मज़दूरों के बीच सट्टेबाज़ी ऐप्स का बढ़ता ख़तरनाक चलन
पूँजीवादी कुसंस्कृति किस प्रकार से मज़दूरों के बीच अपनी पैठ बनाती है, इसका हालिया नमूना तमाम तरह-तरह के फ़ैण्टेसी टीम व सट्टेबाज़ी ऐप्स हैं। ये सारे ऐप आपको रातों-रात करोड़पति बनाने का वायदा करते हैं। इनके अनुसार, महज़ कुछ पैसा लगायें और अगर “क़िस्मत की देवी” मेहरबान हुई तो फिर आप मालामाल हो जायेंगे। शहरों में काम करने वाले मज़दूरों की आबादी के बीच इन सट्टेबाज़ी ऐप्स का चलन पिछले 3 से 4 वर्षों में काफ़ी बढ़ गया है। पूँजीवाद की शैशावस्था से यानी 19वीं शताब्दी के मध्य से पूँजीपतियों द्वारा जुए और सट्टेबाज़ी को बढ़ावा दिया जा रहा है।