मेहनतकशों के खून से लिखी पेरिस कम्यून की अमर कहानी फ्रांस की राजधानी पेरिस में इतिहास में पहली बार 1871 में मज़दूरों ने अपनी हुकूमत क़ायम की। हालांकि पेरिस कम्यून सिर्फ 72 दिनों तक टिक सका लेकिन इस दौरान उसने दिखा दिया कि किस तरह शोषण-उत्पीड़न, भेदभाव-गैरबराबरी से मुक्त समाज क़ायम करना कोरी कल्पना नहीं है। पेरिस कम्यून की पराजय ने भी दुनिया के मजदूर वर्ग को बेशकीमती सबक सिखाये। पेरिस कम्यून का इतिहास क्या था, उसके सबक क्या हैं, यह जानना मज़दूरों के लिए बेहद ज़रूरी है। यह पुस्तिका इसी जरूरत को पूरा करने की एक कोशिश है। पुस्तिका में संकलित लेख ‘नई समाजवादी क्रान्ति का उद्घोषक बिगुल’ और क्रान्तिकारी बुद्धिजीवियों की पत्रिका ‘दायित्वबोध’ से लिये गये हैं।