Category Archives: आर्काइव

जून-जुलाई 2000

  • आपातकाल के पच्‍चीस वर्ष बाद अघोषित आपातकाल जैसी स्थिति : संशोधित टाडा बिल के बहाने जीने के अधिकार पर एक और हमला
  • किसान अब गुर्दा बेचने को मज़बूर
  • चिकित्‍सा के भी बाजारीकरण ने साबित कर दिया है कि राज कर रहे कफनखसोट मुर्दाखोर
  • मुनाफाखोरों की नजर में एक मज़दूर की जिन्‍दगी कीड़ों- मकोड़ों से अधिक कुछ भी नहीं
  • शाहदरा के केबिल उद्योग में मज़दूरों की दयनीय स्थिति
  • एकता के सवाल पर सही रूख अपनाने की जरूरत
  • बीमा का निजीकरण और ट्रेड यूनियन की भूमिका : एक
  • क्रान्तिकारी सि‍द्धांत के बिना क्रान्तिकारी आन्‍दोलन असंभव / लेनिन
  • मई 2000

  • वाजपेयी सरकार के मजदूरों के खिलाफ आक्रामक तेवर : किसी का इंतजार न करो! अपनी एकता मजबूत करो!
  • दिहाड़ी मज़दूरों को भी अपने आन्‍दोलन का साझीदार बनाना एक शानदार शुरूआत है
  • सूखा : यह प्राकृतिक आपदा नहीं है, इसे मुनाफे की हवस पर टिकी व्‍यवस्‍था ने पैदा किया है
  • नई आर्थिक नीतियों का कहर बच्‍चों पर – देश में बाल मज़दूरों की सरकारी संख्‍या सवा दो करोड़ पहुँची
  • ‘भारत का मानचेस्‍टर’ अहमदाबाद अब कपड़ा मिलों के कब्रगाह में
  • हमारे आंदोलन के आवश्‍यक काम / लेनिन
  • बदली हुई विश्‍व परिस्थिति में क्रान्ति के स्‍तर निर्णय का प्रश्‍न
  • मार्च-अप्रैल 2000

  • नयी आयात-निर्यात नीति : उदारीकरण-निजीकरण कुचक्र का नया विनाशकारी पड़ाव
  • पूँजीपति वर्ग ने अपना आखिरी विकल्‍प चुन लिया है! मेहनतकशों को भी अब आखिरी विकल्‍प चुनना ही होगा!!
  • नोएडा लेदर गारमेण्‍ट उद्योग के मज़दूरों का संघर्ष व्‍यापक मज़दूर एकता की शानदार मिसाल
  • टेल्‍को कर्मचारियों पर बर्बर लाठीचार्ज : कारखाने में गैरकानूनी तालाबन्‍दी
  • सर्वहारा वर्ग की पार्टी का वास्‍तविक कार्य-लक्ष्‍य / व्‍ला. इ. लेनिन
  • कामो / मक्सिम गोर्की
  • साम्राज्‍यवादी लुटेरों के सरगना क्लिण्‍टन की भारत यात्रा, देशी लुटेरे लहालोट हुए, परजीवी जमातों ने आरती उतारी
  • जनवरी-फरवरी 2000

  • नया वर्ष संघर्षों का, नई सदी मेहनतकश की
  • नये वर्ष की शुरूआत व्‍यापक हड़तालों के साथ – मेहनतकशों की हड़तालों-आन्‍दोलनों का सिलसिला थमने वाला नहीं है
  • पर्यावरण की चिन्‍ता या इजारेदारी की सोची-समझी साजिश
  • संशोधनवादी और अन्‍य कुछ मध्‍यमवर्गीय पार्टियों की कार्यक्रम-सम्‍बन्‍धी सोच
  • ‘कम्‍युनिस्‍ट पार्टी का घोषणापत्र’ के प्रकाशन की 152वीं वर्षगांठ पर विशेष – आधुनिक समाज का क्रान्तिकारी वर्ग-सर्वहारा
  • एक पतझड़ / मक्सिम गोर्की
  • जोसेफ स्‍तालिन की एक दुर्लभ कविता
  • नवम्‍बर-दिसम्‍बर 1999

  • पर्यावरण की चिन्‍ता या 15 लाख से भी अधिक मज़दूरों की रोजी छीन लेने की साजिश
  • तराई के उद्योगपतियों की बैठक में होण्‍डा मज़दूरों पर सीधा हमला
  • देश के विभिन्‍न हिस्‍सों में फर्जी मुठभेड़ों में कम्‍युनिस्‍ट क्रान्तिकारियों की हत्‍या, दमन का पहिया फिर रफ्तार पकड़ रहा है
  • अक्‍टूबर की हवाएं मरी नहीं हैं! वे फिर उठेंगी भयंकर तूफान बनकर!
  • कम्‍युनिस्‍ट समाज के बारे में कुछ बातें / फ्रेडरिक एंगेल्‍स
  • अक्‍टूबर क्रान्ति का अन्‍तरराष्‍ट्रीय चरित्र / जोसेफ स्‍तालिन
  • उन्‍नीस सौ सत्रह, सात नवम्‍बर / नाजिम हिकमत
  • अक्‍टूबर 1999

  • वाजपेयी सरकार का नया एजेण्‍डा क्‍या है ?
  • तराई क्षेत्र की बहुराष्‍ट्रीय कम्‍पनी होण्‍डा पावर प्रोडक्‍ट्स में तालाबंदी
  • जनता का जाहिल और कामचोर मानने वाले “क्रान्तिकारी” बुद्धिजीवी
  • बिगुल के लक्ष्य और स्वरूप पर बहस को आगे बढ़ाते हुए
  • बहस को मूल मुद्दे पर एक बार फिर वापस लाते हुए
  • रॉबर्ट शा : विश्‍व सर्वहारा क्रान्ति के इतिहास के मील के पत्‍थरों में से एक
  • चीनी क्रान्ति की पचासवीं वर्षगांठ के अवसर पर : बीसवीं सदी की दूसरी महानतम क्रान्ति और उसकी प्रासंगिकता
  • सितम्‍बर 1999

  • जरूरी है कि जनता के सामने क्रान्तिकारी विकल्प/ का खाका पेश किया जाये
  • पूर्वोत्तर रेलवे मुख्या्लय में आर.पी.एफ. जवानों का नंगानाच
  • नोएडा एक्स पोर्ट प्रोसेसिंग जोन में स्त्री मजदूरों का बर्बर शोषण
  • “किसे लाभ होता है ?” / लेनिन
  • प्रतिक्रियावादी दमन-चक्र की काली आंधी में भी बुझ नहीं सकती पेरू के लोकयुद्ध की मशाल
  • नीलकांत का सफर / स्वयंप्रकाश
  • डाक्टर और मज़दूर / ब्रेष्ट
  • अगस्‍त 1999

  • 15 अगस्‍त : जश्‍ने-आजादी या मातमे-बर्बादी?
  • युद्धोन्‍मादी जुनून भड़काने में बुर्जुआ मीडिया की भूमिका अवश्‍य रेखांकित की जानी चाहिए
  • भारत में क्रान्तिकारी आन्‍दोलन की समस्‍याएं : एक बहस (पहली किश्‍त)
  • सर्वहारा वर्ग का हिरावल दस्ता बनने की बजाय उसका पिछवाड़ा निहारने की ज़िद
  • भारतीय मज़दूर आन्दोलन की पश्चगामी यात्रा के हिरावल ”सेनानी”
  • समाजवादी परियोजनाओं को पुनर्जीवन
  • हथियार और पूँजीवाद / लेनिन
  • जून-जुलाई 1999

    मई 1999

    • मई दिवस के शोलों को दहकाओ! उनको बारूद की ढेरी तक पहुंचाओ !!
    • पूँजीवादी व्‍यवस्‍था के संकट का परिणाम-अरबों-खरबों के खर्च से एक और मध्‍यावधि चुनाव
    • क्‍या शंकर बीघा और नारायणपुर का सही जवाब सेनारी है ? / अरविन्‍द सिंह
    • कम्‍युनिस्‍ट क्रान्तिकारी आन्‍दोलन के बिखराव का मूल कारण सही विचारधारात्‍मक समझ का अभाव / जी. पी. भट्ट
    • मई दिवस का इतिहास / अलेक्‍जैण्‍डर ट्रैक्‍टेनबर्ग