ़ और सही राजनीतिक दिशा, एक अध्यवसायपूर्ण और सरल कार्यशैली तथा लचीली रणनीति और रणकौशल में दीक्षित करना है। जापान-विरोधी क्रांतिकारी सैनिक बनने के लिए ये तीन बुनियादी बातें हैं। इन बुनियादी बातों के अनुसार ही स्टाफ़ के लोग सिखाते हैं और छात्र सीखते हैं।
पिछले कुछ वर्षों में कालेज की प्रगति और विकास के साथ ही कुछ कमियां भी रही हैं। यह बढ़ा है, लेकिन कठिनाइयां भी उभरकर आयी हैं। मुख्य कठिनाई धन, शिक्षकों और शिक्षण सामग्री की कमी की है। लेकिन कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में कालेज इसी कठिनाई से नहीं डरता और निश्चित रूप से उन पर विजय पा लेगा। कम्युनिस्टों के लिए कठिनाई जैसी कोई चीज नहीं होती क्योंकि वे उन पर विजय पा सकते हैं।
यह मेरी और पूरे देश की जनता की आशा है कि कालेज अपनी कमियों को दूर करेगा और अपनी तीसरी वर्षगांठ के बाद और भी प्रगतिशील बन जायेगा।
कालेज के अध्यापको, स्टाफ़ के सदस्यो और छात्रे, आइये, हम अपने प्रयासों को दुगुना कर दें!
(चीनी जनता के जापान-विरोधी सैनिक और राजनीतिक कालेज की स्थापना की तीसरी वर्षगांठ के अवसर पर) 26 मई 1939
मज़दूर बिगुल, अक्टूबर 2013
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मज़दूरों के महान नेता लेनिन