नये साल के ठीक पहले झारखण्ड की कोयला खदान में दर्दनाक हादसा
जो मज़दूर ज़मीन के भीतर से कोयला निकालने के लिए अपनी जान जोिख़म में डालकर 300 फ़ीट गहरी खान खोदकर बेहद ख़तरनाक परिस्थितियों में दिन-रात काम कर सकते हैं, वे मानवता पर बोझ बन चुकी इस बर्बर पूँजीवादी व्यवस्था की क़ब्र खोदकर उसे मौत की नींद भी सुला सकते हैं। ज़रूरत इस बात की है कि ज़मीन के भीतर काम करने वाले खनन मज़दूरों और ज़मीन के ऊपर काम करने वाले औद्योगिक व कृषि मज़दूरों के बीच वर्गीय आधार पर जुझारू एकजुटता स्थापित हो।