केरल में ग़द्दार वामपन्थ के कारनामे – ‘धन्धा करने की आसानी’ को बढ़ावा, आशा कार्यकर्ताओं का दमन, अवसरवादियों का स्वागत
आशा कर्मियों की हड़ताल पर सबसे उग्र हमला सीटू नेताओं की ओर से हुआ। सामाजिक-जनवादियों के बीच के श्रम विभाजन के अनुसार, वामपन्थी सरकार पूरी तरह से नवउदारवादी नीतियों को लागू करके पूँजीपति वर्ग की सेवा करती है। उसके ट्रेड यूनियन मोर्चे के रूप में, सीटू का ‘वर्गीय कर्तव्य’ यह सुनिश्चित करना होता है कि मज़दूरों पर लगाम कसी रहे और वे इन नीतियों का विरोध क़तई न कर पायें। इसलिए, कोई भी हड़ताल जो सीटू की हड़तालों के ‘अनुष्ठानिक’ दायरे से आगे बढ़ती है, पूँजीपति वर्ग और सामाजिक-जनवाद के लिए ख़तरा बन जाती है। ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं कि सीटू के राज्य उपाध्यक्ष हर्षकुमार ने हड़ताल की एक महिला नेता को “संक्रामक रोग फैलाने वाला कीट” कहकर पुकारा।