(बिगुल के अक्टूबर 2009 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
लोकतन्त्र का लबादा खूँटी पर, दमन का चाबुक हाथ में! ”वामपन्थी” उग्रवाद से निपटने के नाम पर आम जनता के खिलाफ ख़ूनी युद्ध की तैयारी! सबसे बड़ा आतंकवाद है राजकीय आतंकवाद और वही है हर किस्म के आतंकवाद का मूल कारण
संघर्षरत जनता
जब एक हारी हुई लड़ाई ने जगाई मजदूरों में उम्मीद और हौसले की लौ…
रामपुर-चंदौली के पाँच बोरा कारखानों के मजदूरों के आन्दोलन की आंशिक जीत – आतंक और असुरक्षा के साये में जीने को मजबूर हैं भयंकर शोषण के शिकार हजारों मजदूर
दिल्ली मेट्रो फीडर के चालकों-परिचालकों की सफल हड़ताल
गोरखपुर में मजदूरों की एकजुटता के आगे झुके मिल मालिक – आन्दोलन की आंशिक जीत, लेकिन मालिकान के अड़ियल रवैये के खिलाफ संघर्ष जारी
बुर्जुआ जनवाद – दमन तंत्र, पुलिस, न्यायपालिका
नाना पाटेकर, सनी देओल और चिदम्बरम / आलोक रंजन
प्रधानमन्त्री जी, देश की सुरक्षा को खतरा आतंकवाद से नहीं, ग़रीबी-भुखमरी-बेरोजगारी से है! / सुखदेव
देश के ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में अभूतपूर्व सैन्य आक्रमण शुरू करने की भारत सरकार की योजना के ख़िलाफ ज्ञापन
बुर्जुआ जनवाद – चुनावी नौटंकी
यूपीए सरकार का सादगी ड्रामा / नमिता
शिक्षा और रोजगार
जाँच समितियाँ नहीं बतायेंगी खजूरी स्कूल हादसे के असली कारण
लेखमाला
अदम्य बोल्शेविक – नताशा एक संक्षिप्त जीवनी ( दसवीं किश्त) / एल. काताशेवा
इतिहास
दूसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत के 70 वर्ष पूरे होने के मौके पर – इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने की पूँजीवादी कोशिशों के बावजूद इस सच्चाई को नहीं झुठलाया जा सकता – हिटलर को हराकर दुनिया को फासीवाद के राक्षस से मजदूरों के राज ने ही बचाया था / आनन्द सिंह
चीनी क्रान्ति की 60वीं वर्षगाँठ पर – बीसवीं सदी की दूसरी महानतम क्रान्ति मेहनतकश जनता के लिए प्रेरणा का अक्षयस्रोत बनी रहेगी! इस क्रान्ति की शिक्षाओं से सीखकर आज की क्रान्तिकारी राह पर आगे बढ़ना होगा!
स्मृति शेष
नहीं रहे प्रो. के. बालगोपाल
औद्योगिक दुर्घटनाएं
कोरबा के मजदूरों की मौत हादसा नहीं, हत्या है!! / शिवानी
गतिविधि रिपोर्ट
नये संकल्पों और नयी शुरुआतों के साथ मना शहीदेआजम भगतसिंह का जन्मदिवस
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मज़दूरों के महान नेता लेनिन
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