(बिगुल के जून 2009 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
यूपीए सरकार का नया एजेण्डा : अब बेरोकटोक लागू होंगी पूँजीवादी विकास की नीतियाँ – जनता के गुस्से की आँच पर पानी के छींटे डालते हुए देशी-विदेशी पूँजीपतियों की लूट को और मुकम्मल बनाने की तैयारी
अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय
स्विस बैंकों में जमा 72 लाख करोड़ की काली कमाई पूँजीवादी लूट के सागर में तैरते हिमखण्ड का ऊपरी सिरा भर है / क़पिल स्वामी
आन्दोलन : समीक्षा-समाहार
नेपाली क्रान्ति किस ओर? नयी परिस्थितियाँ और पुराने सवाल / आलोक रंजन
महान शिक्षकों की कलम से
पूँजीपति वर्ग के पास आर्थिक संकट को रोकने का एक ही तरीका है : और भी व्यापक और विनाशकारी संकटों के लिए पथ प्रशस्त करना और इन संकटों को रोकने के साधनों को घटाते जाना! / कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स
बुर्जुआ जनवाद – चुनावी नौटंकी
पूँजीवादी लोकतंत्र में ”बहुमत” की असलियत : महज़ 12 प्रतिशत लोगों के प्रतिनिधि हैं देश के नये सांसद
20 रुपये रोज़ पर गुज़ारा करने वाले 84 करोड़ लोगों के देश में 300 सांसद करोड़पति
लेखमाला
अदम्य बोल्शेविक – नताशा एक संक्षिप्त जीवनी (छठी किश्त) / एल. काताशेवा
फ़ासीवाद क्या है और इससे कैसे लड़ें (पहली किश्त) – पूँजीवादी संकट आैर उसकी सम्भावित प्रतिक्रियाएँ / अभिनव
बोलते आँकड़े, चीख़ती सच्चाइयाँ
बोलते आँकड़े चीख़ती सच्चाइयाँ
इतिहास
कभी चैन की नींद नहीं सो सकेंगे पूँजीवादी पथगामी… – चीन के नये पूँजीवादी शासकों के ख़िलाफ 4 जून, 1989 को त्येनआनमेन पर हुए जनविद्रोह के बर्बर दमन की 20वीं बरसी पर / सन्दीप
कारखाना इलाक़ों से
लुधियाना के टेक्सटाइल मज़दूरों का संघर्ष रंग लाया / राजविन्दर
औद्योगिक दुर्घटनाएं
बादली औद्योगिक क्षेत्र की हत्यारी फैक्टरियाँ
कला-साहित्य
बेर्टोल्ट ब्रेष्ट की कविता – हम राज करें, तुम राम भजो!
गीत – तस्वीर बदल दो दुनिया की / शशि प्रकाश
मज़दूरों की कलम से
जानवरों जैसा सलूक किया जाता है मज़दूरों के साथ / राजेश, नोएडा
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मज़दूरों के महान नेता लेनिन
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