Category Archives: आर्काइव

अगस्‍त 1999

  • 15 अगस्‍त : जश्‍ने-आजादी या मातमे-बर्बादी?
  • युद्धोन्‍मादी जुनून भड़काने में बुर्जुआ मीडिया की भूमिका अवश्‍य रेखांकित की जानी चाहिए
  • भारत में क्रान्तिकारी आन्‍दोलन की समस्‍याएं : एक बहस (पहली किश्‍त)
  • सर्वहारा वर्ग का हिरावल दस्ता बनने की बजाय उसका पिछवाड़ा निहारने की ज़िद
  • भारतीय मज़दूर आन्दोलन की पश्चगामी यात्रा के हिरावल ”सेनानी”
  • समाजवादी परियोजनाओं को पुनर्जीवन
  • हथियार और पूँजीवाद / लेनिन
  • जून-जुलाई 1999

    मई 1999

    • मई दिवस के शोलों को दहकाओ! उनको बारूद की ढेरी तक पहुंचाओ !!
    • पूँजीवादी व्‍यवस्‍था के संकट का परिणाम-अरबों-खरबों के खर्च से एक और मध्‍यावधि चुनाव
    • क्‍या शंकर बीघा और नारायणपुर का सही जवाब सेनारी है ? / अरविन्‍द सिंह
    • कम्‍युनिस्‍ट क्रान्तिकारी आन्‍दोलन के बिखराव का मूल कारण सही विचारधारात्‍मक समझ का अभाव / जी. पी. भट्ट
    • मई दिवस का इतिहास / अलेक्‍जैण्‍डर ट्रैक्‍टेनबर्ग

    अप्रैल 1999

  • मजदूरों के बचे-खुचे अधिकारों पर कुल्हाड़ा गिराने की तैयारी, अब नये श्रम कानूनों की बारी
  • ‘बिगुल’ के लक्ष्य/ और स्वंरूप पर एक बहस और हमारे विचार
  • भारत में क्रान्तिकारी वामपंथी आन्दोलन की समस्याएं : एक बहस , वामपंथी शिविर में बिखराव के बुनियादी कारण
  • अक्टूबर क्रान्ति की शिक्षाएं और हमारा समय, हमारा देश (चौथी व अन्तिम किश्त )
  • मजदूर अखबार – किस मज़दूर के लिए ? / व्ला. इ. लेनिन
  • क्रान्तिकारी चीन में आर्थिक परिवर्तन : जब शक्ति वास्तव में जनता के हाथों में थी (तीसरी व अन्तिम किश्त)
  • मार्च 1997

     बिगुल के मार्च 1997 अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)   ‘मज़दूर…

    फरवरी 1997

  • पांचवे वेतन आयोग की रिपोर्ट : एक और मज़दूर विरोधी कमीनी हरकत
  • कपड़ा मज़दूरों का गला घोंटती नयी अर्थनीति
  • निजीकरण के खिलाफ पूरी दुनिया में जारी है मज़दूरों की लड़ाई
  • दक्षिण कोरिया में देशव्‍यापी मज़दूर हड़ताल : मज़दूरों ने एशियाई शेर के कान मरोड़े
  • कम्‍युनिस्‍ट पार्टी का संगठन और उसका ढांचा (पांचवीं कि‍श्‍त) / व्‍ला.इ. लेनिन
  • बोल्‍शेविकों ने सत्‍ता पर कब्‍जा कैसे किया? (तीसरी कि‍श्‍त)
  • जनवरी 1997

  • बनारस का डी.एल.डब्‍ल्‍यू. कारखाना निजी पूँजीपतियों के हाथों औने-पौने बेचने की कोशिश
  • ग्रामीण विकास योजनाओं की असलियत
  • निजीकरण-कुचक्र और ट्रेड यूनियन आंदोलन की बुनियादी समस्‍याएं
  • इस तरह से चूसती हैं बहुराष्‍ट्रीय कम्‍पनियां गरीब मुल्‍कों की मेहनतकश औरतों का खून-पसीना
  • कम्‍युनिस्‍ट पार्टी का संगठन और उसका ढांचा (चौथी कि‍श्‍त) / व्‍ला.इ. लेनिन
  • बोल्‍शेविकों ने सत्‍ता पर कब्‍जा कैसे किया? (दूसरी कि‍श्‍त)
  • नवम्‍बर-दिसम्‍बर 1996

  • अक्‍टूबर क्रान्ति की मशाल बुझी नहीं है, बुझ नहीं सकती
  • डाक-तार कर्मचारियों की सात दिनों की सफल हड़ताल : कुछ जरूरी सबक
  • अक्‍टूबर क्रान्ति के दिनों की वीरांगनाएं
  • भूमण्‍डलीकरण की नीतियों के साथ बाल मज़दूरों के बर्बर शोषण में भारी वृद्धि
  • बोल्‍शेविकों ने सत्‍ता पर कब्‍जा कैसे किया? (पहली कि‍श्‍त)
  • कविता – 7 नवम्‍बर : जीतों के दिन की शान में गीत / पाब्लो नेरूदा
  • अक्‍टूबर 1996

  • उत्‍त्‍रप्रदेश विधान सभा चुनाव 96 : अवसरवादी गठबन्‍धन और जाति, धर्म एवं गुण्‍डागर्दी का खुला खेल
  • स्‍कूटर्स इंडिया के मज़दूरों के आन्‍दोलन की आंशिक जीत : आगे के लिए कुछ जरूरी सबक, सोचने के लिए कुछ जरूरी सवालात / ओ.पी. सिन्‍हा
  • रूस और पूर्वी यूरोप के मुक्‍त बाजार का “स्‍वर्ग” : वहां सब कुछ महंगा है, पर काफी सस्‍ता है औरत का श्रम और शरीर / कात्‍यायनी
  • धनबाद में धरती के नीचे धधक रही आग से लाखों लोगों का जीवन खतरे में
  • कहानी – पारमा के बच्चे / मक्सिम गोर्की
  • सितम्‍बर 1996

  • इलेक्‍शन या इंकलाब? : सच्‍चाई से नजरें मिलाने की हिम्‍मत करो! सही राह चुनने का संकल्‍प बांधो!!
  • पूँजीवादी राज्‍य में सार्वजनिक उद्योग : श्रमशक्ति के सार्वजनिक लूट का जरिया
  • श्रम कानून और पूँजीपति वर्ग द्वारा श्रमिकों का कानूनी-गैर कानूनी शोषण
  • कम्‍युनिस्‍ट पार्टी, सरकारी सत्‍ता और वर्ग संघर्ष / जी. प्‍लेखानोव
  • बिहार में स्‍त्री-श्रमिकों की स्थिति : उनकी दुनिया का अंधेरा और अधिक गहरा है
  • कम्‍युनिस्‍ट पार्टी का संगठन और उसका ढांचा / व्‍ला.इ. लेनिन