जनता का साहित्य
गजानन माधव मुक्तिबोध
तो फिर जनता का साहित्य क्या है? जनता के साहित्य से अर्थ है ऐसा साहित्य जो जनता के जीवन-मूल्यों को, जनता के जीवनादर्शों को, प्रतिष्ठापित करता हो, उसे अपने मुक्तिपथ पर अग्रसर करता हो। इस मुक्तिपथ का अर्थ राजनैतिक मुक्ति से लगाकर अज्ञान से मुक्ति तक है। अतः इसमें प्रत्येक प्रकार का साहित्य सम्मिलित है, बशर्ते कि वह सचमुच उसे मुक्तिपथ पर अग्रसर करे। … जनता के मानसिक परिष्कार, उसके आदर्श मनोरंजन से लगाकर क्रान्तिपथ पर मोड़ने वाला साहित्य, मन को मानवीय और जन को जन-जन करने वाला साहित्य, शोषण और सत्ता के घमण्ड को चूर करने वाले स्वातंत्रय और मुक्ति के गीतों वाला साहित्य, प्राकृतिक शोभा और स्नेह के सुकुमार दृश्यों वाला साहित्य – सभी प्रकार का साहित्य सम्मिलित है बशर्ते कि वह मन को मानवीय, जन को जन-जन बना सके और जनता को मुक्तिपथ पर अग्रसर कर सके।
(जनता का साहित्य किसे कहते हैं?)
मज़दूर बिगुल, सितम्बर 2013
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