कान्ति मोहन – बोल मजूरे हल्ला बोल
सिहर उठेगी लहर नदी की सुलग उठेगी फुलवारी
काँप उठेगी पत्ती-पत्ती चटखेगी डारी-डारी
सरमायेदारों का पल में नशा हिरन हो जायेगा
आग लगेगी नन्दन वन में दहक उठेगी हर क्यारी
सुन-सुन कर तेरे नारों को धरती होगी डाँवाडोल
बोल मजूरे हल्ला बोल…