Category Archives: आर्काइव
आपातकाल के पच्चीस वर्ष बाद अघोषित आपातकाल जैसी स्थिति : संशोधित टाडा बिल के बहाने जीने के अधिकार पर एक और हमला
किसान अब गुर्दा बेचने को मज़बूर
चिकित्सा के भी बाजारीकरण ने साबित कर दिया है कि राज कर रहे कफनखसोट मुर्दाखोर
मुनाफाखोरों की नजर में एक मज़दूर की जिन्दगी कीड़ों- मकोड़ों से अधिक कुछ भी नहीं
शाहदरा के केबिल उद्योग में मज़दूरों की दयनीय स्थिति
एकता के सवाल पर सही रूख अपनाने की जरूरत
बीमा का निजीकरण और ट्रेड यूनियन की भूमिका : एक
क्रान्तिकारी सिद्धांत के बिना क्रान्तिकारी आन्दोलन असंभव / लेनिन
वाजपेयी सरकार के मजदूरों के खिलाफ आक्रामक तेवर : किसी का इंतजार न करो! अपनी एकता मजबूत करो!
दिहाड़ी मज़दूरों को भी अपने आन्दोलन का साझीदार बनाना एक शानदार शुरूआत है
सूखा : यह प्राकृतिक आपदा नहीं है, इसे मुनाफे की हवस पर टिकी व्यवस्था ने पैदा किया है
नई आर्थिक नीतियों का कहर बच्चों पर – देश में बाल मज़दूरों की सरकारी संख्या सवा दो करोड़ पहुँची
‘भारत का मानचेस्टर’ अहमदाबाद अब कपड़ा मिलों के कब्रगाह में
हमारे आंदोलन के आवश्यक काम / लेनिन
बदली हुई विश्व परिस्थिति में क्रान्ति के स्तर निर्णय का प्रश्न
नयी आयात-निर्यात नीति : उदारीकरण-निजीकरण कुचक्र का नया विनाशकारी पड़ाव
पूँजीपति वर्ग ने अपना आखिरी विकल्प चुन लिया है! मेहनतकशों को भी अब आखिरी विकल्प चुनना ही होगा!!
नोएडा लेदर गारमेण्ट उद्योग के मज़दूरों का संघर्ष व्यापक मज़दूर एकता की शानदार मिसाल
टेल्को कर्मचारियों पर बर्बर लाठीचार्ज : कारखाने में गैरकानूनी तालाबन्दी
सर्वहारा वर्ग की पार्टी का वास्तविक कार्य-लक्ष्य / व्ला. इ. लेनिन
कामो / मक्सिम गोर्की
साम्राज्यवादी लुटेरों के सरगना क्लिण्टन की भारत यात्रा, देशी लुटेरे लहालोट हुए, परजीवी जमातों ने आरती उतारी
नया वर्ष संघर्षों का, नई सदी मेहनतकश की
नये वर्ष की शुरूआत व्यापक हड़तालों के साथ – मेहनतकशों की हड़तालों-आन्दोलनों का सिलसिला थमने वाला नहीं है
पर्यावरण की चिन्ता या इजारेदारी की सोची-समझी साजिश
संशोधनवादी और अन्य कुछ मध्यमवर्गीय पार्टियों की कार्यक्रम-सम्बन्धी सोच
‘कम्युनिस्ट पार्टी का घोषणापत्र’ के प्रकाशन की 152वीं वर्षगांठ पर विशेष – आधुनिक समाज का क्रान्तिकारी वर्ग-सर्वहारा
एक पतझड़ / मक्सिम गोर्की
जोसेफ स्तालिन की एक दुर्लभ कविता
पर्यावरण की चिन्ता या 15 लाख से भी अधिक मज़दूरों की रोजी छीन लेने की साजिश
तराई के उद्योगपतियों की बैठक में होण्डा मज़दूरों पर सीधा हमला
देश के विभिन्न हिस्सों में फर्जी मुठभेड़ों में कम्युनिस्ट क्रान्तिकारियों की हत्या, दमन का पहिया फिर रफ्तार पकड़ रहा है
अक्टूबर की हवाएं मरी नहीं हैं! वे फिर उठेंगी भयंकर तूफान बनकर!
कम्युनिस्ट समाज के बारे में कुछ बातें / फ्रेडरिक एंगेल्स
अक्टूबर क्रान्ति का अन्तरराष्ट्रीय चरित्र / जोसेफ स्तालिन
उन्नीस सौ सत्रह, सात नवम्बर / नाजिम हिकमत
जरूरी है कि जनता के सामने क्रान्तिकारी विकल्प/ का खाका पेश किया जाये
पूर्वोत्तर रेलवे मुख्या्लय में आर.पी.एफ. जवानों का नंगानाच
नोएडा एक्स पोर्ट प्रोसेसिंग जोन में स्त्री मजदूरों का बर्बर शोषण
“किसे लाभ होता है ?” / लेनिन
प्रतिक्रियावादी दमन-चक्र की काली आंधी में भी बुझ नहीं सकती पेरू के लोकयुद्ध की मशाल
नीलकांत का सफर / स्वयंप्रकाश
डाक्टर और मज़दूर / ब्रेष्ट
- मई दिवस के शोलों को दहकाओ! उनको बारूद की ढेरी तक पहुंचाओ !!
- पूँजीवादी व्यवस्था के संकट का परिणाम-अरबों-खरबों के खर्च से एक और मध्यावधि चुनाव
- क्या शंकर बीघा और नारायणपुर का सही जवाब सेनारी है ? / अरविन्द सिंह
- कम्युनिस्ट क्रान्तिकारी आन्दोलन के बिखराव का मूल कारण सही विचारधारात्मक समझ का अभाव / जी. पी. भट्ट
- मई दिवस का इतिहास / अलेक्जैण्डर ट्रैक्टेनबर्ग