मज़दूर वर्ग के महान शिक्षक कार्ल मार्क्स के दो उद्धरण
“अपने साहस, दृढ़निश्चय और आत्म-बलिदान के दम पर मज़दूर ही जीत हासिल करने के लिए मुख्य तौर पर ज़िम्मेदार होंगे। निम्न पूँजीपति वर्ग (मध्य वर्ग – अनु.) जब तक सम्भव हो तब तक हिचकिचाएगा और भयभीत, ढुलमुल और निष्क्रिय बना रहेगा; लेकिन जब जीत सुनिश्चित हो जायेगी तो यह उस पर अपना दावा करेगा और मज़दूरों से क़ायदे से पेश आने के लिए कहेगा, और सर्वहारा वर्ग को यह जीत के फलों से वंचित कर देगा। …बुर्जुआ जनवादियों के शासन में, शुरू से ही, इसके विनाश के बीज छिपे होंगे, और अन्ततोगत्वा सर्वहारा द्वारा इसे प्रतिस्थापित कर दिया जाना आसान बना दिया जायेगा।” (‘फ्रांस में वर्ग संघर्ष’)