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(बिगुल के अप्रैल 2009 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
न कोई नारा, न कोई मुद्दा – चुनाव नहीं ये लुटेरों के गिरोहों के बीच की जंग है
अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय
मन्दी के विरोध में दुनियाभर में फैलता जनआक्रोश – इतिहास फिर करवट बदल रहा है / अजयपाल
आर्थिक संकट का सारा बोझ मज़दूरों पर – देश भर में हो रही है मज़दूरों की छँटनी / लखविन्दर
विशेष लेख / रिपोर्ट
नरेगा: सरकारी दावों की ज़मीनी हकीकत – एक रिपोर्ट
संघर्षरत जनता
गोरखपुर में शराब माफिया के ख़िलाफ़ नौजवान भारत सभा का संघर्ष रंग लाया
दिल्ली मेट्रो प्रबन्धन के ख़िलाफ़ एकजुट हो रहे हैं सफ़ाईकर्मी
मज़दूर आंदोलन की समस्याएं
महान शिक्षकों की कलम से
जनवादी जनतन्त्र: पूँजीवाद के लिए सबसे अच्छा राजनीतिक खोल / लेनिन
लेखमाला
अदम्य बोल्शेविक – नताशा – एक संक्षिप्त जीवनी (चौथी किश्त) / एल. काताशेवा
महान जननायक
ग़रीब किसानों और मज़दूरों के ‘राहुल बाबा’
महान मज़दूर नेता
गतिविधि रिपोर्ट
भगतसिंह के शहादत दिवस पर कार्यक्रम
नरेगा की अनियमितताओं के खिलाफ लड़ाई फैलती जा रही है
कला-साहित्य
फिल्म समीक्षा : झुग्गीवालों की कहानी पर कोठीवाले मस्त! या इलाही ये माजरा क्या है? / सत्यप्रकाश
आपस की बात
मज़दूरों की कलम से
भोरगढ़, नरेला के कारख़ानों में मज़दूरों का बर्बर शोषण बेरोकटोक जारी है / मुकेश, भोरगढ़, नरेला, दिल्ली
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मज़दूरों के महान नेता लेनिन