मौत की खदानों में मुनाफे का खेल
जसवंत मांझी एक दिहाड़ी मज़दूर है जो गुजरात के गोधरा में पत्थर की ख़दानों में काम करता है। कुछ साल पहले उसको काम करने में दिक्कत होने लगी थी। फिर कुछ समय बाद बिना काम किये भी साँस फूलने लगी, लगातार खाँसी और थकान रहने लगी, छाती में दर्द रहने लगा, भूख ख़त्म होने लगी, और चमड़ी का रंग नीला पड़ने लगा। इसी तरह के लक्षणों के चलते जसवंत के बड़े भाई, बहन और बहनोई की भी मौत हो चुकी है। सिर्फ़ ये लोग ही नहीं, इनके जैसे 238 मज़दूर गोधरा की इन पत्थर ख़दानों में इसी बीमारी “सिलिकोसिस” के कारण अपनी जान गँवा चुके हैं।