Category Archives: चुनाव

बिहार विधानसभा चुनाव में मज़दूर वर्ग के पास क्या विकल्प है?

बिहार विधान सभा चुनावों की घोषणा हो चुकी है। चुनाव तीन चरणों में होंगे जिसमें पहले, दूसरे और तीसरे चरण का मतदान क्रमशः 28 अक्टूबर, 3 नवम्बर और 7 नवम्बर को होगा। बिहार चुनाव एक ऐसे वक़्त में हो रहा है जब कोरोना के मामले में देश नंबर वन पर पहुँचने वाला है। यदि बिहार में कोरोना की हालत पर बात करें तो स्थिति और भी गम्भीर है। बिहार की पहले से ही लचर स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत कोरोना के बाद से बिलकुल दयनीय हो चुकी है।

दिल्ली के चुनावों में आम मेहनतकश जनता के सामने क्या विकल्प है?

दिल्ली में विधानसभा चुनाव आने ही वाले हैं और चुनावों में कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी झोला भरकर वायदा कर रहे हैं तो भाजपा वायदों के साथ नफ़रत का ज़हर लोगों के दिमाग़ में घोलकर सत्ता में पहुँचने की तैयारी कर रही है। मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में चुनावी सभा में कहा कि वह दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों को पक्का करने का अधिकार देकर दिल्ली की जनता की सेवा कर रहा है।

हरियाणा विधानसभा चुनाव का परिणाम और प्रदेश की जनता के सामने उपस्थित नयी चुनौतियाँ

हरियाणा विधानसभा चुनाव का परिणाम और प्रदेश की जनता के सामने उपस्थित नयी चुनौतियाँ – भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी (RWPI), हरियाणा इकाई हरियाणा के विधानसभा चुनाव नतीजे आ चुके…

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे और भविष्य की चुनौतियाँ

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे और भविष्य की चुनौतियाँ – भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी (RWPI), महाराष्ट्र इकाई देश में अभूतपूर्व मन्‍दी है और बेरोज़गारी चरम सीमा पर है। नोटबन्दी,…

भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी को मिले समर्थन के लिए अभिवादन

भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी (RWPI) ने लोकसभा चुनाव में पहली बार रणकौशलात्मक भागीदारी की थी। चुनाव के नतीजे भी सामने आ चुके हैं। चुनाव में भाजपा ने पूँजीपजियों के पुरज़ोर समर्थन से, आरएसएस के व्यापक नेटवर्क और ईवीमएम के हेरफेर से प्रचण्ड बहुमत के साथ जीत हासिल की। हालाँकि जनता में इस जीत के प्रति संशय का माहौल बना हुआ है।

चुनाव में ईवीएम के इस्तेमाल को लेकर आपको क्यों चिन्तित होना चाहिए?

इस बात को मानने के स्पष्ट कारण हैं कि भाजपा ने इस चुनाव में अत्यन्त कुशलता के साथ, और योजनाबद्ध ढंग से, चुनी हुई सीटों पर ईवीएम में गड़बड़ी का खेल खेला है। जिन लोगों ने फ़ासिस्टों के सिद्धान्त और आचरण का अध्ययन किया है, वे जानते हैं कि फ़ासिस्ट सत्ता तक पहुँचने के लिए धार्मिक-नस्ली-अन्धराष्ट्रवादी उन्माद उभाड़ने के साथ ही किसी भी स्तर तक की धाँधली और अँधेरगर्दी कर सकते हैं। अगर कोई धाँधली थी ही नहीं, तो इतनी बदनामी झेलकर सुप्रीम कोर्ट और केन्द्रीय चुनाव आयोग के सारे नख-दन्त तोड़कर बिल्कुल पालतू बना देने की ज़रूरत ही क्या थी?

चुनावों में रणकौशलात्मक हस्तक्षेप की क्रान्तिकारी कम्युनिस्ट कार्यदिशा क्या है?

आम तौर पर बुर्जुआ चुनावों और संसद में रणकौशलात्मक भागीदारी के प्रश्न पर मार्क्स और एंगेल्स के समय में भी कम्युनिस्ट अवस्थिति स्पष्ट थी। जिस प्रकार मार्क्स और एंगेल्स ने अपने समय के अराजकतावादी और ”वामपंथी” भटकावों के विरुद्ध संघर्ष करते हुए इस अवस्थिति को विकसित किया था, उसी प्रकार लेनिन ने भी अपने दौर में मौजूद वामपंथी और दुस्साहसवादी अवस्थितियों के विरुद्ध संघर्ष करते हुए इसी अवस्थिति को विकसित किया। लेनिन के दौर में रणकौशलात्मक भागीदारी की कार्यदिशा इसलिए भी अधिक स्पष्टता के साथ विकसित हुई क्योंकि इस दौर में अन्तरराष्ट्रीय कम्युनिस्ट आन्दोलन में पार्टी का सिद्धान्त भी सांगोपांग रूप ले चुका था। इसका श्रेय भी लेनिन को ही जाता है। कम्युनिस्ट पार्टी कैसी हो, उसका ढाँचा और संगठन कैसा हो, इस बारे में लेनिन का चिन्तन आज भी सभी संजीदा मार्क्सवादी-लेनिनवादी क्रान्तिकारियों के लिए केन्द्रीय महत्व रखता है।

मज़दूरों-मेहन‍तकशों ने बनायी अपनी क्रान्तिकारी पार्टी!

‘भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी’ मज़दूर वर्ग की एक हिरावल पार्टी है जो कि मार्क्सवाद-लेनिनवाद के क्रान्तिकारी उसूलों में यक़ीन करती है। यह पार्टी मानती है कि सर्वहारा वर्ग का ऐतिहासिक लक्ष्‍य है कि वह क्रान्तिकारी रास्‍ते से बुर्जुआ राज्‍यसत्ता का ध्‍वंस करके सर्वहारा वर्ग की सत्ता क़ायम करे और समाजवादी व्‍यवस्‍था का निर्माण करे। RWPI का मानना है कि मज़दूर सत्ता और समाजवादी व्‍यवस्‍था अन्‍तत: इसी रास्‍ते से बन सकते हैं। लेकिन समाजवादी क्रान्ति से पहले भी एक सही क्रान्तिकारी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी को पूँजीवादी चुनावों में मज़दूर वर्ग के स्‍वतन्‍त्र क्रान्तिकारी पक्ष की हैसियत से हस्‍तक्षेप करना चाहिए और यदि वह संसद में अपने प्रतिनिधि भेजने में सफल होती है, तो उसे पूँजीवादी संसद के भीतर से पूँजीवादी संसदीय व्‍यवस्‍था की असलियत को आम मेहनतकश जनता के समक्ष उजागर करना चाहिए, ऐसे पूँजीवादी जनवादी अधिकारों को आम मेहनतकश जनता तक पहुँचाने के लिए हरसम्‍भव प्रयास करना चाहिए जो कि महज़ काग़ज़ पर उन्‍हें मिले हुए हैं, वास्‍तव में हासिल नहीं हैं, और आम मेहनतकश जनता के जीवन में सुधार के लिए जो भी सीमित कार्य किये जा सकते हैं, वे करने चाहिए।

चुनावी बॉण्ड : पूँजीपतियों और चुनावी पार्टियों का अटूट और गुमनाम रिश्‍ता

चुनावी बॉण्ड : पूँजीपतियों और चुनावी पार्टियों का अटूट और गुमनाम रिश्‍ता – पराग सभी जानते हैं कि भारत में चुनावी दल, चुनाव के दौरान ख़ूब ख़र्च करते आये हैं…