मज़दूर वर्ग के महान शिक्षक कार्ल मार्क्स के जन्मदिवस (5 मई) के अवसर पर उनके दो उद्धरण
“अपने साहस, दृढ़निश्चय और आत्म-बलिदान के दम पर मज़दूर ही जीत हासिल करने के लिए मुख्य तौर पर ज़िम्मेदार होंगे। निम्न पूँजीपति वर्ग (मध्य वर्ग – अनु.) जब तक सम्भव हो तब तक हिचकिचाएगा और भयभीत, ढुलमुल और निष्क्रिय बना रहेगा; लेकिन जब जीत सुनिश्चित हो जायेगी तो यह उस पर अपना दावा करेगा और मज़दूरों से क़ायदे से पेश आने के लिए कहेगा, और सर्वहारा वर्ग को यह जीत के फलों से वंचित कर देगा। …बुर्जुआ जनवादियों के शासन में, शुरू से ही, इसके विनाश के बीज छिपे होंगे, और अन्ततोगत्वा सर्वहारा द्वारा इसे प्रतिस्थापित कर दिया जाना आसान बना दिया जायेगा।” (‘फ्रांस में वर्ग संघर्ष’)
“इस कम्युनिस्ट चेतना के बड़े पैमाने पर उत्पादन, और …बड़े पैमाने पर मनुष्यों के रूपान्तरण दोनों के लिए, …क्रान्ति आवश्यक है; और इसी वजह से, यह क्रान्ति महज़ इसलिए आवश्यक नहीं है क्योंकि शासक वर्ग को किसी अन्य तरीक़े से उखाड़ फेंकना सम्भव नहीं है, बल्कि इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि उसे उखाड़ फेंकने वाला वर्ग केवल क्रान्ति में ही अपने आप को सदियों की तमाम गन्दगी से मुक्त कर सकता है और नये समाज की नींव रखने के लिए तैयार हो सकता है।” (‘जर्मन विचारधारा’, 1845)