Category Archives: चुनाव

उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के आगामी विधान सभा चुनाव; देश में अन्धराष्ट्रवाद और साम्प्रदायिकता के गहराते बादल

उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव मार्च 2022 में होने जा रहे हैं। इसके आस-पास ही उत्तराखण्ड, पंजाब, मणिपुर और गोवा विधान सभा के भी चुनाव होने जा रहे हैं। देश की आबो-हवा में अन्धराष्ट्रवाद और धार्मिक साम्प्रदायिकता के गाढ़े रंग घुलने लगे हैं। आतंकवादी हमले, सीमा पर गोलीबारी और देश में जगह-जगह दंगे इन चुनावों की सूचना दे रहे हैं। वैसे तो फ़ासीवादी मोदी सरकार और उसके सबसे मुस्तैद सिपहसालार अमित शाह, अन्धराष्ट्रवाद और धार्मिक साम्प्रदायिकता के रंग कभी फीके नहीं पड़ने देते लेकिन चुनावों के दौरान तो इन पर गाढ़ा वार्निश चढ़ाया जाता है।

बिहार के पंचायत चुनाव में ‘भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी’ की भागीदारी

कोरोना महामारी के दौरान लगाये गये लॉकडाउन के कारण बिहार पंचायत चुनाव विलम्ब से करवाये गये। यह चुनाव कुल 11 चरणों में हो रहे हैं, इनमें कुछ चरण सम्पन्न हो चुके हैं, बचे हुए शेष चरण जारी हैं। बिहार पंचायत चुनाव अधिनियम 2006 के अनुसार दलगत आधार पर चुनाव नहीं होते। इसलिए बिहार पंचायत चुनाव में ‘भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी’ की खुले रूप में भागीदारी नहीं थी बल्कि ‘भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी’ के सदस्य ने इस चुनाव में अपनी व्यक्तिगत पहचान के तहत भागीदारी की।

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव : एक रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश में ग्राम पंचायत, जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायतों का चुनाव योगी सरकार द्वारा ऐसे समय में करवाया गया जब कोरोना महामारी की दूसरी लहर अपने उफान पर थी। इस चुनाव की क़ीमत हज़ारों सरकारी कर्मचारियों और लाखों लोगों ने अपनी ज़िन्दगी गँवाकर चुकायी। कोरोना महामारी के दौरान सरकार के आपराधिक रवैये और पूरी ताक़त झोंक देने के बावजूद भाजपा समर्थित उम्मीदवार पंचायत सदस्यों के चुनाव में सपा समर्थित उम्मीदवारों की तुलना में मामूली अन्तर से दूसरे स्थान पर रहे।

आगामी पंजाब विधानसभा चुनाव में अकाली दल और बसपा का अवसरवादी गठबन्धन – एक संक्षिप्त टिप्पणी!

पंजाब में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर तमाम चुनावबाज़ पार्टियाँ अपने चुनावी जोड़-तोड़ में लग गयी हैं। हाल ही में शिरोमणि अकाली दल तथा मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी का 25 वर्षों बाद दोबारा मिलन हुआ है। ग़ौरतलब है कि खेती क़ानूनों के चलते शिरोमणि अकाली दल ने भाजपा के साथ अपना ढाई दशक पुराना गठबन्धन पिछले वर्ष सितम्बर में तोड़ा था।

पाँच राज्यों में सम्पन्न चुनावों के नतीजे और सर्वहारा वर्गीय नज़रिया

मार्च-अप्रैल 2021 में बंगाल सहित चार राज्यों असम, तमिलनाडु, केरल और पुद्दुचेरी केन्द्रशासित प्रदेश में सम्पन्न विधानसभा चुनावों के परिणाम हाल में सामने आये हैं। पश्चिम बंगाल में सत्ता फिर से तृणमूल कांग्रेस के हाथ में आयी है, जबकि यहाँ भाजपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। असम में भी एक बार फिर से भाजपा गठबन्धन की सरकार बनने जा रही है। तमिलनाडु में कांग्रेस के साथ मिलकर द्रमुक गठबन्धन चुनाव में विजयी हुआ है और भाजपा के सहयोगी अन्नाद्रमुक गठबन्धन को हार का सामना करना पड़ा है।

दिल्ली नगर निगम के उपचुनाव में भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी (RWPI) की भागीदारी

बीते दिनों दिल्ली नगर निगम की पाँच सीटों पर उपचुनाव हुए। इन उपचुनावों ने फिर से यह साबित कर दिया कि पूँजीवादी व्यवस्था में धनबल-बाहुबल के दम पर ही चुनाव लड़े और जीते जाते हैं। इस धनबल-बाहुबल के समक्ष मज़दूरों-मेहनतकशों का स्वतंत्र पक्ष खड़ा करने के उद्देश्य से भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी ने भी शाहाबाद डेयरी सीट पर चुनाव में भागीदारी की।

दीघा विधानसभा क्षेत्र से भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी का चुनावों में हस्तक्षेप

10 नवम्बर, पटना. (बिगुल संवाददाता)। बिहार विधानसभा चुनावों में पटना के दीघा विधानसभा क्षेत्र में नवनिर्मित भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी ने भी पहली बार वारुणी पूर्वा के रूप में अपना उम्मीदवार खड़ा किया था। इस उम्मीदवार को 410 वोट प्राप्त हुए। वारुणी पूर्वा ने बताया कि पिछले कुछ माह से क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी ने पटना में अपने कार्यों की शुरुआत की थी। दीघा विधानसभा क्षेत्र बिहार का सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र है और यहाँ पर क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी का कार्य और पहुँच दो छोटे-से मज़दूर व निम्न मध्यवर्गीय इलाक़ों तक सीमित था। इन क्षेत्रों में क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी पिछले कुछ माह से मज़दूरों व आम मेहनतकश आबादी के मुद्दों को लेकर संघर्षों को संगठित करती रही है।

बिहार: दीघा विधानसभा सीट पर RWPI को मिले समर्थन के लिए इन्क़लाबी अभिवादन

इस विधानसभा चुनाव में भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी द्वारा भागीदारी एक रणकौशलात्मक हस्तक्षेप था, जिसके तहत चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी ने समाजवादी कार्यक्रम का प्रचार-प्रसार किया गया। साथ ही जनता के बीच मौजूद पूँजीपति वर्ग की नुमाइन्दगी करने वाली तमाम चुनावबाज़ पार्टियों और पूँजीपतियों के रिश्ते का भी भण्डाफोड़ किया गया।

बिहार: चुनावी रणनीति तक सीमित रहकर फ़ासीवाद को हराया नहीं जा सकता!

बिहार विधानसभा चुनावों में भाजपा-नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन जीत गया है। महागठबन्धन बहुमत से क़रीब 12 सीटें दूर रह गया।…कांग्रेस को पिछली बार की तुलना में 8 सीटों का नुक़सान उठाना पड़ा। वहीं संशोधनवादी पार्टियों विशेषकर माकपा, भाकपा और भाकपा (माले) लिबरेशन को इन चुनावों में काफ़ी फ़ायदा पहुँचा है।…इनमें भी ख़ास तौर पर भाकपा (माले) लिबरेशन को सबसे अधिक फ़ायदा पहुँचा है। ज़ाहिर है, इसके कारण चुनावों में महागठबन्धन की हार के बावजूद, भाकपा (माले) लिबरेशन के कार्यकर्ताओं में काफ़ी ख़ुशी का माहौल है, मानो फ़ासीवाद को फ़तह कर लिया गया हो! इन नतीजों का बिहार के मेहनतकश व मज़दूर वर्ग के लिए क्या महत्व है? यह समझना आवश्यक है क्योंकि उसके बिना भविष्य की भी कोई योजना व रणनीति नहीं बनायी जा सकती है।

पटना के दीघा विधानसभा सीट पर लड़ेगी भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी!

बिहार की जाति-आधारित राजनीति और धनबल-बहुबल पर आधारित पूँजीवादी चुनावी राजनीति को चुनौती देते हुए और मेहनतकशों का एक नया विकल्प खड़ा करने की शुरुआत करते हुए भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी (आर.डब्ल्यू.पीआई.) इस बार के विधानसभा चुनाव में शिरकत कर रही है। आर.डब्ल्यू.पीआई. मेहनतकश जनता के संसाधनों पर और मेहनतकश जनता के बीच संघर्षों में तपे-तपाए कार्यकर्ताओं की सामूहिक अगुवाई में चलती है। फ़िलहाल पार्टी पटना की दीघा सीट से चुनाव में भागीदारी कर रही है।