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(बिगुल के अगस्त 2001 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
केन्द्र व राज्य कर्मचारियों की एक दिनी हड़ताल – झूठी आशा छोड़ो, सही लड़ाई से नाता जोड़ो
अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय
वी.आर.एस. से आपने नहीं, बैंक ने आपको लूटा है / शरद कुमार
श्रम कानून
उत्तरप्रदेश में उद्योगबंदी व छंटनी का क़ानूनी रास्ता साफ : चाेर दरवाजे से मज़दूरों पर हमले जारी / संवाददाता
यह सुलगता कोयला दहकेगा, एक दिन जरूर दहकेगा / संवाददाता
महान शिक्षकों की कलम से
“चीनी मज़दूर” पत्रिका का परिचय / माओ त्से तुङ
विरासत
चीन में जब सत्ता मज़दूरों के हाथ में थी / एम. आरफियस
लेखमाला
पार्टी की बुनियादी समझदारी (अध्याय-4) सातवीं किश्त
लेनिन के साथ दस महीने – पांचवीं किश्त / एल्बर्ट रीस विलियम्स
विकास मुनाफाखोरों का, विनाश मेहनती जनता का – 2 : आर्थिक “सुधार”, यानी बेरोजगार ही बेरोजगार
बोलते आँकड़े, चीख़ती सच्चाइयाँ
राज कर रहे क़फनखसोट-मूर्दाखोर
इतिहास
समाजवाद बनाम पूँजीवाद
कारखाना इलाक़ों से
पंजाब के भट्ठा मज़दूरों के उत्पीड़न और लूट की दर्दनाक दास्तान : सही लाइन पर संगठित करने की जरूरत / सुखविंदर
हिल्टन रबड़ फैक्टरी सोनीपत में अवैध तालाबन्दी : सिर्फ का़नूनी लड़ाई के भरोसे रहना ठीक नहीं, व्यापक मज़दूर एकता क़ायम करने की कोशिश करो / संवाददाता
रघुवीर गीयर्स (ऑटोमोबाइल्स) लुधियाना – अन्दर के हालात पर एक नजर
होण्डा प्रबन्धतंत्र और मज़दूरों के बीच रस्साकशी जारी है।
कला-साहित्य
कविता : 26 जनवरी, 15 अगस्त / नागार्जुन
आपस की बात
मज़दूर साथियों से चन्द दो टूक बातें – एक सीधा आह्वान / सम्पादक, बिगुल
मज़दूरों की कलम से
“वे सब कुछ करने को तैयार, सभी अफसर उनके” / विजय कुमार, रूद्रपुर
मज़दूरों की पुलिसिया लूट / अमरजीत पटेल, लुधियाना
मज़दूर-किसान मुक्ति का वाहक / कैलाश रायकवार, टिकमगढ़
प्रशंसनीय अखबार / कॉ महेश महर्षि, श्रीगंगानगर
यूनियनों का क्रान्तिकारीकरण ज़रूरी है / मनोज कुमार राय, पटना